Ahmedabad - दुनिया के सबसे बड़े डेयरी ब्रांड अमूल की सफलता के बारे में सभी जानते है। दुग्ध उत्पादन ने राज्य के लोगों को सर्कुलर इकोनॉमी का मौका दिया है। यही वजह है कि आज दुनियभर में गुजरात के अमूल मॉडल की प्रशंसा हर ओर है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसका जिक्र कर चुके हैं, कि कैसे अमूल ने लोगों की जिदंगी बदली है और कैसे लोगों की मेहनत से अमूल आज एक वैश्विक ब्रांड बन गया है।
आणंद के बोरसाद तहसील के झरोला गांव के निवासी जयेशभाई शंभूभाई पटेल एक दुग्ध उत्पादक हैं। 51 साल के जयेशभाई पटेल ने कुछ समय पहले तक एक सर्वेक्षक की नौकरी करते थे, लेकिन उन्होंने 18 साल तक वडोदरा और मुंबई में सर्वेक्षक का काम करने के बाद नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने अमूल के साथ मिलकर दुग्ध उत्पादक का काम शुरू किया।
जयेश पटेल कहते हैं कि उन्होंने करीब 10 से 12 गायें पाल रखी हैं। वे गायों को नियमित रूप से खाना देते हैं ताकि वे निर्धारित मात्रा में हमें दूध दे सकें। उन्हें रखने के लिए हमने एक छाव बनाया हुआ है और दूध दुहने की मशीन भी लगाई हुई है। वर्तमान में अमूल में दूध देने के बाद हर महीने मेरी आय लगभग डेढ़ लाख रुपये है। इसके साथ ही पिछले 10 सालों से प्राकृति खेती कर रहे हैं।
जयेश पटेल अपनी मेहनत के साथ अपनी इस कामयबी के लिए अमूल डेयरी के आभारी हैं। वे कहते हैं कि अमूल ने डेयरी क्षेत्र में क्रांति ला दी है। पशुपालन के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार हर वह सुविधा जो जरूरी होते है वह मुहैया करवाते है। अमूल की वजह से उन्हें अच्छी ब्रीड मिली और इसका सीधा लाभ दूध के उत्पादन में हुआ। इससे उनकी आमदनी बढ़ी साथ ही साथ उत्साह भी बढ़ा। अमूल की वजह से ही वे आज इस मुकाम पर है।
गुजरात में प्रगतिशील किसान और पशुपालक बनकर उभरे जयेश पटेल का कहना है कि वे अब जनवरी 2024 में आयोजित होने वाले 10वीं वाइब्रेंट गुजरात समिट में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में वाइब्रेंट समिट नहीं हो पाई थी।