संविधान निर्माण से लेकर हैदराबाद विलय में सबसे आगे रहने वाले कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी

मुंशी जी सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) की पुनः स्थापना के लिए बहुत से प्रयास कर रहे थे जो जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) को पसंद नहीं थे।
संविधान निर्माण से लेकर हैदराबाद विलय में सबसे आगे रहने वाले कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (Wikimedia Commons)

संविधान निर्माण से लेकर हैदराबाद विलय में सबसे आगे रहने वाले कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (Wikimedia Commons)

मुंशी

न्यूजग्राम हिंदी: कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (Kanaiyalal Maneklal Munshi) जी ने अपनी पत्नी के साथ स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। वह बहु प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे जिन्होंने भारतवर्ष की जागृति के लिए भारत में विद्या भवन की स्थापना की। विद्या भवन की स्थापना मुंशीजी ने अपने तीन मित्रों के साथ मिलकर ₹250 प्रत्येक वर्ष के योगदान से की थी। उसके आज पूरे विश्व में 120 केंद्र और इससे जुड़े हुए शैक्षिक संस्थानों की संख्या 350 से अधिक है। इन्होंने संविधान के निर्माण में भी बहुत योगदान दिया यही कारण था कि यह संविधान सभा में 11 समितियों के सदस्य थे। संविधान निर्माण से पहले यह हैदराबाद की रियासत के विलय के लिए भारत सरकार की और से एजेंट बनकर हैदराबाद भी गए थे।

<div class="paragraphs"><p>संविधान निर्माण से लेकर हैदराबाद विलय में सबसे आगे रहने वाले कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (Wikimedia Commons)</p></div>
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यह सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) की पुनः स्थापना के लिए बहुत से प्रयास कर रहे थे जो जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) को पसंद नहीं थे। वहीं हैदराबाद विलय में इनके योगदान की सराहना खुद सरदार वल्लभभाई पटेल ने की थी। इतना ही नहीं हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के सफर में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है और यह उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके थे।

इन्होंने 1910 में मुंबई विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री पूरी की और प्रेक्टिस करते हुए बहुत कम समय हुआ था कि यह बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य वकीलों में गिने जाने लगे। इन्होंने हिंदू कानून का ज्ञान मिताक्षरा और धर्म शास्त्रों का अध्यन कर प्राप्त किया था इसीलिए इनकी पकड़ उस पर बहुत अच्छी थी।

<div class="paragraphs"><p>कन्हैया लाल मुंशी जवाहरलाल नेहरु के साथ (Wikimedia Commons)</p></div>

कन्हैया लाल मुंशी जवाहरलाल नेहरु के साथ (Wikimedia Commons)

कन्हैया लाल मुंशी

कन्हैयालाल भारत की स्वतंत्रता के लिए इतने अधिक आतुर थे कि उन्होंने पहले विश्व युद्ध के चलते हुए एनी बेसेंट द्वारा चलाए जा रहे होम रूल आंदोलन से जुड़ गए। लेकिन इसके बाद वह गांधी जी के संपर्क में आए और उन्होंने कांग्रेस का साथ देने का निर्णय लिया। इसके बाद 1928 में उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा किए जा रहे बारदोली सत्याग्रह में भी हिस्सा लिया। 1930 में हुए नमक सत्याग्रह में भी व्यापक भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने 6 महीने जेल में बिताए और इसके बाद 1931 में सविनय अवज्ञ आंदोलन में भाग लेने के लिए उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई।

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