कौन था अमेरिका में बसने वाला पहला भारतीय? केवल स्वतंत्र श्‍वेत व्यक्ति को मिलता था नागरिकता

अमेरिका में 1900 की शुरुआत में सिर्फ आजाद श्‍वेत लोगों को ही अमेरिका की नागरिकता दी जाती थी। लोगों को अमेरिका की नागरिकता 1790 के नैचुरलाइजेशन एक्‍ट के तहत मिलती थी, जिसमें साबित करना पड़ता था कि वो आजाद और श्‍वेत हैं।
Bhicaji Balsara : अमेरिका में 20वीं सदी के दौरान नस्‍लभेद का दौर था। (Wikimedia Commons)
Bhicaji Balsara : अमेरिका में 20वीं सदी के दौरान नस्‍लभेद का दौर था। (Wikimedia Commons)
Published on
3 min read

Bhicaji Balsara : अमेरिका में बसना आज भी कई भारतीयों का सपना है। एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 में 65 हजार से ज्यादा भारतीयों को अमेरिकी नागरिकता प्रदान की गई। 2023 के अंत तक करीब 28,31000 विदेशी मूल के नागरिक भारत के रहने वाले थे लेकिन आपको बता दें अमेरिका की नागरिकता प्राप्त करना हमेशा इतना आसान नहीं था। अमेरिका में 20वीं सदी के दौरान नस्‍लभेद का दौर था। उस माहौल में भीकाजी बलसारा पहले ऐसे भारतीय बने, जिन्‍होंने अमेरिका की नागरिकता हासिल की।

मुंबई के कपड़ा व्‍यापारी बलसारा को नागरिकता हासिल करने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी और अंत में सफलता भी हासिल की। अमेरिका में 1900 की शुरुआत में सिर्फ आजाद श्‍वेत लोगों को ही अमेरिका की नागरिकता दी जाती थी। लोगों को अमेरिका की नागरिकता 1790 के नैचुरलाइजेशन एक्‍ट के तहत मिलती थी, जिसमें साबित करना पड़ता था कि वो आजाद और श्‍वेत हैं।

भीकाजी बलसारा ने लड़ी कानूनी लड़ाई

भीकाजी बलसारा ने इस कानून के तहत पहली लड़ाई साल 1906 में न्‍यूयॉर्क के सर्किट कोर्ट में लड़ी। बलसारा ने दलील दी कि आर्यन श्‍वेत थे, जिनमें कोकेशियन और इंडो-यूरोपियन भी शामिल हैं। बाद में बलसारा की इस दलील का उन भारतीयों ने भी कोर्ट में इस्‍तेमाल किया, जो अमेरिका की नैचुरलाइज्‍ड सिटिजनशिप चाहते थे। बलसारा की दलील पर कोर्ट ने कहा कि अगर इस आधार पर उनको अमेरिका की नागरिकता दी जाती है तो इससे अरब, हिंदू और अफगानों के लिए भी नैचुरलाइजेशन का रास्‍ता खुल जाएगा। लेकिन कोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया।

स्वतंत्र श्‍वेत व्यक्ति होना अनिवार्य

गदर पार्टी ने अवैध तरीके से लोगों को अमेरिका में घुसने में मदद करने के तौर पर मिले पैसे का उपयोग पार्टी की गतिविधियों को चलाने में किया। एक अनुमान के अनुसार, 1920 और 1935 के बीच करीब 2,000 भारतीय अप्रवासी अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल हुए। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 1923 में संयुक्त राज्य अमेरिका बनाम भगत सिंह थिंड के मामले में फैसला सुनाया कि भारतीय नागरिकता के लिए अयोग्य थे, क्योंकि वे स्वतंत्र श्‍वेत व्यक्ति नहीं थे।

भीकाजी बलसारा पहले ऐसे भारतीय बने, जिन्‍होंने अमेरिका की नागरिकता हासिल की। (Wikimedia Commons)
भीकाजी बलसारा पहले ऐसे भारतीय बने, जिन्‍होंने अमेरिका की नागरिकता हासिल की। (Wikimedia Commons)

क्‍या है श्वेत होने का अर्थ

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नस्ल की लोकप्रिय समझ के आधार पर श्‍वेत व्यक्ति शब्द का तकनीकी अर्थ कॉकेशियन के बजाय उत्तरी या पश्चिमी यूरोपीय वंश के लोग है। इस फैसले के बाद 50 से ज्‍यादा भारतीयों के नागरिकता के लिए लंबित आवेदन रद्द कर दिए गए। इसके बाद एक भारतीय सखाराम गणेश पंडित ने अप्राकृतिकरण के विरोध लड़ाई लड़ी। वह पेशे से एक वकील थे और उन्होंने एक श्‍वेत अमेरिकी से शादी की थी। उन्होंने 1927 में अपनी नागरिकता वापस हासिल कर ली थी। लेकिन फैसले के बाद किसी अन्य देशीकरण की अनुमति नहीं दी गई, जिसके कारण 1920 और 1940 के बीच करीब 3,000 भारतीयों को अमेरिका छोड़ना पड़ा।

दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद मिला अनुमति

दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद अमेरिका ने भारतीय आप्रवासन के लिए दरवाजा फिर खोल दिया। साल 1946 के लूस-सेलर अधिनियम के तहत हर साल 100 भारतीयों को अमेरिका में प्रवास की अनुमति दी गई। इसने संयुक्त राज्य अमेरिका बनाम भगत सिंह थिंड मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1923 के फैसले को प्रभावी रूप से पलट दिया। साल 1952 के प्राकृतिककरण अधिनियम ने 1917 के वर्जित क्षेत्र अधिनियम को निरस्त कर दिया। इसे मैककारन-वाल्टर अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है। जबकि इसमें भी हर साल सिर्फ 2,000 भारतीयों को ही अमेरिका नागरिकता देने की रोक रखी गई।

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com