नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA): भूमिका, ज़िम्मेदारियाँ और छात्रों की चिंताएँ

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) भारत की सबसे बड़ी परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था है। इसे पारदर्शिता और सुधार के लिए बनाया गया था, लेकिन समय-समय पर विवादों और गड़बड़ियों ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए है। अब ज़रूरत है कि यह संस्था छात्रों की मानसिक सेहत और परीक्षा की ईमानदारी दोनों को प्राथमिकता दे।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी
नेशनल टेस्टिंग एजेंसीNTA
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नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) भारत की शिक्षा व्यवस्था का सबसे अहम हिस्सा बन चुकी है। इसे नवंबर 2017 में शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) ने बनाया था ताकि देशभर में होने वाली बड़ी परीक्षाओं को पारदर्शी और सही तरीके से कराया जा सके। इसका काम है ऐसी परीक्षाएँ करवाना जिनसे लाखों छात्रों का भविष्य तय होता है, जैसे जेईई मेन (JEE Main), नीट-यूजी (NEET-UG), यूजीसी-नेट (UGC-NET), सीएसआईआर-नेट (CSIR-NET), सीयूईटी (CUET), सीएमएटी (CMAT), जीपैट (GPAT) और सैनिक स्कूल की एंट्रेंस टेस्ट। NTA बनाने का मकसद था कि परीक्षाएँ ईमानदारी से हों, नकल या गड़बड़ी कम हो और सभी छात्रों को बराबरी का मौका मिले। लेकिन समय के साथ इस एजेंसी पर कई सवाल उठे।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का ऐतिहासि

भारत (India) में एक अलग संस्था बनाने का विचार, जो सिर्फ परीक्षाएँ कराए, इस पर विचार विमश बहुत पहले से चलता आ रहा है। 1992 की शिक्षा नीति में पहली बार यह सुझाव आया था। बाद में, 2010 में उच्च शिक्षा सुधार समिति ने भी इसकी ज़रूरत बताई। 2013 में एक टास्क फोर्स बनी जिसने इसका ढांचा तैयार किया।

आखिरकार, 2017 के बजट (Budget) में सरकार ने इसे मंजूरी दी, पहले साल के लिए इसे 25 करोड़ रुपये का बजट दिया गया। विनीत जोशी (Vinit Joshi) पहले महानिदेशक बने और आज इस संस्था का हेडक्वार्टर नई दिल्ली (New Delhi) के ओखला (Okhla) इंडस्ट्रियल एस्टेट है। इसके प्रमुख चेयरमैन प्रदीप कुमार जोशी हैं और महानिदेशक का अतिरिक्त कार्यभार प्रदीप सिंह खरौला संभाल रहे हैं।

एनटीए द्वारा आयोजित प्रमुख परीक्षाएँ

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी कई स्तर की परीक्षाएँ आयोजित करती है। जैसे जेईई मेनइंगनीरिंग के लिए , नीट-यूजी डॉक्टरी के लिए। सीयूईटी (CUET) 2022 में शुरू हुआ जिससे अब सैकड़ों विश्वविद्यालयों में दाखिला इसी के ज़रिए होता है। इसके अलावा सीएमएटी और जीपैट जैसी परीक्षाएँ MBA और फार्मेसी कोर्स के लिए।

इसके साथ ही, यूजीसी-नेट (UGC NET) और सीएसआईआर-नेट (CSIR NET) जैसी परीक्षाएँ होती हैं जो विश्वविद्यालयों मै अध्यापन और शोध के लिए ज़रूरी हैं। NTA, नवोदय विद्यालय समिति और सैनिक स्कूल जैसी संस्थाओं की भी प्रवेश परीक्षाएँ (Entrance Level Examination) कराता है।

कई सेंटर काफी दूर-दराज़ इलाकों में थे जहाँ पहुँचना मुश्किल था।
कई सेंटर काफी दूर-दराज़ इलाकों में थे जहाँ पहुँचना मुश्किल था।AI Generated

विवाद और आलोचनाएँ

भले ही NTA को सुधार की सोच के साथ बनाया गया था, लेकिन इसको लेकर कई बार विवाद खड़े हुए।

2020 में जेईई मेन (असम टॉपर स्कैम) सामने आया। आरोप लगे कि एक छात्र ने अपनी जगह किसी और से परीक्षा दिलवाई। इससे बायोमेट्रिक और सुरक्षा सिस्टम पर सवाल उठे। 2020 के नीट-यूजी में कई छात्रों को गलत मार्कशीट मिली। इस गलती से कुछ छात्र कोर्ट तक पहुँचे। इससे नतीजों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए। 2022 में जेईई मेन परीक्षा के दौरान तकनीकी दिक्कतें आईं। कई छात्रों को लॉगिन फेलियर (Login Failure), कंप्यूटर फ्रीज़ (Computer Freeze) और सिस्टम क्रैश जैसी समस्याएँ हुईं। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि जिन छात्रों का समय बर्बाद हुआ, उन्हें अतिरिक्त समय नहीं मिला।

2024 में जेईई मेन पर फिर विवाद हुआ। छात्रों ने आरोप लगाया कि अलग-अलग शिफ्ट्स में कठिनाई का स्तर एक जैसा नहीं था। कुछ स्लॉट बहुत कठिन थे और कुछ आसान। इससे परसेंटाइल (Percentile) कैलकुलेशन की प्रक्रिया पर भी सवाल उठे। 2024 का नीट-यूजी विवाद सबसे बड़ा रहा। इसमें पेपर लीक, ज़्यादा अंक देना और ग्रेस मार्क्स (Grace Marks) जैसी बातें सामने आईं। बाद में कुछ छात्रों को दोबारा परीक्षा देनी पड़ी। इस विवाद का असर इतना गहरा था कि कई छात्रों ने गलत परिणाम आने की वजह से आत्महत्या कर ली।

सीयूईटी

सीयूईटी (CUET) परीक्षा दे रहे छात्रों को भी कई चुनौतियाँ का सामना करना पड़ा। हज़ारों छात्रों को उनके शहर से सैकड़ों किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र (Examination Centre) दिए गए। कई छात्रों को अचानक परीक्षा रद्द होने या आखिरी समय पर पोस्टपोन होने की सूचना मिली।

कई सेंटर काफी दूर-दराज़ इलाकों में थे जहाँ पहुँचना मुश्किल था। परीक्षा ऑनलाइन मोड में होती है और यहाँ भी तकनीकी समस्याएँ सामने आईं। कंप्यूटर फ्रीज़ होना, लॉगिन न होना और इंटरनेट की गड़बड़ी जैसी दिक्कतों ने छात्रों का समय बर्बाद किया। सबसे बड़ी समस्या यह रही कि छात्रों को अतिरिक्त समय नहीं दिया गया। इसके बाद नॉर्मलाइज़ेशन के ज़रिए नतीजे घोषित किए गए, लेकिन बहुत से छात्रों ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया सही नहीं है और उनके नतीजे उनकी अपेक्षा जितने नहीं आए।

भले ही NTA को सुधार की सोच के साथ बनाया गया था, लेकिन इसको लेकर कई बार विवाद खड़े हुए।
भले ही NTA को सुधार की सोच के साथ बनाया गया था, लेकिन इसको लेकर कई बार विवाद खड़े हुए।AI Generated

निष्कर्ष

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को इसलिए बनाया गया था कि भारत (India) की परीक्षा प्रणाली में सुधार हो और छात्रों को न्यायपूर्ण अवसर मिले। इसमें कुछ हद तक सफलता मिली भी है, लेकिन बार-बार के विवाद, चाहे वह प्रॉक्सी स्कैम हो, तकनीकी गड़बड़ी हो या नीट और सीयूईटी जैसी परीक्षाओं में गड़बड़ी, इस संस्था की छवि को नुकसान पहुँचा रहे हैं। लाखों छात्रों के लिए ये परीक्षाएँ सिर्फ टेस्ट नहीं बल्कि उनकी ज़िंदगी बदलने का एक मौका होता हैं। इसलिए ज़रूरी है कि NTA परीक्षाओं को पूरी तरह से पारदर्शी और सही ढंग से कराए।

(Rh/BA)

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