रेलवे महिला कर्मचारियों ने ड्यूटी पर जाने के दौरान झेला गर्भपात, रेलवे बोर्ड को लिखा पत्र

महिला कर्मचारियों ने रेलवे बोर्ड से अपील की है कि गर्भावस्था के दौरान महिला फ्रंटलाइन कर्मियों को हल्की या स्थिर नौकरियों में स्थानांतरित करने के दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। इसके लिए उन्होंने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम 2017 का हवाला दिया।
Maternity Act : एक महिला लोको पायलट ने बताया कि रेलवे अधिनियम में लोको पायलट के काम को कठिन काम के रूप में अधिसूचित किया गया है। (Wikimedia Commons)
Maternity Act : एक महिला लोको पायलट ने बताया कि रेलवे अधिनियम में लोको पायलट के काम को कठिन काम के रूप में अधिसूचित किया गया है। (Wikimedia Commons)
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Maternity Act : जब एक महिला गर्भवती होती है, तो वो अपने आने वाले बच्चे के लिए बेहद उत्साहित हो जाती है लेकिन यदि किसी कारण से गर्भपात हो जाए तो सारे सपने पल भर में चकनाचूर हो जाते हैं। कई बार तो महिला डिप्रेशन का शिकार हो जाती है। ऐसे में महिला लोको पायलट्स के एक समूह ने रेलवे बोर्ड से मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम 2017 का सम्मान करने का अनुरोध किया है। इस दल में अधिकतर ऐसी महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने ड्यूटी पर जाने के दौरान गर्भपात का दर्द झेला है।

इन महिला कर्मचारियों ने रेलवे बोर्ड से अपील की है कि गर्भावस्था के दौरान महिला फ्रंटलाइन कर्मियों को हल्की या स्थिर नौकरियों में स्थानांतरित करने के दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। इसके लिए उन्होंने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम 2017 का हवाला दिया। यह अधिनियम नियोक्ता को किसी भी गर्भवती महिला को मुश्किल कामों में शामिल करने से रोकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुश्किल काम करने से महिला कर्मचारी की गर्भावस्था में परेशानी हो सकती है।

एक अन्य महिला लोको पायलट का कहना है कि इंजन कैब में प्रवेश करना ही अपने आप में एक मुश्किल काम है क्योंकि इंजन कैब की सीढ़ी के हैंडल की ऊंचाई जमीन से लगभग छह फीट है। (Wikimedia Commons)
एक अन्य महिला लोको पायलट का कहना है कि इंजन कैब में प्रवेश करना ही अपने आप में एक मुश्किल काम है क्योंकि इंजन कैब की सीढ़ी के हैंडल की ऊंचाई जमीन से लगभग छह फीट है। (Wikimedia Commons)

बड़ा कठिन है लोको पायलट का काम

एक महिला लोको पायलट ने बताया कि रेलवे अधिनियम में लोको पायलट के काम को कठिन काम के रूप में अधिसूचित किया गया है। अधिनियम की धारा चार में साफ तौर पर कहा गया है कि महिला कर्मचारियों को कठिन काम करने के लिए नहीं कहा जा सकता। उन्होंने आगे बताया कि कठोर परिस्थितियों की वजह से उन्हें कई बार महिलाओं को गर्भपात का सामना करना पड़ा।

इंजन कैब में प्रवेश करना है मुश्किल

एक अन्य महिला लोको पायलट का कहना है कि इंजन कैब में प्रवेश करना ही अपने आप में एक मुश्किल काम है क्योंकि इंजन कैब की सीढ़ी के हैंडल की ऊंचाई जमीन से लगभग छह फीट है। उन्होंने बताया कि रेलवे स्टेशनों पर इंजन कैब में चढ़ना और उतरना आसान है लेकिन रेलवे यार्ड या बाहर के इलाकों में यह काम बेहद कठिन है। इस बीच कोटा रेल डिवीजन की एक महिला लोको पायलट ने कहा 'हममें से कई महिला कर्मियों के पास अर्जित छुट्टियां नहीं हैं। इसलिए महिला कर्मियों को बच्चों की देखभाल के लिए बिना वेतन छुट्टी पर जाने पर मजबूर होना पड़ता है।

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