Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव का पहला चरण आज से शुरू हो गया। आपको बता दें पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर मतदान हो रहा है। आपने देखा ही होगा वोट डालने के बाद मतदान कर्मी, मतदाता के बाएं हाथ की तर्जनी पर पर्पल कलर की स्याही लगाते हैं, इससे पता लगता है कि मतदाता ने अपना वोट दे दिया है। इस बार कहा जा रहा है कि इस स्याही का उपयोग पिछले चुनाव के मुकाबले अधिक होने वाला है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर उस स्याही में ऐसा क्या होता है, जो लगाने के कई दिनों बाद भी हमारे ऊंगली से नही छूटता?
वोट देने के बाद लगाई जाने वाली स्याही में सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो आपकी त्वचा अथवा नाखून के संपर्क में आने के बाद और गहरा हो जाता है और गाढ़ा निशान छोड़ देता है। सिल्वर नाइट्रेट का उपयोग दवाओं में भी किया जाता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसका निशान कई दिनों तक नहीं जाता है, जिस जगह यह स्याही लग जाती है, जब तक वहां नए सेल्स नहीं बन जाते हैं या नाखून नहीं बढ़ जाते, तब तक यह निशान वहीं लगा रहता है। इसके अलावा इसका उपयोग रक्तस्राव को रोकने या घाव को संक्रमित होने से बचाने वाली दवाओं में भी किया जाता है। यह गांठ तथा त्वचा के मस्सों को हटाने के लिए भी उपयोगी है।
पहली बार इसकी शुरुआत 1962 के लोकसभा चुनाव में वोट देने के बाद हुई। इसके बाद से हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इस पक्की स्याही का इस्तेमाल किया जाने लगा। जब पहली बार स्याही का इस्तेमाल हुआ तब चुनाव आयोग का मानना था कि स्याही लगाने से कोई दोबारा वोट नहीं डाल पाएगा और वोट के दौरान होने वाली धांधली को भी रोका जा सकेगा।
1962 से लेकर आज तक सिर्फ एक ही कंपनी चुनाव वाली स्याही बनाती आ रही है। इस कंपनी का नाम है मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड। यह कर्नाटक सरकार की कंपनी है और इसकी शुरुआत साल 1937 में नलवाड़ी कृष्णा राजा वाडियार ने की थी। शुरुआत में इस कंपनी का नाम मैसूर लाक फैक्ट्री हुआ करता था। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो इस कंपनी को सरकर ने टेकओवर कर लिया और इसका नाम मैसूर लाक एंड पेंट्स लिमिटेड रखा।