घरेलू हिंसा, झूठे केस और मानसिक यातना, पुरुषों के खिलाफ अन्याय की सच्ची कहानी

अक्सर सोशल मीडिया या फिर खबरों में किसी महिला के शोषण या अत्याचार पर लोगों को बात करते देखा गया है या उस महिला के पक्ष में लड़ते देखा गया है लेकिन पुरुषों पर होने वाले अत्याचार के बारे में कोई बात नहीं करता।
आज के समय में अत्याचार केवल महिलाओं पर नहीं बल्कि पुरुषों पर भी होते हैं। [Pixabay] [सांकेतिक चित्र]
आज के समय में अत्याचार केवल महिलाओं पर नहीं बल्कि पुरुषों पर भी होते हैं। [Pixabay] [सांकेतिक चित्र]
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जिस प्रकार एक सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार एक सच्चाई के दो रूप हो सकते हैं एक वह सच जो बताया जाता है और दूसरा वह सच जो छुपाया जाता है, दुर्भाग्य ये है कि आज एक महिला के द्वारा कहा हुआ झूठ भी सच ही माना जाता है। 21वी सदी का समाज बदल रहा है, एक समय था जब महिलाओं पर काफी अत्याचार होते थे और वह शोषण की शिकार होती थी, हालांकि आज भी यह छवि पूरी तरह से बदली नहीं है लेकिन आज के समय में अत्याचार केवल महिलाओं पर नहीं बल्कि पुरुषों पर भी होते हैं।

अत्याचार केवल महिलाओं पर नहीं बल्कि पुरुषों पर भी होते हैं। [Pixabay] [सांकेतिक चित्र]
अत्याचार केवल महिलाओं पर नहीं बल्कि पुरुषों पर भी होते हैं। [Pixabay] [सांकेतिक चित्र]

अक्सर सोशल मीडिया या फिर खबरों में किसी महिला के शोषण या अत्याचार पर लोगों को बात करते देखा गया है या उस महिला के पक्ष में लड़ते देखा गया है लेकिन पुरुषों पर होने वाले अत्याचार के बारे में कोई बात नहीं करता। जिस तरह महिलाएं पहले अपने ऊपर होने वाले शोषण के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाती थी कुछ वैसे ही स्थिति आज पुरुषों के साथ है। हमारा संविधान महिलाओं को इतना अधिक सुरक्षा प्रदान कर चुका है कि अब वे ही महिलाएं इसका दुरुपयोग कर रहीं हैं। आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताएंगे जो एक महिला शोषण के शिकार हुए और कानून से लड़ते हुए एक ऐसी संस्था की स्थापना की जो पुरुषों पर होने वाले अत्याचार से लड़ने में मदद पहुंचाते हैं।

पुरुषों पर होने वाले अत्याचार के आंकड़े है सोचनीय

आपको बता दें कि एक आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 8 मिनट में शोषण और अत्याचार के कारण एक पुरुष आत्महत्या करता है। भारत का संविधान खासकर आर्टिकल 14 हमें समानता का अधिकार प्रदान करता है, लेकिन असल जिंदगी में यह समानता का अधिकार नहीं मिलता। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब बात जुडिशरी और पुलिस की आती है तो वह भी कई बार सही पक्ष का साथ देने के बजाय केवल महिला का साथ देकर पुरुषों पर होने वाले अत्याचार को नजरअंदाज कर देते हैं।

 अमेरिका में 44% पुरुष अपने जीवन में कभी ना कभी डोमेस्टिक वायलेंस का शिकार हुए हैं। [Pixabay] [सांकेतिक चित्र]
अमेरिका में 44% पुरुष अपने जीवन में कभी ना कभी डोमेस्टिक वायलेंस का शिकार हुए हैं। [Pixabay] [सांकेतिक चित्र]

आपको बता दें कि नेशनल लाइब्रेरी आफ मेडिसिन की रिसर्च के मुताबिक भारत में 52.4% पुरुष अपने जीवन में कभी ना कभी घरेलू हिंसा का शिकार हुए हैं। इनमें तकरीबन 49% पुरुष मेंटल हैरसमेंट का शिकार हुए हैं। तो वहीं 6% फिजिकल वायलेंस का शिकार हुए हैं। पुरुष पर होने वाली हिंसा तब सामने आई जब बेंगलुरु के एक इंजीनियर ने अपनी पत्नी के द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे और उन पर होने वाले शोषण से तंग आकर आत्महत्या कर ली। वहीं यदि पश्चिमी देशों की बात करें तो ब्रिटेन के ऑफिस फाॅर नेशनल स्टैटिसटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक इंग्लैंड में हर तीन में से एक डोमेस्टिक वायलेंस का शिकार पुरुष है। डॉमेस्टिक एब्यूज के कुल मामलों में 25% पुरुष पीड़ित पाये जाते हैं। इतना ही नहीं दुनिया की सुपर पावर अमेरिका में भी यह मामला कम नहीं है। अमेरिका में 44% पुरुष अपने जीवन में कभी ना कभी डोमेस्टिक वायलेंस का शिकार हुए हैं।

कौन है वितेश अग्रवाल?

वितेश अग्रवाल, यह न किसी सेलिब्रिटी का नाम है और ना ही किसी सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर का यह वह नाम है जिन्होंने आज अपनी संस्था के द्वारा लाखों शादीशुदा पुरुषों पर होने वाले अत्याचार के बारे में खुलकर बात की इनकी संस्था ने उन सब की मदद की। वीतेश अग्रवाल एक आईटी प्रोफेशनल है। वितेश भी शोषण का शिकार हो चुके हैं जब उनकी शादी हुई तो उन्हें अपनी होने वाली पत्नी से मिलने तक नहीं दिया गया था। शादी होने के बाद उनकी पत्नी के द्वारा उन पर कई तरह के दबाव बनाए गए। वितेश अपनी लाइफ स्टोरी के द्वारा बताते हैं कि उन्हें अपने परिवार से भी बात करने नहीं दिया जाता था मानसिक रूप से कई तरह की प्रताड़नायें झेलनी पड़ी थी। यहां तक कि जब उनकी पत्नी प्रेग्नेंट थी तो उन्होंने धमकी देते हुए वितेश को कहा था कि अगर लड़की पैदा हुई तो फिर मैं तुम्हें बताऊंगी।

 वीतेश अग्रवाल एक आईटी प्रोफेशनल है। [X]
वीतेश अग्रवाल एक आईटी प्रोफेशनल है। [X]

अपनी शादीशुदा जिंदगी की घटनाओं को बताते हुए वितेश अग्रवाल ने यह जाहिर करने की कोशिश की की कैसे एक महिला एक पुरुष की मानसिक स्थिति को खराब करने के लिए जिम्मेदार हो सकती है। इतना ही नहीं उनकी पत्नी ने उन पर कई तरह के झूठे आरोप लगाए। कई तरह के मुकदमे दायर किये, वितेश पर रेप तक का आरोप लगा जिसके कारण उनका करियर खत्म हो गया और अच्छे खासी जिंदगी उन्होंने कोर्ट कचहरी में बिता दी। वितेश की हालत कुछ ऐसी हो गई थी कि वह ना अपनी बातें किसी को कह पाए थे और ना ही मदद मांग पाए थे और यही एक कारण था कि उन्होंने एक ऐसी संस्था का गठन किया जिसमें पुरुष खुलकर अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों को बता सकते हैं।


क्या करता है मेंस वेलफेयर ट्रस्ट?


वितेश अग्रवाल और उनके साथ कुछ लोगों ने मिलकर मेंस वेलफेयर ट्रस्ट नाम का एक एनजीओ खोला इसके आज के समय में 40 ब्रांच है, जिनका उद्देश्य है मेंस राइट को लेकर बात करना। सबसे अचंभित बात यह है कि जब इस एनजीओ की शुरुआत नहीं हुई थी तब से ही, चाहे वह मिलिट्री पर्सन हो या डॉक्टर इंजीनियर सभी वितेश अग्रवाल से मदद मांगने के लिए आते थे। मेंस वेलफेयर ट्रस्ट की स्थापना के बाद इसकी संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई। एक आंकड़ा देते हुए उन्होंने बताया कि उनके पास लगभग हर महीने 5 हज़ार कॉल मदद के लिए आते हैं। यह NGO पिछले 12 सालों से में'एस राइट को लेकर काम कर रहा है और कई लोगों को मदद पहुंच चुका है।

 NGO पिछले 12 सालों से में'एस राइट को लेकर काम कर रहा है और कई लोगों को मदद पहुंच चुका है। [X]
NGO पिछले 12 सालों से में'एस राइट को लेकर काम कर रहा है और कई लोगों को मदद पहुंच चुका है। [X]

भारत देश एक पुरुष प्रधान देश है जहां पुरुष का महत्व काफी अधिक है लेकिन आज के समय में यह महत्व केवल कहने के लिए ही रह गया है, असलियत इस से कहीं दूर है जो कई बार सामने आती हैं तो कई बार नहीं भी आती हैं। एक समय ऐसा हुआ करता था जब महिलाओं की शिक्षा, उनकी सुरक्षा उन पर होने वाले अत्याचार, उत्पीड़न के बारे में खूब चर्चा होती थी लेकिन आज जब महिलाओं को अधिकार मिले, शिक्षा दी गई तो वह उसका गलत उपयोग करती नजर आ रही है और यह काफी सोचनीय है। हालांकि जिस प्रकार सभी पुरुष अत्याचारी या रेपिस्ट नहीं होता, उसी प्रकार सभी महिलाएं पुरुषों के उत्पीड़न या उन पर अत्याचार करने वाली भी नहीं होती। [Rh/SP]

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