कश्मीर (Kashmir) एक ऐसी जगह है, जो कि आपके लिए कभी भी पर्याप्त नहीं हो सकती है। 1915 में पर्यटक के रूप में कश्मीर आए दो भाइयों अमरनाथ मेहता (Amarnath Mehta) और रामचंद मेहता (Ramchand Mehta) ने इस कहावत को साबित किया है।
उनकी यात्रा कुल मिलाकर एक घर वापसी की तरह ही थी, क्योंकि उन्होंने कश्मीर में रहने का फैसला इसलिए किया था कि वह अपने फोटोग्राफी के जुनून को कायम रख सकें। फोटोग्राफी (Photography) के लिए कश्मीर में उनके पास मंत्रमुग्ध करने वाली घाटी, इसकी शाही भव्यता और यहां के लोगों की सादगी से बेहतर अभिव्यक्ति का कोई साधन नहीं हो सकता था।
तीन पीढ़ियों से, मेहता परिवार मानता है कि कश्मीर फोटोग्राफर और फोटो प्रेमियों के लिए मक्का है।
अमरनाथ और रामचंद 1905 में गुरदासपुर (पंजाब) से कश्मीर आए थे। 1915 में, उन्होंने श्रीनगर (Shrinagar) शहर की झेलम नदी पर एक हाउसबोट में एक फोटो शॉप शुरू की।
उन्होंने कहा कि रामचंद मेहता ने सोफी सहित अपने कर्मचारियों को अपने बच्चों की तरह माना।
सोफी ने याद करते हुए कहा, "1994 में उनकी मृत्यु के बाद, जगदीश मेहता ने पदभार संभाला। वह हमेशा हमें बताते थे कि चूंकि सीनियर मेहता हमें अपना बेटा कहते थे, इसलिए हम उनके भाई हुए।"
उन्होंने बताया कि संयोग से, रामचंद मेहता, उनकी पत्नी और बेटे जगदीश सभी का 23 जून को निधन हो गया । हालांकि उन सभी का निधन अलग-अलग वर्षो में हुआ था।
सोफी ने आगे कहा, "मैं 'माहट्टा' में आधिकारिक तौर पर कश्मीर में वीवीआईपी कार्यो के लिए फोटोग्राफर के रूप में लगा हुआ था। मैंने दिवंगत इंदिरा गांधी, ज्ञानी जैल सिंह, नीलम संजीव रेड्डी, शेख मुहम्मद अब्दुल्ला और अन्य वरिष्ठ नेताओं की तस्वीरें ली हैं।"
उन्होंने कहा, "फिल्मी सितारों में, मैंने दिलीप कुमार, सायरा बानो, राजेश खन्ना और जगदीप के कश्मीर दौरे के दौरान उनकी तस्वीरें खींची हैं।"
सोफी ने एक बच्चे की तरह पुराने समय को याद किया, जिसने अब अपने सभी खिलौने खो दिए हैं। उन्होंने कहा, "स्टूडियो में तस्वीरें लेना, उन्हें सुधारना, फिल्मों को प्रोसेस करना, रंगों को आगे बढ़ाना आदि एक कला थी जो अब गायब हो गई है। लोग इन दिनों डिजिटल फोन या कैमरे से शूट करते हैं।"
उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी अब एक ऐसी कला नहीं रह गई है, जो पहले हुआ करती थी। 1957 में दिल्ली और श्रीनगर में रंगीन फोटोग्राफी शुरू करने वाला 'माहट्टा' सबसे पहला स्टूडियो था। मुंबई को छोड़कर, ये केवल दो स्थान थे, जहां रंगीन फोटोग्राफी उपलब्ध थी।
1915 के बाद 'माहट्टा' के प्रति जुनून और उसके बढ़ते व्यवसाय की कोई सीमा नहीं थी। स्टूडियो शुरू में पोट्र्रेट के लिए जाना जाने लगा, क्योंकि यह पहला ऐसा स्थान था, जहां ग्राहकों को सभी प्रकार के प्रॉप्स और बैकग्राउंड क्रिएट करने की सुविधा थी। उनका कारोबार बेतहाशा बढ़ा। उन्होंने लाहौर, सियालकोट, रावलपिंडी और पाकिस्तान के मुर्री हिल स्टेशन पर फोटो स्टूडियो की स्थापना की।
1947 में देश के बंटवारे के साथ इन स्टूडियो को बंद करना पड़ा, लेकिन इसके बाद उन्होंने दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक बड़ा फोटो स्टूडियो शुरू किया, जो कुछ साल पहले ही बंद हो गया। रामचंद मेहता के बेटे जगदीश मेहता ने 2016 में अपनी मृत्यु तक स्टूडियो संभाला और उनकी पत्नी अनीता मेहता इन दिनों स्टूडियो चलाती हैं।
अनीता मेहता ने कहा, "हमने अपनी विरासत को जारी रखने में तीन पीढ़ियां बिताई हैं। स्थानीय कला, संस्कृति, शिल्प, रीति-रिवाजों, विरासत, पर्यटन और राजनीति के संरक्षण से लेकर कई चीजें हमारे पास हमारी गैलरी में फ्रेम दर फ्रेम संरक्षित है।" उन्होंने कहा कि परिवार कश्मीर द्वारा उन्हें दी गई महानता का कुछ हिस्सा वापस करना चाहता है।
उन्होंने आगे कहा, "मेरे लिए पारिवारिक परंपरा और विरासत को बनाए रखना एक पूजा है। मेरे दो बेटे दिल्ली में काम करते हैं और हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी फोटो स्टॉक एजेंसी है। तो आप समझते हैं कि हम व्यापार में नुकसान और अन्य परेशानियों से नहीं डरे हैं, जिनका हमने हर दूसरे कश्मीरी की तरह सामना किया है।"
मेहता ने कहा, "अपने शुद्ध और पारंपरिक रूप में फोटोग्राफी का एक भविष्य है, जिसे कोई भी छीन नहीं सकता। प्रौद्योगिकी एक संपत्ति के रूप में आती है, कला के दुश्मन के रूप में नहीं"
अनीता मेहता ने कहा, "भूतल (ग्राउंड फ्लोर) पर, हम एक कैफे चलाते हैं, जहां युवा और बूढ़े हमारी फोटो गैलरी देखने के लिए इकट्ठा होते हैं और बीते दिनों की घटनाओं के साथ-साथ इस जगह के भविष्य पर इस भव्य विरासत के प्रभाव पर चर्चा करते हैं।"
ये फोटो गैलरी वास्तव में न केवल कश्मीर, बल्कि पूरे देश का संजोए हुए है। यहां महाराजा हरि सिंह, उनके शाही दरबार, उनके बेटे और राज्य के पहले रीजेंट कर्ण सिंह, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, शेख अब्दुल्ला, वी.पी. सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य लोगों के फोटोग्राफ मौजूद हैं। ये मेहता द्वारा शुरू किए गए स्टूडियो की ओर से ली गई मूल तस्वीरें हैं और इनमें कोई भी एडिटिंग नहीं की गई है।
इसी तरह, उनके पास अलग-अलग समय पर ली गई अमरनाथ पवित्र गुफा की मूल तस्वीरें हैं।
अनीता के दो बेटे अब दिल्ली में काम कर रहे हैं जबकि वह कश्मीर में पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ा रही है। 2012 में, भारत सरकार ने स्टूडियो को देश के दूसरे सबसे पुराने फोटो स्टूडियो के रूप में मान्यता दी थी।
आईएएनएस (PS)