समिति ने किया ऐलान, गुलज़ार साहब और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को मिलेगा 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार

1965 में पहली बार मलयालम कवि जी. शंकर कुरुप को उनकी कृति ओडक्कुझल के लिए ये पुरस्कार दिया गया था। इस पुरस्कार में ₹11 लाख का नकद पुरस्कार, वाग्देवी की एक प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र शामिल है।
Jnanpith Award : इस पुरस्कार में ₹11 लाख का नकद पुरस्कार , वाग्देवी की एक प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र शामिल है, जो भारतीय साहित्य में सर्वोच्च सम्मान का प्रतीक है। (Wikimedia Commons)
Jnanpith Award : इस पुरस्कार में ₹11 लाख का नकद पुरस्कार , वाग्देवी की एक प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र शामिल है, जो भारतीय साहित्य में सर्वोच्च सम्मान का प्रतीक है। (Wikimedia Commons)
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Jnanpith Award : ज्ञानपीठ पुरस्कार सबसे पुराना और सर्वोच्च भारतीय साहित्यिक पुरस्कार है जो भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा किसी लेखक को उनके "साहित्य के प्रति उत्कृष्ट योगदान" के लिए प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। 1961 में इस पुरस्कार की स्थापना की गई थी और 1965 में पहली बार मलयालम कवि जी. शंकर कुरुप को उनकी कृति ओडक्कुझल के लिए ये पुरस्कार दिया गया था। इस पुरस्कार में ₹11 लाख का नकद पुरस्कार , वाग्देवी की एक प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र शामिल है, जो भारतीय साहित्य में सर्वोच्च सम्मान का प्रतीक है।

कौन बने विजेता ?

भारत के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार ने वर्ष 2023 के लिए अपने विजेताओं की घोषणा कर दी है, जो भारतीय साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस वर्ष, यह सम्मान पत्र की दुनिया के दो दिग्गजों को दिया गया है। एक प्रसिद्ध उर्दू कवि और बॉलीवुड व्यक्तित्व गुलज़ार, और प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान और दूसरे आध्यात्मिक नेता जगद्गुरु रामभद्राचार्य को।

गुलजार हिंदी सिनेमा में काम के लिए तो जाने जाते ही ही हैं। साथ ही वे इस युग के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक भी माने जाते हैं।  (Wikimedia Commons)
गुलजार हिंदी सिनेमा में काम के लिए तो जाने जाते ही ही हैं। साथ ही वे इस युग के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक भी माने जाते हैं। (Wikimedia Commons)

हिंदी सिनेमा के मशहूर गुलज़ार साहब

ज्ञानपीठ चयन समिति ने शनिवार को घोषणा की कि उक्त दोनों को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। गुलजार हिंदी सिनेमा में काम के लिए तो जाने जाते ही ही हैं। साथ ही वे इस युग के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक भी माने जाते हैं। इससे पहले उन्हें 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं।

आध्यात्मिक नेता जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, शिक्षक और सौ से भी अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। (Wikimedia Commons)
आध्यात्मिक नेता जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, शिक्षक और सौ से भी अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। (Wikimedia Commons)

तुलसी पीठ के संस्थापक रामभद्राचार्य जी

आध्यात्मिक नेता जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, शिक्षक और सौ से भी अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। उन्होंने 1950 में यूपी के जौनपुर के खांदीखुर्द गांव में जन्मे रामभद्राचार्य रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं।

उन्हें 22 भाषाओं का ज्ञान है और वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली समेत कई भाषाओं के रचनाकार हैं। आपको बता दें कि उन्हें 2015 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।

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