
इतिहास के पन्नों में 8 सितम्बर का दिन कई मायनों में खास माना जाता है। इस दिन भारत और विश्व में ऐसी घटनाएँ हुईं जिन्होंने समाज, राजनीति, शिक्षा और मानवता पर गहरा प्रभाव डाला। भारत में गोवा मुक्ति आंदोलन, शिक्षा को बढ़ावा देने वाले अभियान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की शुरुआत जैसे कदम हुए, वहीं विश्व स्तर पर युद्ध, प्राकृतिक आपदाएँ और साक्षरता को समर्पित दिवस का जन्म हुआ। 8 सितम्बर न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है बल्कि यह हमें अतीत से सीख लेकर भविष्य की दिशा तय करने की प्रेरणा भी देता है।आइए जानते हैं इस दिन की कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएँ। आइए जानते हैं 8 सितंबर (History Of 8th September) के दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं, उपलब्धियों और व्यक्तित्वों के बारे में।
8 सितम्बर 1276 को धार्मिक जगत में प्रसिद्ध संत थॉमस डे विल्लानोवा (Saint Thomas De Villanova) का निधन हुआ। वे एक महान धर्मगुरु और समाजसेवी थे। उन्होंने गरीबों और अनाथों की मदद के लिए कई संस्थान खोले। यूरोप के स्पेन क्षेत्र में उन्हें “गरीबों का पिता” (“The Father of the Poor”) कहा जाता था। उनकी शिक्षाएँ सामाजिक समानता और करुणा पर आधारित थीं। बाद में उन्हें कैथोलिक चर्च ने संत का दर्जा दिया। यह दिन ईसाई समाज में आध्यात्मिकता और सेवा भाव की प्रेरणा का प्रतीक है।
8 सितम्बर 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) की शुरुआत में जर्मनी ने पोलैंड की राजधानी वारसॉ (Warsaw, the capital of Poland) पर कब्ज़ा कर लिया। यह घटना दुनिया को हिला देने वाली थी क्योंकि नाज़ी सेना ने अपने सैन्य बल और तकनीक का प्रभावी प्रयोग किया। इस हमले के बाद पोलैंड पूरी तरह से जर्मनी के नियंत्रण में चला गया और यूरोप में युद्ध और भी व्यापक हो गया। यह दिन विश्व इतिहास में उस बड़े संघर्ष की याद दिलाता है जिसने लाखों लोगों की जान ली।
8 सितम्बर 1961 को गोवा मुक्ति आंदोलन (Goa Liberation Movement) की गतिविधियाँ तेज हुईं। इस दिन सत्याग्रहियों ने पुर्तगाली शासन के खिलाफ मीरामार समुद्र तट पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने “गोवा को आज़ाद करो” ("Free Goa") का नारा दिया और भारत की एकता पर जोर दिया। हालांकि पुर्तगाली सैनिकों ने आंदोलन को दबाने की कोशिश की, लेकिन इस आंदोलन की गूंज पूरे भारत में फैल गई। अंततः दिसंबर 1961 में भारत ने गोवा को पुर्तगालियों से आज़ाद कराया। यह दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Struggle of India) की अंतिम लड़ाइयों में से एक का प्रतीक माना जाता है।
8 सितम्बर 1965 को यूनेस्को (UNESCO) ने इस दिन को विश्व साक्षरता दिवस (World Literacy Day) घोषित किया। इसका उद्देश्य दुनियाभर में निरक्षरता को मिटाना और शिक्षा का महत्व बढ़ाना था। आज भी हर साल इस दिन विभिन्न देश शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अभियान और जागरूकता कार्यक्रम चलाते हैं। भारत में भी इस दिन साक्षरता अभियान और कार्यशालाएँ आयोजित होती हैं। इस पहल से करोड़ों लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैली और यह दिन वैश्विक शिक्षा आंदोलन का प्रतीक बन गया।
8 सितम्बर 2010 को भारत की राजधानी नई दिल्ली (New Delhi) में दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (South Asian University) की स्थापना की गई। यह विश्वविद्यालय सार्क देशों के सहयोग से शुरू हुआ और इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया के छात्रों को उच्च शिक्षा और शोध के अवसर प्रदान करना था। इसमें भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश के छात्र एक साथ पढ़ सकते हैं। इस पहल ने शिक्षा और क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में नया अध्याय जोड़ा।
8 सितम्बर 1997 को मदर टेरेसा (Mother Teresa) का निधन हुआ। वे मानवता की सेवा के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती थीं। उन्होंने गरीबों, बीमारों और बेसहारा लोगों की मदद के लिए कोलकाता में “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” की स्थापना की। उनके निस्वार्थ कार्यों के कारण उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। उनकी जिंदगी करुणा और सेवा का संदेश देती है। भारत और विश्व दोनों ही उनके योगदान को आज भी याद करते हैं। उनका निधन मानवता के लिए अपूरणीय क्षति मानी जाती है।
8 सितम्बर 2017 को मैक्सिको में 8.2 तीव्रता का भयंकर भूकंप (Strong earthquake of 8.2 magnitude hits Mexico) आया। यह पिछले एक सदी का सबसे भीषण भूकंप था। भूकंप ने चियापास और ओक्साका राज्यों में भारी तबाही मचाई और सैकड़ों लोगों की जान चली गई। हजारों घर नष्ट हो गए और लाखों लोग बेघर हो गए। पूरी दुनिया ने इस आपदा के प्रति संवेदना जताई और अंतरराष्ट्रीय सहायता भेजी। यह घटना हमें प्राकृतिक आपदाओं के सामने मानवीय एकजुटता की अहमियत याद दिलाती है।