जम्मू में होगा संस्कृत बाजार का आयोजन

इस संबंध में मंगलवार को जम्मू की सबसे बड़ी अनाज मंडी के गोदाम नेहरू मार्केट में संस्कृत बाजार का आयोजन किया गया
जम्मू में होगा संस्कृत बाजार का आयोजन (IANS)
जम्मू में होगा संस्कृत बाजार का आयोजन (IANS)संस्कृत बाजार

जम्मू (Jammu) के व्यवसायियों ने भाषा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत में बिल, रसीद आदि जारी करने की पहल की है। इस संबंध में मंगलवार को जम्मू की सबसे बड़ी अनाज मंडी के गोदाम नेहरू मार्केट में संस्कृत बाजार का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रणबीर कैंपस, कोट भलवाल के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।

इस अवसर पर गोदाम में बिकने वाले सभी सामानों के नाम संस्कृत (Sanskrit) में लिखे गए और ग्राहकों से संस्कृत में बात की गई और उन्हें संस्कृत में तैयार किए गए बिल जारी किए गए।

भाषा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत में बिल जारी करेंगे जम्मू में व्यापारी

कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व मंत्री शाम लाल शर्मा ने किया। डीआईजी शक्ति पाठक, चिदु मणि संस्कृत संस्थान ट्रस्टी, निदेशक कृषि जम्मू के.के. शर्मा, मनीष शर्मा और वाई.वी. शर्मा भी मौजूद थे।

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पहल है। शाम लाल शर्मा ने कहा, "संस्कृत भाषा का एक गौरवशाली अतीत है और यह कई भाषाओं की जननी है, इसलिए इसके प्रचार और विकास के लिए इस तरह के उपाय किए जाने चाहिए।" उन्होंने कहा कि भारत (India) में संस्कृत भाषा के विकास में डॉ. उत्तम चंद शास्त्री पाठक जी और उनके परिवार का योगदान है। उन्होंने कहा, "मैंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।"

शक्ति पाठक ने कहा, "संस्कृत भारत की प्राचीन भाषा है जो हमारी संस्कृति की रक्षा कर रही है और यह महत्वपूर्ण है कि संस्कृत जन-जन तक पहुंचे ताकि भारत की अद्भुत संस्कृति का और प्रसार हो सके"।

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श्री कैलाख ज्योतिष ओयम वैदिक सनातन ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने कहा कि संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी लिपि है। "इस भाषा को ऋषियों ने मन्त्र लेखन के लिए इसलिए चुना क्योंकि इस भाषा के शब्दों के उच्चारण से मन में उचित स्पंदन पैदा होता है और इसी भाषा में वेद प्रकट हुए और इस पवित्र भाषा में उपनिषद, रामायण (Ramayan), महाभारत (Mahabharat) और पुराण (Puran) लिखे गए। संस्कृत साहित्य मानव इतिहास का सबसे समृद्ध और संपूर्ण साहित्य है। इस कार्यक्रम को करने का मुख्य कारण दीवानी संस्कृत को बढ़ावा देना है।"

आईएएनएस/RS

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