न्यूज़ग्राम हिंदी: कर्मचारियों की भलाई पर ध्यान केंद्रित करने वाले संगठनों के प्रयासों का बर्नआउट (खराब प्रदर्शन) कम करने पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। वर्कप्लेस वेलनेस इंडेक्स रिपोर्ट 'ग्रेट प्लेस टू वर्क'(Great Place to work) द्वारा कार्यस्थल की संस्कृति और कर्मचारी अनुभव पर एक वैश्विक रिपोर्ट 18 उद्योगों के 89.4 लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सर्वेक्षण पर आधारित है।
रिपोर्ट से पता चला है कि केवल 15 प्रतिशत कर्मचारी शीर्ष चतुर्थक (बॉटम क्वार्टाइल) में कंपनियों में बर्नआउट का अनुभव करते हैं, जबकि निचले चतुर्थक (बॉटम क्वार्टाइल) में यह 39 प्रतिशत है।
कार्यस्थल की संस्कृति को प्राथमिकता देने वाली और ऐसा नहीं करने वाली कंपनियों के बीच का अंतर चौंका देने वाला 14 प्रतिशत था।
ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया की सीईओ यशस्विनी रामास्वामी ने एक बयान में कहा, "कार्यस्थलों में स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती तेजी से महत्वपूर्ण हो गई है, खासकर भारत जैसे देशों में जहां समग्र स्वास्थ्य स्कोर कम है और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही हैं।"
रामास्वामी ने आगे कहा, "वर्कप्लेस वेलनेस कर्मचारी बर्नआउट के व्युत्क्रमानुपाती है, क्योंकि वर्कप्लेस वेलनेस में वृद्धि के साथ शीर्ष क्वार्टाइल कंपनियों में बर्नआउट में कमी देखी गई, जबकि वर्कप्लेस वेलनेस में कमी वाली बॉटम क्वार्टाइल कंपनियों में बर्नआउट में वृद्धि देखी गई।"
भलाई एक व्यवसायिक अनिवार्यता है और व्यक्तियों और संगठनों के लिए गैर-परक्राम्य है, विशेष रूप से भारत एक ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए बढ़ता है।
रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया है कि अन्य कार्यस्थलों पर 74 प्रतिशत कर्मचारियों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ कार्यस्थलों पर 80 प्रतिशत कर्मचारियों को लगता है कि वे अपनी मौजूदा नौकरी में लंबी अवधि तक काम कर सकते हैं और अपने कार्यो को पूरा करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को तैयार हैं।
--आईएएनएस/VS