चीन में इन दिनों पड़ रही है भीषण गर्मी, ग्लोबल वार्मिंग है वजह

इस साल राजधानी पेइचिंग सहित उत्तरी चीन(Northern China) के कई शहरों और क्षेत्रों में भीषण गर्मी पड़ रही है। तापमान(Temperature) सामान्य से ऊपर चल रहा है। पेइचिंग, हबेई और थ्येनचिन आदि जगहों में रिकार्ड तोड़ गर्मी से लोग परेशान हैं। जून और जुलाई महीने में कई बार पारा 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है। इस तरह की गर्मी और लू चलना इन शहरों के लिए नया है। हालांकि, यहां गर्मी पड़ती है। लेकिन, इस वर्ष बहुत तेज और झुलसाने वाला मौसम बना हुआ है।
चीन में इन दिनों पड़ रही है भीषण गर्मी, ग्लोबल वार्मिंग है वजह।(Wikimedia Commons)
चीन में इन दिनों पड़ रही है भीषण गर्मी, ग्लोबल वार्मिंग है वजह।(Wikimedia Commons)

इस साल राजधानी पेइचिंग सहित उत्तरी चीन के कई शहरों और क्षेत्रों में भीषण गर्मी पड़ रही है। तापमान सामान्य से ऊपर चल रहा है। पेइचिंग, हबेई और थ्येनचिन आदि जगहों में रिकार्ड तोड़ गर्मी से लोग परेशान हैं। जून और जुलाई महीने में कई बार पारा 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है। इस तरह की गर्मी और लू चलना इन शहरों के लिए नया है। हालांकि, यहां गर्मी पड़ती है। लेकिन, इस वर्ष बहुत तेज और झुलसाने वाला मौसम बना हुआ है।

पेइचिंग व अन्य शहरों में गर्म मौसम(Hot weather) के कारण रेड अलर्ट(Red alert) जारी करना पड़ा है। इसी से आप इन इलाकों में पड़ रही गर्मी का अंदाजा लगा सकते हैं। एक ओर उत्तरी चीन में गर्मी परेशान कर रही है, वहीं दक्षिण चीन में भारी बारिश ने कहर ढाया है। जबकि पड़ोसी देश भारत के उत्तरी राज्यों में बारिश और बाढ़ ने तबाही मचायी हुई है। आखिर क्या वजह है कि हाल के कुछ वर्षों से कई देशों में एक्स्ट्रीम वेदर कंडिशन(Extreme weather condition) सामने आ रही है। कहीं बाढ़ आती है, कहीं सूखा और कहीं भीषण गर्मी आदि।

चीन में इन दिनों पड़ रही है भीषण गर्मी, ग्लोबल वार्मिंग है वजह।(Wikimedia Commons)
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मौसम विज्ञानी(Weather scientist) इस तरह के मौसम के लिए ग्लोबल वार्मिंग(Global warning) को जिम्मेदार बता रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है जब विशेषज्ञ इस तरह के वेदर की ये वजह बता चुके हैं। इस बीच विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Weather Science Organization)) ने चेतावनी दी है कि विश्व के कई हिस्सों में तापमान व गर्मी में और इजाफा हो सकता है। क्योंकि सात वर्षों में पहली बार उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो मौसम पैटर्न उभर रहा है, जो स्थिति को बिगाड़ देगा।

डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेट्री तालास के मुताबिक अल नीनो की शुरुआत से विश्व के तमाम क्षेत्रों और समुद्र में तापमान बढ़ने का रिकार्ड टूटेगा। जिससे लोगों को झुलसाती गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विज्ञान संगठन की चेतावनी गंभीर लगती है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से लगातार धरती का तापमान बढ़ रहा है और विपरीत मौसम परिस्थितियां सामने आ रही हैं। जिसके चलते जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
 
उधर, चाइनीज़ एकेडमी ऑफ साइंसेज़ के इंस्टीट्यूट ऑफ एटमॉस्फेरिक फिजिक्स के एक शोधकर्ता वेई ख का कहना है कि इन क्षेत्रों में तापमान में बढ़ोतरी और तेज गर्मी किस वजह से पड़ रही है, यह बताना थोड़ा जटिल है। लेकिन यह कहा जा सकता है मुख्य रूप से ग्लोबल वार्मिंग से हमें इस तरह के मौसम का सामना करना पड़ रहा है।
 
बताया जाता है कि ऐसी स्थिति हर दो से सात साल में होती है, जो 9 से 12 महीने तक कायम रह सकती है।

गौरतलब है कि अल नीनो, पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर(Middle Pacific Ocean)में पानी की सतह के तापमान का बढ़ना, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के साथ-साथ भारी बारिश और गंभीर सूखा पड़ रहा है।
इस तरह पूरी दुनिया में इस तरह की मौसम परिस्थितियां बार-बार आ रही हैं, जो हम सभी के लिए बड़ी चेतावनी हैं।(IANS/RR)

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