Organic Farming: समय बदलने के साथ साथ हमलोग भी बहुत से पुराने तरीके पीछे छोड़ कर, इस भागती हुई दौर में आगे बढ़ रहे है उसी में से एक है हमारे पूर्वजों द्वारा अपनाई गई जैविक खेती लेकिन एक किसान है जो आज भी जैविक खेती को अपना कर लाभ कर रहा है। दादरी क्षेत्र के बंबावड गांव के एक किसान ने खेती को लघु उद्योग में तब्दील कर दिया है। किसान के घर में पालतू पशुओं से तैयार जैविक खाद से धान, गेहूं और सब्जी पैदा कर रहा है। वहीं पालतू पशुओं के दूध से मक्खन व मावा तैयार कर मुनाफा भी कमा रहा है उन्होंने बताया है की रासायनिक खाद के मुकाबले जैविक खाद के प्रयोग से बीस फीसदी अधिक लाभ भी हो रहा है। उनका पूरे सालभर का खेती टर्न ओवर करीब इक्कीस लाख रुपये है, जिसमें उनका एक लाख रुपये प्रति माह की बचत भी होती है। बंबावड़ गांव के किसान ओमबीर सिंह ने बताया कि बारहवीं तक शिक्षा लेने के बाद वे खेती में लग गया।
उन्होंने बताया कि वे पिछले 14 सालाें से जैविक खेती कर रहे है। बचपन में पिता के साथ खेती करते थे तो जैविक खेती ही होती थी। बीच में पैदावार बढ़ाने के लालच में सभी रासायनिक खाद से खेती करने लगे। रासायनिक खेती करने से उन्होंने देखा कि रासायनों से खेती मित्र जीव खत्म हो रहे हैं। उन्होंने रासायनिक खेती बंद कर दोबारा से जैविक खेती करनी शुरू कर दी। कुछ वर्ष पैदावार कम हुई बाद में बढ़नी शुरू हो गई। जैविक खेती से धीरे-धीरे खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ती गई, जिससे पैदावार भी अच्छी होने लगा।
उन्होंने बताया कि किस प्रकार जैविक खेती से धीरे धीरे ही सही लेकिन समय के साथ अच्छी पैदावार होती है। रासायनिक खेती में केंचुआ मर जाता है जबकि जैविक खेती में केंचुआ खेतों में ही रहता है। खेतों को खोद कर जगह-जगह छेद बना देते हैं जिससे पर्यावरण में फैली नाइट्रोजन खेतों के अंदर तक चली जाती है। जिससे खेतों की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और पानी तुरंत अंदर चला जाता है। जल भराव न होने से फसल नष्ट नहीं हो पाती। जैविक खेती से बीस फीसदी ज्यादा पैदावार होती है। जैविक खेती करने पर गुजरात में मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए नरेन्द्र मोदी सम्मानित कर चुके हैं। वहीं पंजाब, हरियाणा, यूपी, महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी सम्मानित किया जा चुका है।