Padma Award 2024 : साल 2024 के लिए 5 हस्तियों को पद्मविभूषण, 17 को पद्मभूषण और 110 को पद्मश्री सम्मान किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरस्कार पाने वाले सभी लोगों को बधाई दी। पद्मश्री पुरस्कारों में कई नाम हैं जो अनसंग हीरोज हैं। इसमें पार्बती बरुआ, जगेश्वर यादव, चामी मुर्मू, गुरविंदर सिंह, सत्यनारायण बेलेरी, दुक्खू मांझी, के चेलम्मल, संगठनकीमा, हेमचंद मांझी, यानुंग जामोह लेगो, सोमाना, सर्वेश्वर बासुमातारी, प्रेमा धनराज, उदय विश्वनाथ देशपांडे, यज्दी मानेकशा इटालिया, शांति देवी पासवान और शिवम पासवान, रतन कहार, अशोक कुमार बिश्वास, बालाकृष्णम सदानम पुथिया जैसे तमाम नाम शामिल हैं। यह वो लोग हैं, जिन्होंने जमीन पर रहते हुए अपने काम से समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
लिस्ट में सबसे पहला नाम पार्बती बरुआ का था, जिन्हें हाथी की परी कहा जाता है। 67 वर्षीय पार्बती असम की रहने वाली हैं और जानवरों के लिए काम करती हैं। वह भारत की पहली महिला हैं जो हाथी के महावत का काम करती हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में काम करके अपने लिए जगह बनाई है।पार्बती ने कहा कि वह यह गुण अपने पिता से सीखी थी और महज 14 साल की उम्र से ही महावत का काम करने लगी थीं। एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद उन्होंने अपने लिए एक साधारण जीवन चुना।
इस लिस्ट में जगेश्वर यादव का नाम भी है, जिन्हें बिरहोर के भाई कहा जाता है। वह जशपुर के रहने वाले हैं और आदिवासी कल्याण के लिए काम करते हैं। तमाम आर्थिक विषमताओं को झेलते हुए वे इस काम में लगे रहे। इस लिस्ट में झारखंड की 52 साल की चामी मुर्मू भी है उन्हें सेराकेला की सहयोगी कहा जाता है। चामी एक ट्राइबल वॉरियर हैं। इन्होंने 30 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए हैं और अपने संगठन के जरिए 30 हजार से ज्यादा महिलाओं को रोजगार का बंदोबस्त कराया है।
इस लिस्ट में अगला नाम हरियाणा के 53 साल के गुरविंदर सिंह का है, जो दिव्यांगों के लिए काम करते हैं। केरल के सत्यनारायण बेलेरी भी पद्म सम्मान वालों में से एक है उन्होंने चावल का 650 से ज्यादा प्रजातियों के संरक्षण पर काम कर चुके हैं। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल के दुक्खु माझी को पद्मश्री सम्मान मिला है। दुक्खु माझी को गाझ दादा के नाम से जाना जाता है। वह पुरुलिया के सिंदरी गांव के ट्राइबल एन्वायर्नमेंटलिस्ट हैं। दुक्खु ने 5000 से ज्यादा बरगद और आम के तमाम पेड़ बंजर जमीन पर लगाए हैं।