70 के दशक में लोग बस द्वारा कोलकाता से लंदन जाते थे, यात्रियों को लगता था 45 दिन का समय

यह बस सेवा उस समय में दुनिया की सबसे लंबी बस यात्रा हुआ करती थी। काफी लंबा रास्ता होने के कारण इस बस को कोलकाता से लंदन तक पहुंचने में करीब 45 दिन का समय लग जाता था।
Kolkata to London Bus :इस बस सेवा को सिडनी की एक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी संचालित करती थी। (Wikimedia Commons)
Kolkata to London Bus :इस बस सेवा को सिडनी की एक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी संचालित करती थी। (Wikimedia Commons)
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Kolkata to London Bus : बस का सफर यदि दोस्तों और परिवार के साथ हो, तो वो हर यात्रियों के लिए यादगार होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं ? एक ऐसा समय भी था, जब हमारे देश से लंदन के लिए बस चल रही थी। ये बस सेवा 70 के दशक में लंदन के लिए कोलकाता से बस निकलती थी। कुछ लोगों के लिए इस बात पर विश्वास कर पाना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि उन्हें लगता है कि इतनी लंबी बस यात्रा संभव नहीं है। लेकिन यह बिल्कुल सच है। इस बस सेवा को सिडनी की एक टूर एंड ट्रेवल्स कंपनी संचालित करती थी। आइए जानते हैं इस बस की और भी खासियत।

इस बस को सिडनी की एक कंपनी अल्बर्ट टूर एंड ट्रेवल्स ने 1950 में शुरू की थी, जो 1973 तक जारी रही। इस बस के जाने का रूट भी बहुत सुंदर था। यह बस सेवा उस समय में दुनिया की सबसे लंबी बस यात्रा हुआ करती थी। काफी लंबा रास्ता होने के कारण गंतव्य तक पहुंचने में करीब 45 दिन का समय लग जाता था।

कोलकाता से शुरू होने के बाद यह नई दिल्ली, काबुल, तेहरान, इस्तांबुल होते हुए लंदन पहुंचती थी। (Wikimedia Commons)
कोलकाता से शुरू होने के बाद यह नई दिल्ली, काबुल, तेहरान, इस्तांबुल होते हुए लंदन पहुंचती थी। (Wikimedia Commons)

कितना था किराया?

1972 में कोलकाता से लेकर लंदन के लिए इस बस सेवा का किराया 145 पाउंड था। इस किराए में बस का भाड़ा, खाना, नाश्ता और रास्ते में होटल में रुकने की सुविधा शामिल रहती थी। सबसे पहले कोलकाता में अलग-अलग जगहों से एक छोटी बस लोगों को लेकर आती थी, उसके बाद लोग डबल डेकर बस में बैठते थे। कोलकाता से शुरू होने के बाद यह नई दिल्ली, काबुल, तेहरान, इस्तांबुल होते हुए लंदन पहुंचती थी। फिर इसी रूट से यह बस वापस लौटती थी।

बस की अन्य सुविधाएं

लंदन जाने वाले यात्रियों को इस बस में स्लीपिंग बर्थ की सुविधा मिलती थी। इसके साथ ही खिड़की से यात्री बाहर का नजारा ले सकते थे और बस में सैलून, किताबें पढ़ने की जगह भी होती थी। कुल मिलाकर बस ये दावा करती थी कि यात्रियों को इतनी आरामदायक यात्रा कहीं नहीं मिलेगी। इसमें सफर करके यात्रियों को घर जैसा अनुभव आएगा।

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