बेहद खूबसूरत है राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) : दिल्ली

सकी स्थापना राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम अधिनियम, 1962 के तहत की गई थी।इसकी स्थापना एक सांविधिक निगम के रूप में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत की गई।
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम अधिनियम की स्थापना एक सांविधिक निगम के रूप में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत की गई।
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम अधिनियम की स्थापना एक सांविधिक निगम के रूप में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत की गई।Wikimedia
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आजादी के बाद बनी खूबसूरत संरचनाओं की श्रृंखला में आज हम राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (National Cooperative Development Corporation ) दिल्ली के बारे में रोचक जानकारियां जानेंगे।

इस इमारत की स्थापना संसदीय अधिनियम के अंतर्गत 13 मार्च 1963 में की गई। इसकी स्थापना राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम अधिनियम, 1962 के तहत की गई थी।इसकी स्थापना एक सांविधिक निगम के रूप में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत की गई। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और यह भारत सरकार के क्षेत्राधिकार में आती है।

राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम अधिनियम की स्थापना एक सांविधिक निगम के रूप में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत की गई।
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अगर बात इस इमारत के ढांचे की करें तो यह अपने आप में बहुत खास है।इस इमारत का डिजाइन 1980 में वास्तुकार कुलदीप सिंह द्वारा बनाया गया और इसके इंजीनियर महेंद्र राज थे।

आपको यह जानकर शायद अचंभा होगा कि इस इमारत में एक भी ईंट नहीं लगाई गई है। यह आंखों को भाने वाला एक अजीब वक्र पैटर्न है। रिक्शावाले और यहां के लोग तो इसके आकार के कारण इस इमारत को पायजामा या पैजामा बिल्डिंग के नाम से जानते हैं।इस इमारत में नौ मंजिल है जो भारत की भौतिक अर्थव्यवस्था, बहादुर कल्पना और हस्तनिर्मित की निपुणता का प्रतीक है

ज़िगज़ैगिंग कॉलम को केबल द्वारा एक साथ रखकर इस इमारत को स्थिर रखा गया है। यह इमारत पूर्व-पश्चिम उन्मुख है। इस बिल्डिंग के साथ-साथ इसके आसपास का वातावरण भी बेहद सुहावना है इस बिल्डिंग के चारों ओर हरियाली है और पीछे अमलतास के पेड़ है जो आंखों के साथ-साथ दिल को भी ठंडक पहुंचाते हैं। इस इमारत में दो ऑफिसर विंग है जो जिगजैग के जरिए ही ऊपरी तल तक पहुंचते हैं। इन दोनों विंग के बीच एक सेंट्रल कॉरिडोर बनाई गई है। इस इमारत का वास्तु एक हद तक दक्षिण भारत के मंदिरों से मेल खाता है इसीलिए तो लोगो को इस मंदिर में मीनाक्षी मंदिर की झलक दिखती हैं। इमारत का शटर फिनिश इसे को पूरा करता है।

इसे डिजाइन करने वाले कुलदीप सिंह ने बताया कि इमारत की लागत कम करनी थी, इसीलिए हमने इसे कंक्रीट पर ही बनाया। इसे बनाते हुए हमने बहुत सी बातों का ख्याल रखा जैसे कि सभी कमरे हवादार होने चाहिए, जिससे कि बिना एयर कंडीशनर के भी ठंडक रहे। इस इमारत के अगले भाग में मोटी परत है यही कारण है कि यह इमारत गर्मी में भी ठंडी रहती है। प्रत्येक कमरे की बालकनी में स्लोप है।

वास्तव में यह इमारत देखने योग्य है जो इसे एक बार देखता है वह इसे देखता ही रह जाता है।

(PT)

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