Anda Cell In Jails : मई 2014 को यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर गोकरकोंडा नागा साईबाबा को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 2017 में आतंक फैलाने के मामले में दोषी ठहराया गया। वे लगभग एक दशक के बाद 7 मार्च को नागपुर जेल से बाहर आए। आपको बता दें कि उन्हें जेल की ‘अंडा कोठरी’ में रखा गया था।
इतना दिन के बाद जब वे जेल से बाहर आए तो उन्होंने बस इतना कहा, “इस बात की पूरी आशंका थी कि मैं जीवित बाहर नहीं आ पाता।” अंडा सेल में रखे जाने वाले कैदी कई दिनों तक मानवीय संपर्क से वंचित रहते हैं इस कारण उनमें मानसिक परेशानियां, समाज से दूरी बनाने की प्रवृत्ति, आत्महत्या करने के खयाल और असंयमित गुस्से जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
अंडा सेल किसी भी जेल का सबसे सुरक्षित हिस्सा होता है।अंडे की तरह ही इसका आकार होता है। इन सेल में उन्हीं को रखा जाता है जो गंभीर अपराध करने वाले खूंखार कैदी होते है। इन कोठरियों में बिजली नहीं होती है, कैदियों को अंधेरे में ही रखा जाता है और उन्हें केवल एक बिस्तर दिया जाता है। कोठरी के बाहर इलेक्ट्रिक फेंसिंग होती है, अंदर और बाहर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। इन कोठरियों को पूरी तरह से बॉम्बप्रूफ बनाया जाता है।
भारतीय संदर्भ में अंडा सेल का सबसे ज्वलंत वर्णन अरुण फरेरा के 2014 के जेल संस्मरण कलर्स ऑफ द केज में किया गया है। इसे कैदियों को परेशान करने के लिए डिजाइन किया गया है। आधुनिक समाज में धीरे-धीरे फांसी की जगह जेलों में अनुशासनात्मक शक्ति ने ले ली है। विशेषज्ञों का मानना है कि जेलों में किसी व्यक्ति को निशाना बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। एकांत कारावास की यातनापूर्ण प्रथा आधुनिक जेलों की एक प्रमुख विशेषता बनी हुई है। इस अंडा सेल एक ऊंची अंडाकार परिधि की दीवार के अंदर बिना खिड़कियों वाली सेल का एक समूह होता है जो जेल की उच्च सुरक्षा सीमा के भीतर एक अधिकतम सुरक्षा क्षेत्र है। इस जगह से आप बाहर कुछ भी नहीं देख सकते। सभी सेल के बीच में एक वॉचटॉवर है। अंडे से बाहर निकलना एकदम ही नामुमकिन है।