प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) ने कहा कि गीता प्रेस(Gita Press) विश्व का एकलौता प्रिंटिंग प्रेस(Printing Press) है, जो एक संस्था नहीं है, जीवन आस्था है। गीता प्रेस किसी भी मंदिर से कम नहीं है। इसके नाम में भी गीता है, इसके काम में भी गीता है। गीता में कृष्ण हैं। गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकें लोगों का मार्गदर्शन कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष(Century Year) समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने आर्ट पेपर(Art Paper) पर प्रकाशित चित्रमय शिवपुराण व नेपाली में प्रकाशित शिव महापुराण का विमोचन किया।
पीएम मोदी ने कहा कि संतों की सदाशयता कभी निष्फल नहीं होती। इसी संकल्प का परिणाम है कि आज हमारा भारत(INDIA) सफलता के नित नए आयाम छू रहा है। अपना देश विकास और विरासत दोनों को साथ लेकर चल रहा है। काशी(Kashi) और अयोध्या(Ayodhya) इसका सटीक उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा, गीता प्रेस विश्व का इकलौता ऐसा संस्थान है, जो एक जीवन आस्था है। करोड़ों लोगों के लिए ये संस्थान किसी मंदिर से कम नहीं। इसके काम और नाम में गीता है। जहां गीता है, वहां कृष्ण हैं। वहां करुणा है, ज्ञान भी है। वहां विज्ञान(Science) का शोध(Experiment) भी है।
उन्होंने कहा, इस बार का गोरखपुर का दौरा विकास भी, विरासत भी, इस नीति का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि चित्रमय शिवपुराण और नेपाली भाषा में शिव महापुराण के विमोचन का सौभाग्य मिला। अभी रेलवे स्टेशन(Railway station) जाउंगा। जबसे रेलवे स्टेशन की तस्वीर ट्वीट(Tweet) की है तो लोग आश्चर्य कर रहे हैं कि ऐसा भी विकास हो रहा है। वंदे भारत एक्सप्रेस(Vande Bharat Express) को हरी झंडी दिखाउंगा। एक समय था, जब नेता चिट्ठी लिखा करते थे कि ट्रेन(Train) का हॉल्ट(Hault) बना दें। आज नेता चिट्ठी लिखकर कहते हैं हमारे क्षेत्र से भी वंदे भारत चलाइए। यह वंदे भारत का क्रेज(Craze) है। इन सारे आयोजनों के लिए गोरखपुर के लोगों को बहुत बहुत-बधाई देता हूं।
पीएम मोदी ने कहा, सावन का पवित्र माह, इंद्र देव का आशीर्वाद, संतों की कर्मस्थली... ये गोरखपुर की गीता प्रेस। जब संतों का आशीर्वाद फलीभूत होता है तब ऐसे संस्थान बनते हैं। उन्होंने कहा, मुझे बताया गया कि गांधीजी ने सुझाव दिया था कि कल्याण पत्रिका के लिए विज्ञापन न लिया जाए। आज भी कल्याण पत्रिका गांधीजी के सुझाव का पालन कर रही है। गीता प्रेस से करोड़ों किताब प्रकाशित हो चुकी हैं। ये किताब लागत से कम मूल्य पर बिकती हैं। घर-घर पहुंचाई जाती है। आप कल्पना करिए इन किताबों ने कितने समर्पित नागरिकों का निर्माण किया। मैं ऐसे लोगों को प्रणाम करता हूं।(IANS/RR)