
हर तारीख अपने आप में इतिहास की एक कहानी लेकर आती है, विजय, संघर्ष, परिवर्तन और नई शुरुआत। 23 सितंबर भी ऐसी ही एक तारीख है, जिसमें न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं। इस दिन जन्मे कई महापुरुष, हुई कई लड़ाइयाँ, राजनीत-और सामाजिक बदलाव और स्वतंत्रता की लड़ाइयाँ भी इतिहास की किताबों में दर्ज हैं। 23 सितंबर के इतिहास को जानना यह बताता है कि कैसे विभिन्न देशों और संस्कृतियों में लोगों ने समय-समय पर मुश्किलों का सामना किया, नए राष्ट्र गढ़े गए, और कला-साहित्य व विज्ञान ने प्रगति की। अब देखते हैं कि इस दिन किन-किन बड़ी घटनाओं ने दुनिया और भारत को प्रभावित किया। आइए जानते हैं 23 सितंबर (History Of 23rd September) के दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं, उपलब्धियों और व्यक्तित्वों के बारे में।
23 सितंबर 1803 को मराठा साम्राज्य और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच बैटल ऑफ़ अस्से (Battle of Assaye) हुई थी। इस लड़ाई का नेतृत्व ब्रिटिश की ओर से आर्थर वेल्सली (जो बाद में ड्यूक ऑफ़ वेलिंगटन बने) ने किया। मराठों की सेनाएँ बहादुरी से लड़ीँ, लेकिन युद्ध की रणनीति और ब्रितानी फायरपावर ने निर्णायक बढ़त दी। यह युद्ध ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) को भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने में सहायक साबित हुआ, विशेषकर मराठों के क्षेत्रों में। इस युद्ध ने यह दिखाया कि किस प्रकार यूरोपीय शक्ति-संघर्ष और आधुनिक सैन्य तकनीकें भारत में स्थापित हो रही थीं।
23 सितंबर 1932 को अब्दुल अज़ीज़ इब्न अब्दुल रहमान अल सऊद (Abdul Aziz ibn Abdul Rahman Al Saud) ने हैजाज़ और नज्द के क्षेत्रों को मिलाकर सऊदी अरब (Saudi Arabia) का यूनिफिकेशन किया। इस दिन को सऊदी नेशनल डे (Saudi National Day) के रूप में मनाया जाता है। इस ऐतिहासिक कदम ने तिब्बत, अरब की राजनीतिक सीमाएँ और शक्ति संतुलन बदल दिया। उस समय सऊदी अरब मुख्यतः एक मरुस्थलीय इलाका था, लेकिन इस संस्था की स्थापना ने उस क्षेत्र को आधुनिक अरब राज्यों में से एक बनाने की शुरुआत थी। सऊदी अरब धीरे-धीरे तेल उत्पादन, अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और आर्थिक शक्तियों में उभरा।
23 सितंबर 1952 को अमेरिका के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रिचर्ड निक्सन (Richard Nixon) ने टेलीविजन पर भाषण दिया जिसे “Checkers Speech” कहा गया। उन पर चुनाव धन (Campaign funds) के दुरुपयोग के आरोप लगे थे। इस भाषण में उन्होंने व्यक्तिगत जीवन का उल्लेख किया, विशेषकर अपनी कुतिया “Checkers” को, और जनता से कहा कि उसके उपहार को वे नहीं लौटायेंगे क्योंकि वह उसे प्रिय है। इस भाषण ने उनके करियर को बचाया, और यह दिखाया कि मीडिया और टेलीविजन राजनीति में कितना प्रभावी उपकरण हो सकते हैं।
23 सितंबर 1889 के दिन फुसाजिरो यामायाची ने जापान के क्योटो शहर में Nintendo Karuta के नाम से एक कंपनी की शुरुआत की। शुरुआत में यह कंपनी पारंपरिक जापानी कार्ड (कारूटा) और अन्य खेल-कार्ड बनाने का काम करती थी। बाद में Nintendo ने वीडियो गेम उद्योग में क्रांति ला दी और दुनिया भर में लोकप्रिय हो गयी। यह घटना यह बताती है कि कैसे साधारण व्यापार या संस्कृति से जुड़ा उद्यम समय के साथ बहुत बड़ा और वैश्विक ब्रांड बन सकता है।
23 सितंबर को विश्व स्तर पर हस्तभाषाएँ दिवस (International Day of Sign Languages) मनाया जाता है। यह दिवस इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि सुनने में असमर्थ या बधिर व्यक्तियों के लिए भाषाई अधिकार महत्वपूर्ण हैं। हस्तभाषाएँ केवल संवाद का माध्यम नहीं हैं, बल्कि बधिर समुदाय की संस्कृति व पहचान का भी हिस्सा हैं। इस दिन से संबंधित कार्यक्रम और जागरूकता अभियानों का मकसद है भाषाई समानता, पहुँच-सुविधाएँ और बधिरों के लिए समाज में समावेश बढ़ाना।
23 सितंबर 1908 को भारत में विख्यात कवि और लेखक रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (Ramdhari Singh Dinkar) का जन्म हुआ। वे आधुनिक हिन्दी कविता के प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उनके काव्य में देशभक्ति, वीर रस, समाज की कठोरताओं का चित्रण और संघर्ष की भावना साफ झलकती है। उनकी कविता-संग्रहों जैसे “राजा हरिश्चन्द्र”, “रसाक्षर”, “परशुराम की प्रतीक्षा” ने हिन्दी साहित्य को नई दिशा दी। दिनकर की लेखनी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और बाद की राजनीतिक एवं सामाजिक चेतना पर गहरा प्रभाव डाला।
23 सितंबर 1863 को हरियाणा के रेवाड़ी के प्रसिद्ध योद्धा राव तूलाराम सिंह (Rao Tularam Singh) का निधन हुआ। वे 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (First War of Independence of 1857) के एक प्रमुख नेता थे। उन्होंने ब्रिटिशों के खिलाफ विद्रोह किया, हथियार जुटाए, सेना गठित की, और स्वतंत्रता की चिंगारी को जगाये रखा। तूलाराम ने रेवाड़ी और आस-पास के इलाकों में नियंत्रण स्थापित किया और सहायक गतिविधियों का संचालन किया। उनकी मृत्यु से ब्रिटिशों को कुछ राहत मिली लेकिन उनकी वीर गाथा की याद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनकारियों और आम जनता के दिलों में आज भी जीवित है।