New rest rule for pilots: सिविल एविएशन मिनिस्ट्री की ओर से पायलटों के काम करने के घंटों में कुछ बदलाव किया गया है। पायलटों की थकान की समस्या को देखते हुए नए नियमों पर विचार किया गया था, जिससे पायलटों की फ्लाइट ड्यूटी की अवधि कम कर दी गई अर्थात् उनका आराम करने का समय बढ़ा दिया गया। यह नया नियम 8 जनवरी को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने पेश किया था। जिसके फलस्वरूप पायलटों के लिए साप्ताहिक आराम के घंटे 36 घंटे प्रति सप्ताह से बढ़ाकर 48 घंटे कर दिए गए हैं। परंतु ये नियम एक जून से लागू होने वाला है।
एयरलाइंस को यह नियम अच्छा नहीं लगा, क्योंकि अब एयरलाइंस को 15% से 25% अधिक पायलटों को नियुक्त करने की आवश्यकता पड़ेगी। एक नए शामिल पायलट को उड़ान भरने में लगभग 8-10 महीने लगते हैं। एफआईए ने चेतावनी दी कि एक जून की समय सीमा के परिणामस्वरूप अधिकांश एयरलाइनों द्वारा 15%-20% उड़ानें रद्द की जा सकती है। एयरलाइंस डीजीसीए से नए पायलट ड्यूटी मानदंडों को स्थगित करने का अनुरोध किया परंतु डीजीसीए ने एयरलाइंस का अनुरोध ठुकरा दिया और यह कहा है कि संशोधित कार्यक्रम एक जून से ही लागू करना होगा।
नए नियमों के तहत पायलटों को साप्ताहिक आराम की अवधि 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे कर दी गई है।नियमों में रात के समय की उड़ान को भी कम कर दिया है, जो थकान में योगदान करने और सतर्कता के स्तर को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। पहले एक पायलट रात के समय उड़ान के दौरान छह लैंडिंग कर सकता था, अब इसे घटाकर दो कर दिया गया है इसके साथ ही अधिकतम उड़ान ड्यूटी अवधि को भी 10 घंटे से घटाकर आठ घंटे कर दिया गया है।
एयर इंडिया और विस्तारा जैसी कई एयरलाइंस पहले से ही पायलटों की कमी से परेशान हैं। दिसंबर 2023 तक विभिन्न भारतीय एयरलाइनों के पास कुल 771 विमान थे और करीब 9,524 कर्मिशियल पायलट डीजीसीए के साथ पंजीकृत थे। पिछले साल भी नियामक ने 1,272 कर्मिशियल पायलट लाइसेंस जारी किए। सीएपीए डेटा से पता चलता है कि भारत की एयरलाइंस को 2030 तक 10,900 अतिरिक्त पायलट जोड़ने होंगे, यानी प्रति वर्ष लगभग 1,600 नए पायलट की आवश्यकता है।