Tipu Sultan: जानिए कैसे उनका नाम 'मैसूर का टाइगर' पड़ा

जब वह शासक रहे तो उन्होंने अपने प्रशासन में कई नई चीजों को शामिल किया और लोहे पर आधारित मैसूरियन रॉकेट का विस्तार भी उन्होंने ही किया।
Tipu Sultan: जानिए कैसे उनका नाम 'मैसूर का  टाइगर' पड़ा (WIKIMEDIA)

Tipu Sultan: जानिए कैसे उनका नाम 'मैसूर का टाइगर' पड़ा (WIKIMEDIA)

दुनिया का पहला रॉकेट

न्यूजग्राम हिंदी: प्रसिद्ध टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) जो मैसूर (Mysore) के टाइगर (Tiger) के नाम से जाने जाते हैं 1782 में अपने पिता सुल्तान हैदर अली (Sultan Haidar Ali) की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठे थे। जब वह शासक रहे तो उन्होंने अपने प्रशासन में कई नई चीजों को शामिल किया और लोहे पर आधारित मैसूरियन रॉकेट का विस्तार भी उन्होंने ही किया इस रॉकेट को दुनिया का पहला रॉकेट (World's First Rocket) कहा जाता है।

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टीपू सुल्तान को मैसूर का टाइगर भी कहा जाता है। इन्होंने टाइगर को अपने शासन के प्रतीक के रूप में चुना था। इतिहास के पन्नों में यह लिखा गया है कि जब एक बार सुल्तान अपने एक फ्रांसीसी मित्र के संग शिकार के लिए जंगल में गए थे तो वहां उनके सामने अचानक से बाघ आ गया था उस वक्त उनकी बंदूक काम नहीं कर पाई और बाघ उनके ऊपर कूद गया जिससे उनकी बंदूक दूर जमीन पर जा गिरी। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वह बिना डरे बंदूक तक पहुंचे, बंदूक उठाई और बाघ को मार डाला। इसके बाद से उन्हें 'मैसूर का टाइगर' कहा जाने लगा।

<div class="paragraphs"><p>टीपू सुल्तान का अंतिम प्रयास और पतन</p></div>

टीपू सुल्तान का अंतिम प्रयास और पतन

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• टीपू सुल्तान का नाम उनके पिता ने सुल्तान फतेह अली खान साहब (Sultan Fateh Ali Khan Sahab) रखा था।

• वह एक बादशाह बन पूरे देश पर राज करना चाहते थे परंतु उनकी यह ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाई।

• उन्होंने महज 18 वर्ष की आयु में अंग्रेजों के विरुद्ध अपना पहला युद्ध जीत लिया था।

• उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान तीन बड़े युद्ध लड़े जिसमें से तीसरे में वह वीरगति को प्राप्त हो गए।

• कुछ इतिहास की किताबों के अनुसार उनकी चार पत्नियां थी।

• टीपू सुल्तान की 12 संतान थी।

• पालक्काड के किले को आज भी टीपू के किले के नाम से जाना जाता हैं। इस किले का निर्माण 1766 में हुआ था।

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