'ऑपरेशन कराची' – रॉ ने कैसे रातों-रात पलट दिया जंग का पासा?

1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के लगभग 2 महीने पहले रक्षा मंत्री जगजीवन राम, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल एसएम नंदा और भारतीय ख़ुफ़िया एंजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुख रामनाथ काव की एक बैठक हुई थी, जिसमें उन्हें पाकिस्तान द्वारा कराची बंदरगाह पर एक अत्याधुनिक नौसैनिक सर्विलांस सिस्टम लगाने की सूचना मिली।
रॉ एजेंट्स ने 1971 की लड़ाई में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण पाकिस्तान की हर चाल को भारत ने नाकाम कर दिया! [Pixabay]
रॉ एजेंट्स ने 1971 की लड़ाई में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण पाकिस्तान की हर चाल को भारत ने नाकाम कर दिया! [Pixabay]
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छोटी छोटी घटनाओं को मिला कर इतिहास बनता है, इतिहास के पन्नों में कई ऐसे राज़ छुपे हैं जिसके बारे में ज़्यादातर लोगों को जानकारी नहीं है। अक्सर जब हम किसी वार (War) के बारे में पढ़ते या सुनते है तो हमें बस इतनी ही बात जानने में दिलचस्पी होती है कि जीत किसकी हुई है, न कि कैसे हुई है ? 1971 का भारत पाकिस्तान वार जो इतिहास के पन्नों में बड़े ही खूबसूरती से सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ है, इसके बारे हम जानतें है। भारत ने कैसे बांग्लादेश को आजादी दिलाई? पाकिस्तान घुटने टेकने पर मजबूर हो गया था, इन सभी के बारे में हम जानतें है लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ रॉ एजेंट्स ने 1971 की लड़ाई में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण पाकिस्तान की हर चाल को भारत ने नाकाम कर दिया!

जब रॉ एजेंट्स को भेजा गया कराची

1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के लगभग 2 महीने पहले रक्षा मंत्री जगजीवन राम, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल एसएम नंदा और भारतीय ख़ुफ़िया एंजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुख रामनाथ काव की एक बैठक हुई थी, जिसमें उन्हें पाकिस्तान द्वारा कराची बंदरगाह पर एक अत्याधुनिक नौसैनिक सर्विलांस सिस्टम लगाने की सूचना मिली। देश की सुरक्षा के लिए और आने वाले युद्ध के लिए यह काफी चिंता का विषय था। इस बैठक में तय किया गया कि इस सर्विलांस सिस्टम के बारे में थोड़ी जानकारी निकाली जाए।

डॉक्टर रॉ एजेंट की मदद करने के लिए तैयार हो गए और उन्हें अपने जहाज में कराची ले गए। [Wikimedia Commons]
डॉक्टर रॉ एजेंट की मदद करने के लिए तैयार हो गए और उन्हें अपने जहाज में कराची ले गए। [Wikimedia Commons]

रामनाथ काव जो कि रॉ के अध्यक्ष थे, उन्हें इस सर्विलांस सिस्टम के बारे में जानकारी निकालने को कहा गया। काव को सर्विलांस सिस्टम के बारे में जानकारी निकालने के लिए उसकी तस्वीरों को जरूरत थी। काव के एक डिप्टी हुआ करते थे जिनका नाम था संकरन नायर। उन्होंने अपने अच्छे जासूस को इस काम में लगाया और कराची जाने को कहा। लेकिन यूं इस तरह युद्ध की स्थिति में कराची जाना बड़ा ही घातक था। नायर के एजेंट ने एक खुफिया प्लान बनाया और नायर को बताया कि वह एक ऐसे इंसान को जानता है जिसकी मदद से वह कराची पहुंच सकते हैं और तस्वीरें ला सकते हैं।

जब एक डॉक्टर ने की एजेंट्स की मदद

नायर अपनी आत्मकथा 'इनसाइड आईबी एंड रॉ, द रोलिंग स्टोन दैट गैदर्ड मास' में लिखते हैं, कि उन्हें उनके एजेंट ने बताया की वहां रहने वाले पारसी डॉक्टर कावसजी उनकी मदद कर सकते हैं जो अक्सर काम के सिलसिले में जहाज से कुवैत होते हुए पाकिस्तान जाते हैं। " अब सवाल यह था कि आखिर पारसी डॉक्टर उनकी मदद करें क्यों? दरअसल कुछ महीने पहले डॉक्टर काफी मुसीबत में पड़ गए थे और इसके बाद कस्टम के अधिकारियों ने उनकी मदद की थी और इसी शर्त पर पारसी डॉक्टर रॉ एजेंट की मदद करने के लिए तैयार हो गए और उन्हें अपने जहाज में कराची ले गए। कराची पहुंचते ही पाकिस्तान पुलिस ने कवसाजी डॉक्टर के जहाज की छानबीन शुरू की। जब पाकिस्तान पुलिस ने देखा की पेपर में दो लोगों का नाम लिखा है और वह यहां से गायब है तो उन्होंने डॉक्टर से उसके बारे में पूछा। पारसी डॉक्टर ने जवाब में कहा कि वे दोनों चिकन पॉक्स से बीमार है इसलिए उन्हें अंदर एक कमरे में बंद कर रखा गया है, और इस तरह वे दोनों जासूस कराची बंदरगाह पहुंचे।

सर्विलांस सिस्टम की तस्वीर बंदरगाह और वहां के सभी युद्ध पोतों की तस्वीर ली गई। [Wikimedia Commons]
सर्विलांस सिस्टम की तस्वीर बंदरगाह और वहां के सभी युद्ध पोतों की तस्वीर ली गई। [Wikimedia Commons]

बंदरगाह पर पहुंचते ही दोनों ने अपने काम शुरू किया और सर्विलांस सिस्टम की तस्वीर बंदरगाह और वहां के सभी युद्ध पोतों की तस्वीर ली गई। ये सभी तस्वीरें दिल्ली भेजी गई, जिसके कारण उनको ये भी पता चल गया कि किस जगह पर ईंधन का भंडारण किया गया है और कौन-कौन से नौसैनिक जहाज़ कराची में खड़े हुए हैं। तीन दिसंबर, 1971 को जब युद्ध की आधिकारिक घोषणा हुई उससे पहले भारत के पास कराची बंदरगाह का पूरा नक्शा पहुंच चुका था। पकिस्तान ने अपनी सबसे अच्छी डॉल्फ़िन क्लास की पनडुब्बियों को तैनात कर रखा था। उनके 8000 नौसैनिकों में सिर्फ़ 5000 को युद्ध मे लगाया गया था। आपको बता दें कि इन रॉ एजेंट के द्वारा ली गई तस्वीरों के कारण ही भारत को पाकिस्तान की हालिया स्थिति के बारे में जानकारी मिली। इन जानकारी के द्वारा भारत को अपनी सेना मजबूत करने में मदद मिली और 1971 की लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। Rh/SP

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