डा. रमेश पोखरियाल निशंक को 'हार्वर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड' की ओर से किया गया सम्मानित

भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री, डा. रमेश पोखरियाल निशंक को 'हार्वर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस' की ओर से मिला सम्मानित
डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक'wikimedia

भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री, डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक' (Dr. Ramesh Pokhriyal "Nishank") को, उनके 'रचना संसार' 80 वीं 'पुस्तक वार्ता' की सम्पन्नता के अवसर पर, 'हार्वर्ड बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्डस' (Howard Book of World Records) की ओर से सम्मानित किया गया। ऋषिकेश में हिमालय विरासत ट्रस्ट तथा स्याही ब्लू बुक्स, हिमालयीय विश्वविद्यालय देहरादून द्वारा आयोजित साहित्यिक सारस्वत महाकुम्भ' में  'हार्वर्ड बुक आफ वल्र्ड रिकॉर्डस' ने डॉ निशंक को प्रमाण पत्र भेंट किया।

रविवासरीय पुस्तक वार्ता श्रृंखला में प्रतिभाग व सहयोग करने व वार्ता सत्रों में प्रतिभाग करने वाले साहित्यकारों, अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों विद्वानों तथा शिक्षाविदों ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। 500 से ज्यादा प्रतिभागियों की उपस्थिति में बाबा रामदेव, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द मुनि, प्रदेश के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, पद्मश्री सम्मानित कवि एवं आथोर्पेडिक सर्जन डा. भूपेन्द्र कुमार सिंह 'संजय', पद्मश्री  प्रीतम भरतवाण, कार्यक्रम के केन्द्र पुरुष डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक' उपस्थित रहे।

डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
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कार्यक्रम में बाबा रामदेव ने सम्मानित साहित्यकार व कवि डॉ निशंक को अजेय योद्धा बताते हुए कहा कि उनका साहित्य गौरवमयी सनातन परम्पराओं के गौरवशाली कालखंड का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने डॉ निशंक के समय बनाई गई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) की प्रशंसा करते हुए उन्हें भारतीय शिक्षा बोर्ड गठित करने का श्रेय दिया।

स्विट्जरलैंड महर्षि विश्वविद्यालय द्वारा डॉ निशंक को साहित्य और राजनीति का अद्भुत संगम बताते हुए उनके साहित्य द्वारा मूल्यनिर्माण के प्रयासों की प्रशंसा की गयी। वेद विश्वशांति अभियान एवं अपने लेखन के माध्यम से विश्वशान्ति स्थापित करने के डॉ निशंक की प्रतिबद्धता की सराहना की।

शिक्षा नीति 2020
शिक्षा नीति 2020Pixabay

इस समूचे कार्यक्रम को कुल चार सत्रों में आयोजित किया गया था, जिसमें एक साथ ही तीन-तीन उप-सत्रों में डा. निशंक के साहित्यिक योगदान के साथ-साथ उनकी पुस्तकों पर वक्ताओं ने विस्तार से प्रकाश डाला। लगभग साठ से भी अधिक शोधार्थियों ने डा. निशंक की रचनाओं पर अपने-अपने शोधपत्र पढ़े। ज्ञातव्य है कि डॉ निशंक के साहित्य पर देश और विदेश में अनेक विद्यार्थी  शोधकार्य कर रहे हैं।

आईएएनएस/RS

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