47 साल पहले समाप्त हुई बंधुआ मजदूरी की प्रथा के कारण 2022 में हुई 10 साल की आदिवासी लड़की की मृत्यु

विपक्ष महा विकास अघाडी (एमवीए) ने यह जानने की मांग की कि क्या वह 'बेची' गई थी, अंबादास दानवे, एकनाथ खडसे और शशिकांत शिंदे जैसे एमवीए सदस्यों ने मंत्री से उनकी मौत पर बयान देने को कहा।
बंधुआ मजदूरी प्रथा (Wikimedia Commons)

बंधुआ मजदूरी प्रथा (Wikimedia Commons)

महाराष्ट्र

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न्यूजग्राम हिंदी: एक चौंकाने वाले खुलासे में महाराष्ट्र (Maharashtra) के आदिवासी विकास मंत्री विजयकुमार गावित ने शुक्रवार को राज्य विधानमंडल को बताया कि नाबालिग आदिवासी लड़की - जिसकी सितंबर 2022 में मृत्यु हो गई थी - 'बंधुआ मजदूर' के रूप में काम करती थी, इस प्रथा को 47 साल पहले समाप्त कर दिया गया था। गावित का बयान विधान परिषद में आया और राज्य में आश्रम शालाओं के मुद्दे पर एक प्रश्न के दौरान कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। गावित ने आदिवासी बच्चों के लिए चलाए जा रहे आश्रम शालाओं (स्कूलों) पर एक सवाल का जवाब दिया था, जब उनसे छह महीने पहले नासिक की 10 वर्षीय आदिवासी लड़की की मौत पर जवाब मांगा गया था।

मंत्री ने कहा कि लड़की को अहमदनगर (Ahmadnagar) जिले के निकटवर्ती पारनेर तहसील में काम करने के लिए ले जाया गया था, लेकिन चूंकि उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं था, इसलिए उसे नौकरी पर रखने वाले परिवार ने लड़की को उसके माता-पिता के घर भेज दिया। उन्होंने कहा कि उसके शरीर पर चोट के निशान पाए गए और बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

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विपक्ष महा विकास अघाडी (एमवीए) ने यह जानने की मांग की कि क्या वह 'बेची' गई थी, अंबादास दानवे, एकनाथ खडसे और शशिकांत शिंदे जैसे एमवीए सदस्यों ने मंत्री से उनकी मौत पर बयान देने को कहा। गावित ने कहा कि वह 'बेची' नहीं गई थी, बल्कि 'बंधुआ मजदूर' के रूप में कार्यरत थी।

जनता दल के कपिल पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र में बने कानून के तहत 'बंधुआ मजदूरी' पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, और यह शर्मनाक है कि मंत्री राज्य में इस तरह की प्रथा के प्रचलन को खुले तौर पर स्वीकार करते हैं। उन्होंने मंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की कि जब इस प्रथा को समाप्त (1976 में) कर दिया गया तो पीड़िता ने 'बंधुआ मजदूर' के रूप में कैसे काम किया।

<div class="paragraphs"><p>10 साल की बंधुआ मजदूर की मौत</p></div>

10 साल की बंधुआ मजदूर की मौत

IANS

खडसे ने इसे सरकार की अक्षमता का 'प्रतिबिंब' करार देते हुए कहा कि बच्चों से जुड़ी बिक्री या बंधुआ मजदूरी 'अक्षम्य' है और मांग की कि राज्य सरकार को इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए।

आईएएनएस/PT

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