मंगल से आया करोड़ों का पत्थर : 44 करोड़ में बिका धरती का सबसे अनमोल उल्कापिंड

मंगल ग्रह (Mars) से आया 24 किलो का दुर्लभ पत्थर (Rare Stone) NWA 16788 न्यूयॉर्क में नीलामी के दौरान 44 करोड़ रुपये में बिका। यह अब तक नीलामी में बिका सबसे बड़ा और महंगा मंगल का उल्कापिंड (Meteorite) है। वैज्ञानिकों ने इसे बेहद दुर्लभ और शोध के लिए महत्वपूर्ण बताया है।
मंगल का टुकड़ा बना करोड़ों की धरोहर, 44 करोड़ में बिका अनोखा उल्कापिंड।       (Sora AI)
मंगल का टुकड़ा बना करोड़ों की धरोहर, 44 करोड़ में बिका अनोखा उल्कापिंड। (Sora AI)
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मंगल ग्रह (Mars) से पृथ्वी पर गिरा एक अनमोल उल्कापिंड (Meteorite) बुधवार को न्यूयॉर्क में हुए एक खास कार्यक्रम में नीलामी के दौरान 44 करोड़ रुपये में बिका। इस पत्थर का नाम NWA 16788 है और इसका वजन लगभग 24.67 किलोग्राम है। इसे दुनिया की प्रसिद्ध नीलामी संस्था सोथबीज (Sotheby’s) ने नीलाम किया। यह अब तक नीलामी में बिकने वाला सबसे बड़ा और सबसे महंगा मंगल ग्रह (Mars) का पत्थर बन गया है। इस खास उल्कापिंड की बोली मात्र 15 मिनट में पूरी हो गई, जिसमें दुनियाभर से लोग ऑनलाइन और फोन कॉल्स के जरिए शामिल हुए। बोली की अंतिम राशि 5.3 मिलियन डॉलर यानी लगभग 44 करोड़ रुपये पर जाकर खत्म हुई। दिलचस्प बात यह रही कि इसे खरीदने वाले ने अपनी पहचान गुप्त रखी है।

यह उल्कापिंड (Meteorite) नवंबर 2023 में अफ्रीका के नाइजर देश के सहारा रेगिस्तान में मिला था। एक शिकारी समूह ने इसे खोजा था। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह टुकड़ा करीब 50 लाख साल पहले मंगल ग्रह (Mars) पर एक बड़े टकराव के दौरान अंतरिक्ष में उछला था और वहां से निकलकर 22.5 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय कर पृथ्वी पर आ गिरा।

मंगल से आया पत्थर बना नीलामी का सितारा, खरीदार ने दिए 44 करोड़ रुपये ।     (Sora AI)
मंगल से आया पत्थर बना नीलामी का सितारा, खरीदार ने दिए 44 करोड़ रुपये । (Sora AI)

यह पत्थर लाल-भूरे रंग का है, जो मंगल की मिट्टी जैसा दिखता है। इसमें कांच जैसी परतें हैं, जो इसके वायुमंडल से गुजरने के कारण बनीं। यह 21.2% मास्केलिनाइट, पाइरॉक्सीन और ओलिवाइन जैसे दुर्लभ खनिजों से बना है। इसकी सतह पर बहुत कम जंग है, जिससे वैज्ञानिकों को पता चला कि यह हाल ही में पृथ्वी पर गिरा है।

इस उल्कापिंड (Meteorite) का एक टुकड़ा शंघाई एस्ट्रोनॉमी म्यूजियम भेजा गया, जहां वैज्ञानिकों ने इसकी संरचना की जांच की। जांच में यह एक शेरगोटाइट किस्म की चट्टान पाई गई, जो केवल मंगल ग्रह (Mars) पर पाई जाती है। इसके बाद अमेरिका, कनाडा और चीन के वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि की। मेटियोराइटिकल सोसाइटी ने भी इसे मंगल ग्रह (Mars) से आया उल्कापिंड घोषित किया।

धरती पर गिरा मंगल का खजाना, 15 मिनट की बोली में बिका 44 करोड़ में ।   (Sora AI)
धरती पर गिरा मंगल का खजाना, 15 मिनट की बोली में बिका 44 करोड़ में । (Sora AI)

अब तक पृथ्वी पर लगभग 77,000 उल्कापिंड (Meteorite) पाए गए हैं। इनमें से सिर्फ 400 ही मंगल ग्रह (Mars) के हैं। NWA 16788 अकेले ही इन 400 में से 6.5% हिस्सा है। इसका वजन पिछले सबसे बड़े मंगल उल्कापिंड (Taoudenni 002) से 70% ज्यादा है।

सोथबीज द्वारा आयोजित यह नीलामी ‘गीक वीक’ का हिस्सा थी, जिसमें वैज्ञानिक और अंतरिक्ष संबंधी वस्तुएं बेची गईं। NWA 16788 को 8 से 15 जुलाई तक न्यूयॉर्क में प्रदर्शित किया गया था और इसकी बोली 16 जुलाई को दोपहर 2 बजे शुरू हुई। इस नीलामी में भुगतान के लिए क्रिप्टोकरेंसी (Bitcoin, Ethereum, USDC) का भी विकल्प रखा गया था।

इस नीलामी में सिर्फ मंगल का पत्थर ही नहीं, बल्कि कई डायनासोर के अवशेष भी बेचे गए, सेराटोसॉरस का कंकाल (Jurassic काल का) – 223 करोड़ रुपये में बिका। पचीसेफालोसॉरस की खोपड़ी (Cretaceous काल की) – 11.5 करोड़ रुपये में बिकी।

सोथबीज की उपाध्यक्ष और विज्ञान विशेषज्ञ कैसंड्रा हैटन ने कहा, “यह एक पीढ़ी में एक बार मिलने वाला खजाना है। यह सिर्फ एक पत्थर नहीं, बल्कि मंगल ग्रह से जुड़ा एक वास्तविक टुकड़ा है, जो अब हमारी धरती पर है।”

यह मंगल ग्रह (Mars) के इतिहास और भूगर्भीय गतिविधियों को समझने में मदद कर सकता है। इसका अध्ययन पर्पल माउंटेन ऑब्जर्वेटरी (चीन) और कई अन्य शोध संस्थानों में किया जा रहा है। इससे मंगल की आंतरिक परतों और ज्वालामुखीय गतिविधियों के बारे में अहम जानकारी मिल सकती है।

22 करोड़ किलोमीटर की यात्रा के बाद, मंगल का पत्थर बिका 44 करोड़ में।   (Sora AI)
22 करोड़ किलोमीटर की यात्रा के बाद, मंगल का पत्थर बिका 44 करोड़ में। (Sora AI)

निष्कर्ष

मंगल ग्रह (Mars) से आया यह अनोखा पत्थर सिर्फ विज्ञान प्रेमियों और संग्रहकर्ताओं के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे मानव ज्ञान और इतिहास के लिए एक कीमती धरोहर बन गया है। इसकी नीलामी ने यह साबित कर दिया कि अंतरिक्ष से जुड़ी वस्तुएं अब सिर्फ दूर की चीज़ नहीं रहीं, बल्कि हमारी ज़िंदगी और जिज्ञासा का हिस्सा बन चुकी हैं। [Rh/PS]

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