इस साल के 17 नवंबर को विश्व फिलॉसफी दिवस (World Philosophy Day) होगा। इस दिवस की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र शिक्षा,विज्ञान व संस्कृति संगठन (यूनेस्को) द्वारा वर्ष 2002 में की गयी। इसका उद्देश्य विश्व के विभिन्न देशों की जनता को अपनी-अपनी फिलॉसफी विरासत साझा करने की प्रेरणा देना है, ताकि हम फिलॉसफी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें और अपने जीवन में फिलॉसफी का आकर्षण महसूस करें और मानव समाज के विकास को अधिक बढ़ावा मिले। गौरतलब है कि यूनेस्को (UNESCO) ने हर साल के नवंबर के तीसरे गुरुवार को विश्व फिलॉसफी दिवस निर्धारित किया। फिलॉसफी विभिन्न शास्त्रों की मां मानी जाती है ।फिल़ॉसफी सीखने का बड़ा लाभ होता है ।
विश्वविख्यात दार्शनिक बट्र्रेंड रुसेल ने कहा था कि फिलॉसफी की दो बड़ी भूमिकाएं हैं। पहला, वह उन चीजों के प्रति हमारी सक्रिय सोच को बनाए रखती है, जिनकी अब तक वैज्ञानिक जांच (scientific investigation) व पुष्टि नहीं की गयी। मानव कई चीजों में रुचि रखता है और विज्ञान सिर्फ उनमें से एक छोटा भाग है। मानव की वैज्ञानिक पहचान के विकास की विशाल गुंजाइश है। हमें अपनी कल्पना किसी निर्धारित दायरे में नहीं सीमित करनी चाहिए। इसलिए परिकल्पना के क्षेत्रों में विश्व के प्रति सक्रिय सोच का विस्तार करने में दर्शन की एक अहम भूमिका है। दूसरा ,फिलॉसफी से हम अपने आप की समझ बढ़ा सकते हैं। रुसेल ने कहा कि फिलॉसफी का ज्ञान न रखने वाले लोग विभिन्न पूर्वाग्रहों (Prejudices) से प्रभावित होते हैं। वे आसानी से नये विचारों को खारिज करते हैं। फिलॉसफी से हमें पता चलता है कि काफी ज्ञान ऊपरी तौर पर देखने में सही लगता है किंतु वास्तव में गलत या सटीक नहीं होता है।
इसलिए हर युग में कई विचारक और दार्शनिक साहस से विभिन्न परिकल्पनाएं प्रस्तुत करते हैं। वे परंपरा तोड़कर हमारी पहचान की सीमा का निरंतर विस्तार करते हैं और किसी हद तक मानव समाज की प्रगति बढ़ाते हैं। अवश्य दार्शनिकों (Philosophers) का मुख्य कर्तव्य विश्व को बदलना नहीं है, बल्कि विश्व के प्रति हमारे विचार निरंतर बदलते हैं।
आम लोगों को कुछ न कुछ फिलॉसफी सीखने से कई लाभ भी होते हैं। जैसे फिलॉसफी हमारी स्वतंत्र सोच की क्षमता तैयार कर सकता है। फिलॉसफी का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद आप बाहर से आने वाली विभिन्न सूचनाओं के प्रति सतर्क रहते हैं और आसानी से दूसरे के बहकावे में नहीं आते और आप सावधानी से अपनी विभिन्न अवधारणा की जांच शुरू करेंगे। यह तो स्वतंत्र सोच की शुरूआत है। उधर फिलॉसफी समग्र तौर पर विश्व का अध्ययन करने वाला शास्त्र है। वह बुद्धिमता का शास्त्र कहा जाता है। इसलिए वह हमारे दिमाग (brain) में विश्व को पहचानने के कोआडिनेट तंत्र की स्थापना के लिए मददगार होता है।
फिलॉसफी के ज्ञान के अनुसार हम अपने जीवन में अपनी मानसिकता (mentality) की स्थिति,सोच व अवधारणा में सुधार सकते हैं और विश्व व जीवन के प्रति अधिक स्पष्ट रूप से जानकारी रख सकते हैं। यह बड़ी खुशी की बात है।
आईएएनएस/RS