Mahapurush Srimanta Sankardev : बीते सोमवार को असम में वैष्णव विद्वान श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पूजा के लिए गए थे परंतु उनको वहां दर्शन के लिए अनुमति नहीं मिली और राहुल गांधी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और साथ ही लोगों में यह जिज्ञासा दिखी कि प्रसिद्ध वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव कौन थे? तो आज हम आपको इन्हीं के बारे में बताने जा रहे है।
आपको बता दें कि असम के नागांव जिले में स्थित बरदौवा थान में प्रसिद्ध वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव का जन्म हुआ था। पूर्वोत्तर के लोगों का काफी श्रद्धा रहा था, इसी कारण इनकी स्मृति में यहां मंदिर बनाया गया। मध्यकाल के संत और महान समाज सुधारक श्रीमंत शंकरदेव के इस मंदिर का असम में काफी राजनीतिक महत्व भी है।
वे असमिया भाषा के काफी प्रसिद्ध नाटककार, कवि, गायक, नर्तक, समाज का संगठन करने वाले थे। उन्होने नववैष्णव पंथ का प्रचार करके असम के लोगों के जीवन को व्यवस्थित और आपस में जोड़ने का बड़ा काम किया था। उनका जन्म 26 सितंबर, 1449 में हुआ था। श्रीमंत शंकरदेव मूर्तिपूजा नहीं करते थे।उनके इस मत के अनुसार धार्मिक त्योहारों पर केवल एक पवित्र ग्रंथ को चौकी पर रख दिया जाता है। इसे ही नैवेद्य भक्ति कहा जाता है। उन्होंने 24 अगस्त 1568 को पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में भेलदोंगा जगह पर अंतिम सांस ली थी।
वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव 15वीं से 16वीं शताब्दी के सामाजिक और धार्मिक सुधारक माने जाते हैं। वे असम में भक्ति आंदोलन को प्रेरित करने के लिए जाने जाते हैं। उनके विचार भागवत पुराण पर आधारित थे।उनकी शिक्षाओं ने असम में विभिन्न जातियों और लोगों के समूहों को एक सांस्कृतिक इकाई में जोड़ा था। शंकरदेव ने जाति भेद, रूढ़िवादी ब्राह्मण अनुष्ठानों और बलिदानों से मुक्ति, समानता के विचार पर आधारित समाज का समर्थन किया था। उन्होंने मूर्ति पूजा के जगह प्रार्थना और नाम जपने को कहा। उनका धर्म देव प्रार्थना, भक्त और गुरु के चार तथ्यों पर आधारित था। उन्होंने एक भागवत धार्मिक आंदोलन शुरू किया, जिसे नव-वैष्णव आंदोलन भी कहा गया था।