तमिल संस्कृति और काशी के बीच सांस्कृतिक संबंधो की ख़ोज

भारतीय भाषा समिति सदियों से मौजूद रहे तमिल संस्कृति और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को फिर से खोजने, मजबूत करने और सेलिब्रेट करने का यह प्रस्ताव लेकर आई है।
अहिल्या घाट, काशी
अहिल्या घाट, काशीWikimedia

गुरुवार को देश में 'काशी तमिल संगमम' (Kashi-Tamil Sangamam) की घोषणा की गई है। भारतीय भाषा समिति (बीबीएस) सदियों से मौजूद रहे तमिल संस्कृति और काशी (Kashi) के बीच सदियों पुराने संबंधों को फिर से खोजने, मजबूत करने और सेलिब्रेट करने का यह प्रस्ताव लेकर आई है। 16 नवंबर से 19 दिसंबर, 2022 तक वाराणसी (काशी) में एक महीने तक चलने वाले 'काशी तमिल संगमम' का आयोजन किया जाना है। 'काशी तमिल संगमम' के लिए पंजीकरण हेतु वेबसाइट भी शुरू की गई है।

इसका व्यापक उद्देश्य ज्ञान और संस्कृति की इन दो परंपराओं को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की एक समझ निर्मित करना और इन क्षेत्रों लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत करना है। काशी-तमिल संगमम ज्ञान के विभिन्न पहलुओं-साहित्य, प्राचीन ग्रंथों, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापारिक आदान-प्रदान, एजुटेक एवं अगली पीढ़ी की अन्य प्रौद्योगिकी आदि जैसे विषयों पर केंद्रित होगा।

इन चर्चाओं का लाभ ज्ञान के क्षेत्रों से जुड़े वास्तविक साधकों को मिलना चाहिए। इसे सुनिश्चित करने के लिए यह प्रस्ताव किया गया है कि विशेषज्ञों के अलावा, तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न समूहों के आम साधकों को वाराणसी और इसके आसपास के क्षेत्र की 8 दिवसीय यात्रा के लिए लाया जाए।

संभावित तौर पर छात्रों, शिक्षकों, साहित्यकारों (लेखकों, कवियों, प्रकाशकों), सांस्कृतिक विशेषज्ञों, पेशेवरों (कला, संगीत, नृत्य, नाटक, लोक कला, योग, आयुर्वेद), उद्यमियों, (एसएमई, स्टार्ट-अप) व्यवसायी, (सामुदायिक व्यवसाय समूह, होटल व्यवसायी,) कारीगर, विरासत संबंधी विशेषज्ञ (पुरातत्वविद, टूर गाइड, ब्लॉगर आदि) आध्यात्मिक, ग्रामीण, विभिन्न संप्रदाय से जुड़े संगठन) सहित 12 ऐसे समूहों की पहचान की गई है। ये लोग शैक्षणिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे, उसी क्षेत्र से जुड़े वाराणसी के लोगों के साथ बातचीत करेंगे और वाराणसी एवं उसके आसपास के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करेंगे।

वट्टेलुट्टू लिपि
वट्टेलुट्टू लिपिwikimedia

यह प्रस्तावित है कि तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से लगभग 210 लोगों को 8 दिनों की अवधि के लिए एक समूह में शामिल किया जा सकता है। ऐसे 12 समूहों में लगभग 2500 लोग शामिल होंगे और वे एक महीने में यात्रा कर सकते हैं।

संगमम कार्यक्रम के अंत में, तमिलनाडु के लोगों को काशी का एक व्यापक अनुभव मिलेगा और काशी के लोगों को भी आयोजनों, यात्राओं, वातार्लापों, आदि से संबंधित अनुभवों के स्वस्थ आदान-प्रदान के माध्यम से तमिलनाडु की सांस्कृतिक समृद्धि को जानने का अवसर मिलेगा।

इस दौरान भारतीय संस्कृति की इन दो प्राचीन अभिव्यक्तियों के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों, विद्वानों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान- सेमिनार, चर्चा आदि आयोजित किए जाएंगे। यहां दोनों के बीच संबंधों और साझा मूल्यों को आगे लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री एल. मुरुगन के साथ 'काशी तमिल संगमम' की घोषणा की। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत सभ्यता संपर्क का प्रतीक है। ज्ञान और संस्कृति के दो ऐतिहासिक केंद्रों के माध्यम से भारत की सभ्यतागत संपदा में एकता को समझने के लिए काशी-तमिल संगमम एक आदर्श मंच होगा। 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की समग्र रूपरेखा और भावना के तहत आयोजित होने वाला ये संगमम प्राचीन भारत और समकालीन पीढ़ी के बीच एक सेतु का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि काशी संगमम ज्ञान, संस्कृति और विरासत के इन दो प्राचीन केंद्रों के बीच की कड़ी को फिर से जोड़ेगा।

अहिल्या घाट, काशी
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विभिन्न विषयों पर विचार, गोष्ठी, चर्चा, व्याख्यान, कार्यशाला आदि आयोजित किए जाएंगे, जिसके लिए संबंधित विषयों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा। प्रधान ने कहा कि यह आयोजन छात्रों, विद्वानों, शिक्षाविदों, पेशेवरों आदि के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा एवं प्रशिक्षण से संबंधित कार्यप्रणालियों, कला एवं संस्कृति, भाषा, साहित्य आदि से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में सीखने का एक अनूठा अनुभव होगा।

आईएएनएस/RS

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