चार महानगर को जोड़ने वाला ये राजमार्ग, Golden Quadrilateral के नाम से है मशहूर

इसकी शुरूआत दिल्‍ली से होती है और कोलकाता, चेन्‍नई के बाद मुंबई होती हुई यह फिर से दिल्‍ली आती है। यह इकलौती ऐसी राजमार्ग परियोजना है जिससे देश के चार महानगर आपस में जुड़ जाते हैं।
Golden Quadrilateral :प्रधानमंत्री स्वर्णिम चतुर्भुज योजना भारत की सबसे बड़ी और विश्व की 5वीं सबसे बड़ी योजनी थी।  (Wikimedia Commons)
Golden Quadrilateral :प्रधानमंत्री स्वर्णिम चतुर्भुज योजना भारत की सबसे बड़ी और विश्व की 5वीं सबसे बड़ी योजनी थी। (Wikimedia Commons)

Golden Quadrilateral : भारत में लगातार एक्‍सप्रेस वे और नेशनल हाइवे दिन पर दिन बेहतर किए जा रहे हैं। जिसका सीधा फायदा सामान ढोने वाले वाहनों सहित पर्यटन और कई क्षेत्रों को मिल रहा है। आज हम जिस हाइवे की बात करने जा रहे हैं, वो भारत में स्वर्णिम चतुर्भुज के नाम से अलग पहचान रखने वाला मुख्‍य हाइवे है। तो आइए जानते हैं स्वर्णिम चतुर्भुज की कुल दूरी कितनी है और इसकी क्‍या खासियत हैं।

प्रधानमंत्री स्वर्णिम चतुर्भुज योजना भारत की सबसे बड़ी और विश्व की 5वीं सबसे बड़ी योजनी थी। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था कि देश के प्रमुख महानगरों को सड़क के माध्यम से जोड़ा जाए।

कितनी है इसकी दूरी

स्वर्णिम चतुर्भुज की कुल दूरी 5800 किलोमीटर से ज्‍यादा है। इसकी शुरूआत दिल्‍ली से होती है और कोलकाता, चेन्‍नई के बाद मुंबई होती हुई यह फिर से दिल्‍ली आती है। यह इकलौती ऐसी राजमार्ग परियोजना है जिससे देश के चार महानगर आपस में जुड़ जाते हैं। इसलिए यह देश की सबसे महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं में से एक बन जाती है। यदि हम एक महानगर से दूसरे महानगर की दूरी की बात करें, तो दिल्‍ली से कोलकाता की दूरी 1453 किलोमीटर की है। कोलकाता से चेन्‍नई की दूरी 1684 किलोमीटर, चेन्‍नई से मुंबई की दूरी 1290 किलोमीटर मुंबई से दिल्‍ली की दूरी 1419 किलोमीटर की है। जिसके बाद यह राजमार्ग की कुल दूरी 5846 किलोमीटर की हो जाती है।

इस राजमार्ग को चार और छह लेन का बनाया गया है। जिसपर भारी वाहनों को आसानी से चलाया जा सकता है। (Wikimedia Commons)
इस राजमार्ग को चार और छह लेन का बनाया गया है। जिसपर भारी वाहनों को आसानी से चलाया जा सकता है। (Wikimedia Commons)

क्या है खासियत

इस राजमार्ग को चार और छह लेन का बनाया गया है। जिसपर भारी वाहनों को आसानी से चलाया जा सकता है। यात्रियों के कई जगहों पर रेस्‍टोरेंट, पेट्रोल पंप और अन्‍य सुविधाओं को भी दिया गया है। इसे बनाने में करीब 600 करोड़ रुपये की लागत आई थी और इसे पूरा करने में करीब 11 साल का समय लगा था। यह राजमार्ग देश के कुल 13 राज्‍यों से गुजरता है, जिसमें दिल्‍ली, हरियाणा, राजस्‍थान, उत्‍तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्‍ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक शामिल हैं। इसके साथ ही इस राजमार्ग से दिल्‍ली, आगरा, जयपुर, भुवनेश्‍वर, कानपुर, पुणे, बेंगलुरू, कोलकाता, सूरत, विजयवाड़ा, अहमदाबाद जैसे शहर भी आपस में जुड़ जाते हैं।

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