3 नए क्रिमिनल लॉ अब एक जुलाई से होंगे लागू, जानें क्या है इस कानून में

अब ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (आई पी सी), भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की जगह लेने वाले तीन नए आपराधिक कानून लागू होंगे।
New Criminal Laws : नए कानून आतंकवाद, मॉब लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किए गए अपराधों के लिए सजा को और अधिक सख्त बना देंगे। (Wikimedia Commons)
New Criminal Laws : नए कानून आतंकवाद, मॉब लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किए गए अपराधों के लिए सजा को और अधिक सख्त बना देंगे। (Wikimedia Commons)Picasa
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New Criminal Laws : सुप्रीम कोर्ट ने 26 फरवरी को भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता को बदलने के लिए संसद द्वारा बनाए गए नए आपराधिक कानूनों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी। अब तीन नए क्रिमिनल कानून 1 जुलाई से लागू होंगे। इसे लेकर केंद्र सरकार ने आज अधिसूचना जारी कर दी। जिसमें कहा गया है की अब ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (आई पी सी), भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की जगह लेने वाले तीन नए आपराधिक कानून लागू होंगे। ये तीनों आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं।

इन तीनों बिलों को शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों नए क्रिमिनल लॉ बिल को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद इन्हें कानून बना दिया गया। ये कानून भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और आईपीसी की जगह लेंगे। ये नए कानून आतंकवाद, मॉब लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किए गए अपराधों के लिए सजा को और अधिक सख्त बना देंगे।

आतंकवादी और आतंकवाद अब होगा खत्म

कानून के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो राष्ट्र के खिलाफ डायनामाइट, जहरीली गैस आदि का उपयोग करता है तो यह आतंकवादी गतिविधि है जो भारत सरकार, किसी राज्य या किसी विदेशी सरकार या किसी अंतरराष्ट्रीय सरकारी संगठन की सुरक्षा को खतरे में डालती है।

यदि कोई व्यक्ति 90 दिनों के भीतर अदालत में उपस्थित नहीं होता है, तो उसकी अनुपस्थिति के बावजूद भी मुकदमा चलता रहेगा। (Wikimedia Commons)
यदि कोई व्यक्ति 90 दिनों के भीतर अदालत में उपस्थित नहीं होता है, तो उसकी अनुपस्थिति के बावजूद भी मुकदमा चलता रहेगा। (Wikimedia Commons)

अब अनुपस्थिति में भी होगा मुकदमा

अब भारत से बाहर छुपे हुए आरोपी को यहां रहने की जरूरत नहीं है। यदि कोई व्यक्ति 90 दिनों के भीतर अदालत में उपस्थित नहीं होता है, तो उसकी अनुपस्थिति के बावजूद भी मुकदमा चलता रहेगा। अभियोजन के लिए एक लोक अभियोजक की नियुक्ति की जायेगी।

बलात्कार और यौन उत्पीड़न

बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोपियों को दंड संहिता के उदार प्रावधानों का लाभ उठाने से रोकने के लिए 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं पर यौन उत्पीड़न के प्रावधानों को POCSO अधिनियम के साथ जोड़ा गया है। अब नाबालिगों से बलात्कार के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड अनिवार्य किया गया है। वहीं सामूहिक बलात्कार के मामले में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा नाबालिग लड़कों के व्यापार को अपराध के रूप में शामिल करके कानूनों को लिंग-तटस्थ बना दिया गया।

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