लो आ ही गई Kashi Vishwanath Temple की बारी !
न्यूज़ग्राम हिंदी: Kashi Vishwanath Temple का मुद्दा केवल Varanasi में ही नहीं बल्कि इस समय पूरे देश में काफी जोर पकड़े हुए है। बीते दिनों मंदिर में सर्वेक्षण टीम पहुँची, जिनके पहुँचने पर हंगामा होना लाज़मी था। इसपर कई राजनीतिक और गैर-राजनीतिक संगठनों द्वारा लगातार बयानबाजियां आ रही हैं। पर इन सबसे इतर हमें विषय को समझना होगा कि किन बुनियादी प्रमाणों के आधार पर हिन्दू वर्षों से सर्वेक्षण की मांग करते आ रहे हैं।
क्या है Kashi Vishwanath Temple मामला ?
कई ठोस ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर यह कहा जाता है कि वर्तमान ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque), काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर, उसपर अतिक्रमण करके बनाया गया है। कई वामपंथी और इतिहासकार इस तोड़-फोड़ को नकारते हैं तो कई इसे मानते तो हैं पर दकियानूस प्रमाण देकर इसे उस समय की मांग करार देते हैं। बीते दिनों एक प्रतिष्ठित आईएस कोचिंग सेंटर की वायरल विडियो में यह देखा गया कि अध्यापक यह पढ़ाते हुए नज़र आ रहे थे कि, 'इस मंदिर में बहुत से बुरे और भ्रष्ट कार्य हो रहे थे जिसकी शिकायत वहां के अच्छे पुजारियों ने राजा से की और फिर इस तोड़-फोड़ की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया'। जबकि सच्चाई इससे बिलकुल अलग है।
क्या है Kashi Vishwanath Temple के तोड़-फोड़ की सच्चाई?
एक ऐतिहासिक तथ्य के अनुसार शिवाजी (Shivaji) जब आगरा से औरंगजेब (Aurangzeb) की कैद से भाग गए तब क्रोध में आकर उसने उस हर मंदिर को तोड़ा, जहाँ भी उसे संदेह था कि इन मंदिरों को शिवाजी से सहायता प्राप्त है। ऐसे में उसने काशी समेत मथुरा (Mathura) के मंदिरों को भी तोड़कर वहां मस्जिद बनवाया।
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यदि मासिर-ए-आलमगीरी (Maasir-e-Alamgiri) को पढ़ें तो आप उसमें लिखा हुआ पाएँगे कि कैसे उन्होंने हिन्दुओं को ही दोषी और बदनाम किया। इसमें लिखा है कि बनारस के ब्राह्मण काफ़िर अपने विद्यालयों में झूठी किताबें पढ़ा रहे हैं जिसका बुरा असर हिन्दुओं और मुसलमान दोनों पर ही पड़ रहा है। इस्लाम को फ़ैलाने वाले आलमगीर (Alamgir) ने यह फरमान दे डाला था कि हिन्दुओं के मंदिर और विद्यालय तोड़ दिए जाएं, जिसके परिणाम में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ दिया गया।
किसने दायर की सर्वे करने की याचिका?
इस सर्वे के लिए पांच महिलाएं आगे आयीं, जिनके 18 अगस्त, 2021 की दायर याचिका के आधार पर इस सर्वे को मंजूरी मिली। वो श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) का प्रतिदिन पूजन करना चाहती थीं, जिसके आधार पर उन्होंने याचिका दायर की। यहाँ बता दें कि इससे पहले Kashi Vishwanath Temple V/s Gyanvapi Mosque मामला 1991 में कोर्ट पहुंचा था जिसमें हिन्दू पक्ष ने मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनाए जाने की शिकायत करते हुए उस ज़मीन को वापस हिन्दुओं को दिए जाने की मांग की। इस मामले की सुनवाई अब भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही है।