भारत में तेजी से गिरा प्रजनन दर, 2050 तक और भी घट जाएगी भारत की आबादी

मशहूर पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 1950 में भारत में प्रजनन दर यानी प्रति महिला जन्म दर 6.2 थी, जो 2021 में घटकर दो से भी कम रह गई।
lancet report : 1950 में भारत में प्रजनन दर यानी प्रति महिला जन्म दर 6.2 थी, जो 2021 में घटकर दो से भी कम रह गई। (Wikimedia Commons)
lancet report : 1950 में भारत में प्रजनन दर यानी प्रति महिला जन्म दर 6.2 थी, जो 2021 में घटकर दो से भी कम रह गई। (Wikimedia Commons)

lancet report: भले ही भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इसकी आबादी बढ़ने की दर लगातार घट रही है। मशहूर पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 1950 में भारत में प्रजनन दर यानी प्रति महिला जन्म दर 6.2 थी, जो 2021 में घटकर दो से भी कम रह गई। ऐसे में प्रजनन दर घटने का बड़ा कारण पहले के मुकाबले अब देर से हो रही शादियां हैं। वहीं, देरी से शादी के कारण बच्चों की प्लानिंग में भी देरी हो रही है जो प्रजनन दर में गिरावट का कारण बन रही है। वहीं, अब दंपति पहले के मुकाबले कम बच्चे पैदा कर रहे हैं।

2050 तक का लगाया गया अनुमान

भारत में 1950 में 1.6 करोड़ से अधिक और 2021 में 2.2 करोड़ से अधिक बच्चे पैदा हुए थे। 2050 में यह संख्या गिरकर 1.3 करोड़ होने का अनुमान है। पापुलेशन फाउंडेशन आफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने बताया कि भारत के लिए इन निष्कर्षों के गहरे मायने हैं। इसमें बूढ़ी होती आबादी और श्रम बल की कमी जैसी चुनौतियां शामिल हैं। लैंगिक प्राथमिकताओं के कारण सामाजिक असंतुलन भी उत्पन्न हो सकता है इसलिए हमें भविष्य के लिए अभी से कार्रवाई शुरु करने की जरूरत है।

यदि बच्चे न हों तो किसी भी देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। (Wikimedia Commons)
यदि बच्चे न हों तो किसी भी देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। (Wikimedia Commons)

प्रजनन दर घटने से क्या हैं नुकसान?

ज्यादातर लोगों को लगता है कि बच्चे कम पैदा होंगे तो देश की आबादी घटेगी और फायदा होगा। ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि प्रजनन दर घटने के कई नुकसान भी हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार यदि बच्चे न हों तो किसी भी देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। एक शोध में महिलाओं की प्रजनन दर में कमी के कारण देश और समाज पर पड़ने वाले गंभीर नतीजों का अनुमान लगाया गया है।

इस अध्ययन के अनुसार प्रजनन दर घटेगी तो आपको अपने आसपास बच्चों से ज्यादा बुज़ुर्ग नजर आने लगेंगे अर्थात् घटती हुई प्रजनन दर वाले देशों में कुछ समय बाद श्रम बल की कमी महसूस होने लगेगी। वैश्विक प्रजनन दर घटने का मतलब होगा कि आधे से ज्यादा देशों में जन्म दर कम होना। जब भी किसी देश में प्रजनन दर 2.1 से नीचे आ जाती है तो जनसंख्या सिकुड़ना शुरू हो जाती है।

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