इस जनजाति के लोग सांप का जहर बेच कर कमाते हैं करोड़ों रूपए, जानिए कौन हैं ये

इस जनजाति की आबादी करीब 3 लाख है। समुदाय के 90 फीसदी से ज्‍यादा लोग सांपों का पता लगाने और पकड़ने का काम करते हैं। इस समुदाय के बच्‍चे, बूढ़े और जवान ही नहीं, मह‍िलाएं भी सांपों को पकड़कर उनका जहर इकट्ठा करने में माहिर होती हैं।
Irula Tribe :वैज्ञानिक इरुला जनजाति से सांपों के जहर को लेकर उससे सांप के काटने पर लगाया जाने वाला एंटी-वेनम इंजेक्‍शन बनाते हैं। (Wikimedia Commons)
Irula Tribe :वैज्ञानिक इरुला जनजाति से सांपों के जहर को लेकर उससे सांप के काटने पर लगाया जाने वाला एंटी-वेनम इंजेक्‍शन बनाते हैं। (Wikimedia Commons)
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Irula Tribe : सांप का नाम लेने पर बच्चे से लेकर बूढ़े तक की हालत खराब हो जाती है। लोगों को सांप से ज्‍यादा उसके जहर से डर लगता है लेकिन इरुला जनजाति के लोग ना सिर्फ सांप को खिलौनों की तरह उठा लेते है, बल्कि वे उनका जहर निकालकर इकट्ठा भी कर लेते हैं। ये जनजाति दक्षिण भारत में पाई जाती है। इरुला जनजाति के लोग पहले सांप की गर्दन को जोर से दबाते हैं फिर उनका मुंह खुलने पर उनके दांत एक जार में अटका देते हैं। गर्दन दबाने से गुस्‍से में आया सांप जहर उगलना शुरू कर देता है और ये लोग उस जहर को इकट्ठा कर लेते हैं।

जहर से बनता है एंटी-वेनम इंजेक्‍शन

वैज्ञानिक इरुला जनजाति से सांपों के जहर को लेकर उससे सांप के काटने पर लगाया जाने वाला एंटी-वेनम इंजेक्‍शन बनाते हैं। इस जनजाति की आबादी करीब 3 लाख है। समुदाय के 90 फीसदी से ज्‍यादा लोग सांपों का पता लगाने और पकड़ने का काम करते हैं। इस समुदाय के बच्‍चे, बूढ़े और जवान ही नहीं, मह‍िलाएं भी सांपों को पकड़कर उनका जहर इकट्ठा करने में माहिर होती हैं।

 नियम के अनुसार, सिर्फ चार प्रजाति के सांपों को ही पकड़ा जा सकता है। (Wikimedia Commons)
नियम के अनुसार, सिर्फ चार प्रजाति के सांपों को ही पकड़ा जा सकता है। (Wikimedia Commons)

केवल चार सांपो का निकाल सकते हैं जहर

भारत में सांपों को जहर निकालने के लिए सीमित मंजूरी है। नियम के अनुसार, सिर्फ चार प्रजाति के सांपों को ही पकड़ा जा सकता है। इनमें किंग कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और इंड‍ियन सॉ स्‍क्रेल्‍ड वाइपर शामिल हैं। परन्तु इन चारों ही प्रजाति का जहर इतना खतरनाक होता है कि इसकी एक बूंद भी किसी को मौत की नींद सुला सकती है।

जहर बेच कर कमाते हैं करोड़ों में

सम‍िति के लोगों को जहर निकालने के लिए सरकारी लाइसेंस दिया जाता है। प्रत्येक साल इन्‍हें 13,000 सांप पकड़ने की छूट रहती है। इससे उन्‍हें 25 करोड़ रुपये तक की तगड़ी कमाई हो जाती है। जिन इलाकों में ये समुदाय रहता है, वहां बहुत गर्मी होती है। लिहाजा पकड़े गए सांपों को चौड़े किनारों वाले मिट्टी के बर्तनों में रखा जाता है। बर्तन को सूती कपड़े से ढक दिया जाता है, इसके बाद एक धागे से कपड़े को बांध दिया जाता है। सम‍ित‍ि के लोग एक सांप को 21 दिन तक ही अपने पास रख सकते हैं। इस दौरान वे उस सांप का 4 बार जहर निकाल लेते हैं।

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