17 सितंबर: जानें इस दिन से जुड़ी कुछ खास घटनाएं

इतिहास के पन्नों में 17 सितंबर का दिन कई महत्वपूर्ण घटनाओं और यादगार प्रसंगों के कारण विशेष स्थान रखता है। यह दिन भारत और विश्व, दोनों ही स्तरों पर राजनीति, समाज, संस्कृति और विज्ञान के क्षेत्र में अहम बदलावों और उपलब्धियों का साक्षी रहा है।
History Of 17th September
History Of 17th September [Sora Ai]
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इतिहास के पन्नों में 17 सितंबर का दिन कई महत्वपूर्ण घटनाओं और यादगार प्रसंगों के कारण विशेष स्थान रखता है। यह दिन भारत और विश्व, दोनों ही स्तरों पर राजनीति, समाज, संस्कृति और विज्ञान के क्षेत्र में अहम बदलावों और उपलब्धियों का साक्षी रहा है। कई महान व्यक्तियों का जन्म और निधन इस दिन से जुड़ा है, वहीं कुछ ऐतिहासिक समझौते, युद्ध और निर्णयों ने भविष्य की दिशा तय की। 17 सितंबर न केवल बीते समय की घटनाओं को याद करने का अवसर है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि इतिहास से प्रेरणा लेकर आगे की राह बनाई जा सकती है। आइए जानते हैं 17 सितंबर (History Of 17th September) के दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं, उपलब्धियों और व्यक्तित्वों के बारे में।

बर्लिन का कब्ज़ा

Berlin [Wikimedia Commons]
Berlin [Wikimedia Commons]Norbert Nagel

17 सितंबर 1631 को तीस वर्षीय युद्ध के दौरान स्वीडन की सेना ने बर्लिन पर कब्जा कर लिया (Swedish forces capture Berlin)। यह युद्ध यूरोप के धार्मिक और राजनीतिक संघर्षों का हिस्सा था, जिसने महाद्वीप की राजनीति और समाज को गहराई से प्रभावित किया। बर्लिन पर कब्जे ने जर्मन क्षेत्रों में शक्ति संतुलन को बदल दिया। यह घटना दिखाती है कि यूरोप का इतिहास युद्धों और सत्ता संघर्षों से भरा हुआ है। इसने आने वाले वर्षों में जर्मनी और पूरे यूरोप के राजनीतिक मानचित्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अमेरिका का संविधान अपनाया गया

US Constitution is officially adopted [Wikimedia Commons]
US Constitution is officially adopted [Wikimedia Commons]

17 सितंबर 1787 को अमेरिका का संविधान आधिकारिक रूप से अपनाया गया (The US Constitution is officially adopted)। यह दस्तावेज़ न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के लिए लोकतंत्र और कानून की सर्वोच्चता का प्रतीक बना। अमेरिका का संविधान दुनिया के सबसे पुराने और जीवंत संविधानों में से एक है, जिसने नागरिक अधिकार, स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक ढांचे की नींव रखी। इस दिन को अमेरिका में "Constitution Day" के रूप में मनाया जाता है। भारत सहित अन्य लोकतांत्रिक देशों ने भी इससे प्रेरणा लेकर अपने संवैधानिक ढांचे को विकसित किया। यह दिन मानव सभ्यता के राजनीतिक इतिहास का एक अहम पड़ाव है।

बंगाल के क्रांतिकारी विष्णु गणेश पिंगले का निधन

Vishnu Ganesh Pingle [Wikimedia Commons]
Vishnu Ganesh Pingle [Wikimedia Commons]

विष्णु गणेश पिंगले (Vishnu Ganesh Pingle) भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। वे गदर पार्टी (Gadar Party) के प्रमुख सदस्य थे और अंग्रेजी शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की योजना बनाई थी। हालांकि, ब्रिटिश सरकार ने उनकी गतिविधियों का पता लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 17 सितंबर 1883 को उन्हें फांसी दी गई। उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी और देश के युवाओं में स्वतंत्रता के लिए बलिदान की भावना को और प्रबल किया। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता पाने के लिए साहस और दृढ़ निश्चय जरूरी होता है।

नरेन्द्र मोदी का जन्म

Prime Minister Narendra Modi [Wikimedia Commons]
Prime Minister Narendra Modi [Wikimedia Commons]

17 सितंबर 1950 को भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का जन्म गुजरात के वडनगर में हुआ। वे भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता हैं, जिन्होंने अपनी नीतियों, निर्णायक नेतृत्व और विकास की सोच से देश को नई दिशा दी। मोदी पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और बाद में 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बने। उनके कार्यकाल में स्वच्छ भारत अभियान, मेक इन इंडिया (Make in India), डिजिटल इंडिया (Digital India) और आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) जैसी योजनाएँ शुरू हुईं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उन्होंने भारत की पहचान मजबूत की। 17 सितंबर का दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन देश को एक ऊर्जावान और सशक्त नेता मिला।

हिंदी दिवस समारोह

Hindi Day Celebration [Wikimedia Commons]
Hindi Day Celebration [Wikimedia Commons]Hansraj

हालांकि हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है, लेकिन 17 सितंबर 1953 को भारतीय संसद में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और उसके महत्व पर एक विशेष चर्चा हुई थी (Hindi Day Celebration)। इस दिन को भाषा के प्रति जागरूकता और राष्ट्रीय एकता से जोड़ा जाता है। हिंदी भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में विशेष स्थान मिला है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि संस्कृति और पहचान का भी प्रतीक है।

अनवर सादात और मेनाखेम बेगिन को शांति पुरस्कार

Egyptian President Anwar Sadat [Wikimedia Commons]
Egyptian President Anwar Sadat [Wikimedia Commons]

17 सितंबर 1978 को अमेरिका के कैंप डेविड समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात (Egyptian President Anwar Sadat) और इज़राइल के प्रधानमंत्री मेनाखेम बेगिन (Israel's Prime Minister Menachem Begin) शामिल थे। इस समझौते ने मध्य पूर्व की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ दिया। दोनों नेताओं को इस शांति प्रयास के लिए नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित किया गया। हालांकि यह समझौता स्थायी समाधान नहीं ला सका, लेकिन इसने दिखाया कि संवाद और सहयोग से शत्रु राष्ट्रों के बीच भी शांति स्थापित हो सकती है। यह घटना विश्व शांति के इतिहास में मील का पत्थर मानी जाती है।

सोवियत संघ का पहला स्पेस शटल "बुरान" परीक्षण

Buran [Wikimedia Commons]
Buran [Wikimedia Commons]

17 सितंबर 1988 को सोवियत संघ ने अपने पहले स्पेस शटल "बुरान" का परीक्षण किया (The Soviet Union tested its first space shuttle "Buran") । यह अमेरिका के "स्पेस शटल" कार्यक्रम का जवाब था। हालांकि यह परियोजना आर्थिक कठिनाइयों और सोवियत संघ के विघटन के कारण आगे नहीं बढ़ सकी, लेकिन यह उस समय की अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा की झलक थी। "बुरान" तकनीकी दृष्टि से उन्नत था और बिना पायलट के भी उड़ान भर सकता था। यह दिन अंतरिक्ष इतिहास के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने दिखाया कि अंतरिक्ष अन्वेषण में केवल अमेरिका ही नहीं, बल्कि सोवियत संघ भी बराबरी से खड़ा था।

मुहम्मद ज़िया-उल-हक़ की मृत्यु

President General Muhammad Zia-ul-Haq passes away [Wikimedia Cmmons]
President General Muhammad Zia-ul-Haq passes away [Wikimedia Cmmons]

पाकिस्तान के सैन्य शासक और राष्ट्रपति जनरल मुहम्मद ज़िया-उल-हक़ का निधन (President General Muhammad Zia-ul-Haq passes away) 17 सितंबर 1988 को हुआ। वे 1977 में सत्ता में आए और लगभग एक दशक तक पाकिस्तान पर शासन किया। उनके शासनकाल में इस्लामीकरण की नीतियाँ लागू की गईं, जिसने पाकिस्तान की राजनीति और समाज पर गहरा असर डाला। उनकी मृत्यु एक रहस्यमय हवाई दुर्घटना में हुई, जिसने पाकिस्तान की राजनीति को अस्थिर कर दिया। इस घटना ने दक्षिण एशिया के राजनीतिक परिदृश्य को झकझोर दिया और पाकिस्तान में लोकतंत्र की बहाली के लिए रास्ता खोला।

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