सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या
सर्वपितृ विसर्जन अमावस्याWikimedia

सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या : भूलकर न करे ये गलतियां, पितर हो जाएंगे नाराज, लग सकता है श्राप

हिंदू पंचाग के अनुसार इस साल सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या की शुरुआत 25 सितंबर की सुबह 03 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है।

सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या के साथ ही पितृपक्ष का समापन होता है। 25 सितंबर यानी कि आने वाले रविवार को सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या है। आज हम आपको इस अमावस्या के दौरान किए जाने वाले कई कार्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको नहीं करने चाहिए ।जिन्हे करने से पितर शांत नहीं होते और आप पाप के भागी बन सकते हैं।

सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या
Holi: “त्यौहार एक, मनाने के ढंग अनेक”, यही है भारत की विशेषता।

हिंदू धर्म में पितृपक्ष के इन 15 दिनों का बहुत महत्व है। इन 15 दिनों में उन लोगों की आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ , धर्मकांड , तर्पण किया जाता हैं जो अब हमारे बीच नहीं रहे।अश्विन माह की प्रतिपदा से शुरू होकर सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या को समाप्त होने वाले पितृपक्ष के 15 दिनों में लोग जानकारी के अभाव में कुछ गलतियां कर बैठते है जो नही करनी चाहिए।

• बाल नाखून न कटवाए

सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या के दिन बाल और नाखून नही कटवाने चाहिए।ज्योतिष विद्या के अनुसार ऐसा करना पितृ दोष होता है।इस दिन नई वस्तु भी नही खरीदनी चाहिए।

• जिनकी तिथि मालूम न हो,उन्ही पितरों का करें श्राद्ध

यदि आपको अपने किसी करीबी की मृत्यु तिथि याद नही है तो आप उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या को कर सकते हैं। यदि आप अपने किसी पितर का श्राद्ध भूल गए हैं या किसी कारणवश नहीं कर पाए है तो आप उनका श्राद्ध भी इस दिन कर सकते हैं।इसके अलावा जिनकी मृत्यु इसी दिन हुई है उनका तर्पण तो करना ही चाहिए।

• इन चीजों के सेवन से बचें

सर्वपितृ अमावस्या पर तामसी भोजन, मांस, मदिरा खाने से बचना चाहिए । लहसुन, प्याज या तामसिक भोजन खाने से भी बचे। इस दिन मसूर की दाल, अलसी, धतूरा, कुलथी आदि का भोजन ग्रहण करना शुभ होता है।

• दान - दक्षिणा करें

यदि इस दिन कोई साधु संत महात्मा आपके द्वार पर दान दक्षिणा मांगने आता है तो उसे खाली हाथ ना भेजें।यह आपके पितरों को नाराज कर सकता है।जितना हो सके इस पक्ष में आटा, चावल और तिल दान करे।

• असहाय का अपमान न करें

यूं तो हमे कभी भी किसी का भी अपमान नही करना चाहिए।लेकिन इस दिन खासतौर से हमे किसी कमजोर का अपमान नही करना चाहिए।ऐसा करने से आप अपने पितरों के गुस्से का शिकार बन सकते है।इस दिन गाय,कुत्ते और चीटी को दाना डालना चाहिए।

इन बातो का भी रखें ध्यान

- श्राद्ध कर्म में लोहे के बर्तन का इस्तेमाल न करें।

- श्राद्ध कर्म में इत्र या परफ्यूम का इस्तेमाल न करे।

- ब्रह्मणों को बैठाने के लिए चटाई या लकड़ी के आसन का ही प्रयोग करें।

- ब्राह्मण को भोजन करवाते समय मौन रहें ।

- ब्राह्मणों के भोजन करने के बाद ही खाए।

- ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद पितरों को मन में याद कर भूल चूक के लिए क्षमायाचना करें।

- रात्रि में दक्षिण (South) दिशा में पितरों के नाम का सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में विराजमान होते है। सूर्य को पिता और चंद्रमा को माता का प्रतिनिधि माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन पितरों के नाम पर किए गए दान और तर्पण को ऐसा माना जाता है कि यह हमारे पितर को ही मिल रहा है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन हमारे पितर सुख समृद्धि और तरक्की का आशीर्वाद देकर वापस स्वर्ग लोग चले जाते हैं।

2022 पितृ विसर्जन अमावस्या का मुहूर्त और समय

हिंदू पंचाग के अनुसार इस साल सर्वपितृ विसर्जन अमावस्या (Sarvapitra Poojan Amavasya) की शुरुआत 25 सितंबर की सुबह 03 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है।और 26 सितंबर की सुबह 03 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी । पितृ विसर्जन 25 सितंबर को मनाया जाएगा ।

(PT)

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com