इजिप्ट में मिला हजारों साल पुराना मकबरा, अभी भी वहां जारी है खुदाई

इजिप्ट यानी मिस्र की राजधानी कायरो से करीब 33 किलोमीटर दूर एक प्राचीन मकबरा मिला है। आर्कियोलॉजिस्ट्स की एक टीम ने इस मकबरे की खोज की। मकबरे की दीवारों पर बनीं चित्र अभी भी सही-सलामत है
Ancient Tomb Discovered In Egypt:  इजिप्ट यानी मिस्र की राजधानी कायरो से करीब 33 किलोमीटर दूर एक प्राचीन मकबरा मिला है।(Wikimedia Commons)
Ancient Tomb Discovered In Egypt: इजिप्ट यानी मिस्र की राजधानी कायरो से करीब 33 किलोमीटर दूर एक प्राचीन मकबरा मिला है।(Wikimedia Commons)
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Ancient Tomb Discovered In Egypt: इजिप्ट यानी मिस्र की राजधानी कायरो से करीब 33 किलोमीटर दूर एक प्राचीन मकबरा मिला है। आर्कियोलॉजिस्ट्स की एक टीम ने इस मकबरे की खोज की। मकबरे की दीवारों पर बनीं चित्र अभी भी सही-सलामत है और उन चित्रों में रोजमर्रा की जीवन शैली बनाई गई है। आर्कियोलॉजिस्ट्स अब जल्द ही यहां खुदाई करने की योजना बना रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि भीतर कोई ममी बच पाई है या नहीं। यह मिट्टी और ईंटों से बने मकबरे को मस्ताबा कहते है, इसकी छत सपाट होती है और किनारे ढलान रहती है। इन मकबरों का आकार आयताकार है।

कैसी पेंटिंग्स बनी हुई है इन दीवारों में

इजिप्ट यानी मिस्र के पर्यटन और पुरावशेष मंत्रालय ने एक बयान जारी कर जानकारी दी है कि जो पेंटिंग्स मिली हैं, उनमें 'अनाज को रौंदते हुए गधे', 'नील नदी पर चलने वाले जहाज' और 'बाजार में बेचे जा रहे सामान' इत्यादि दिखाए गए है। मकबरे की दीवारों पर पाए गए शिलालेखों से यह मालूम होता है कि यह कब्र सेनेब-नेब-अफ नाम के एक व्यक्ति और उसकी पत्नी इडेट की है। इनमें इडेट हाथोर (कामुकता, मातृत्व और संगीत से जुड़ी एक देवी) की पुजारिन थी और सेनेब-नेब-अफ ने शाही महल में कई पदों पर काम करता था।

 मकबरे की दीवारों पर बनीं चित्र अभी भी सही-सलामत है(Wikimedia Commons)
मकबरे की दीवारों पर बनीं चित्र अभी भी सही-सलामत है(Wikimedia Commons)

अभी भी वहां जारी है खुदाई

जर्मन आर्कियोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के स्टीफन सीडलमेयर मकबरे वाली जगह पर खुदाई कर रहे हैं उन्होंने लाइव साइंस को बताया कि यह जान पाना अभी भी मुश्किल है कि सेनेब-नेब-अफ और क्या-क्या करते थे। उन्होंने बताया कि पास में मौजूद एक शहर को महल से कंट्रोल किया जाता था। सीडलमेयर के अनुसार, यह दोनों लगभग 4,300 साल पहले पांचवें राजवंश के अंत या छठे राजवंश की शुरुआत में रहता होगा। उस समय मिस्र में पिरामिड बनाए जा रहे थे। हालांकि वे गीजा जैसी जगहों पर चौथे राजवंश में बनाए गए पिरामिडों की तुलना में छोटे थे। अभी मकबरे की खुदाई का काम पूरा नहीं हुआ है। संभव है कि और खुदाई करने पर भीतर इंसानी अवशेष जरूर मिलें।

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