Mahabharat Interesting facts : महाभारत के प्रतापी राजा पांडु यानि पांडवों के पिता की पहली पत्नी रानी कुंती थी। पांडु को श्राप मिला हुआ था कि वह जब भी पत्नी के साथ संसर्ग करेंगे तो तुरंत उनकी मृत्यु हो जाएगी। राजा पांडु को वन में रहने के दौरान संतान नहीं होने की उन्हें बहुत चिंता सताती थी। एक दिन उन्होंने एकांत में कुंती से कहा, तुम संतान प्राप्ति की कोशिश करो। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि खुद राजा पांडु, धृतराष्ट्र और विदुर का जन्म इसी तरह ऋषि व्यास के साथ संसर्ग से हुआ था। आइए जानें किस प्रकार उन्होंने पुत्र को जन्म दिया।
पांडु की बातों के बाद कुंती ने उनसे यही पूछा कि यदि राजा व्यूषिताश्व की मृत्यु के बाद भी उनकी पत्नी रानी भद्रा ने जब उनसे मिलन किया और इससे गर्भवती हो गईं। फिर 7 बेटों को जन्म दिया, तो आप भी तपस्या के प्रभाव से मेरे गर्भ में मानस पुत्र की उत्पत्ति कर सकते हैं।
राजा व्यूषिताश्व, चंद्र वंश के राजा शंखण के पुत्र थे। व्यूषिताश्व ने राजा कक्षीवत की पुत्री भद्रा से विवाह किया, जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थीं। उनके बारे में कहा जाता है कि उसने एक महान बलिदान किया था, जिसमें इंद्र के नेतृत्व में सभी आकाशीय देवता आए थे। इस बलिदान के बाद व्युषिताश्व ने महान शक्ति प्राप्त की। उन्होंने अपना अधिकांश धन ब्राह्मणों को दान कर दिया था। उनका विवाह भद्रा से हुआ था, जिससे वह बहुत प्यार करते थे। उनके कोई संतान नहीं थी। क्षय रोग जिसे तब यक्ष्मा रोग कहा जाता था, उससे उनकी उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद भद्रा अपने पति के साथ मरने का इरादा किया
तब आकाशीय आवाज ने उन्हें ऐसा करने से रोका और पखवाड़े के आठवें और चौदहवें दिन राजा के शरीर के साथ लेटने का संकेत दिया। उन्होंने वैसा ही किया, जैसा उनसे करने को कहा गया था। उस संभोग से भद्रा ने सात पुत्रों को जन्म दिया – तीन शात्व और चार मद्र।
पांडु की बात सुनने के बाद कुंती ने तब कहा, महाराज, अगर आप अनुमति दें तो मैं किसी देवता या ब्राह्मण का मंत्रबल से आह्वान कर सकती हूं। इससे हमे भी पुत्र लाभ होगा। पांडु ने इसकी सहर्ष अनुमति दी। फिर इसके जरिए कुंती ने युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन जैसे पुत्र हासिल किए। जब उन्होंने ये तरीका पांडु के कहने पर दूसरी पत्नी माद्री को बताया तो उन्हें नकुल और सहदेव की प्राप्ति हुई।
एक अध्ययन के दौरान मिले साक्ष्यों को आधार मानते हुए वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह दावा किया कि ‘इंसान की मौत के 48 घंटे बाद तक उसके शुक्राणु गर्भधारण के लिए इस्तेमाल किये जा सकते हैं और उससे स्वस्थ बच्चे पैदा हो सकते हैं’। वैज्ञानिकों का कहना है कि मौत होने के 48 घंटे के भीतर दो तरीक़ों से शव के शुक्राणु निकाले जा सकते हैं जिनमें सर्जरी की मदद से शव के शुक्राणु निकालना शामिल है। इसके बाद में इसे फ़्रिज में प्रिज़र्व करके रखा जा सकता है।