आसमान में लोगों को दिखा गुलाबी चांद, क्या है इस गुलाबी चांद का रहस्य?

पूर्ण चंद्र यानी फुल मून महीने में एक बार होता है, जब सूरज, धरती और चांद एक काल्पनिक 180 डिग्री की लाइन पर आते हैं। 24 अप्रैल 2024 की सुबह करीब सवा पांच बजे ये चांद बेहद विशालकाय और अपनी पूरी सुंदरता से चमक रहा था।
Pink Moon: इस चांद के निकलने पर ही ईस्टर की तारीख तय की जाती है।  (Wikimedia Commons)
Pink Moon: इस चांद के निकलने पर ही ईस्टर की तारीख तय की जाती है। (Wikimedia Commons)
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Pink Moon: 23 अप्रैल की रात आसमान में लोगों को गुलाबी चांद दिखा। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ, दरअसल यह हर साल अप्रैल के महीने में होने वाली एक प्राकृतिक घटना है। इस चांद को गुलाबी चांद का नाम इसलिए दिया गया क्योंकि इस मौसम में दुनिया में कई जगहों पर गुलाबी फूल खिलते हैं। नासा के साइंस मिशन डायरेक्टोरेट के प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव गॉर्डन जॉनसन कहते हैं कि पूर्ण चंद्र यानी फुल मून महीने में एक बार होता है, जब सूरज, धरती और चांद एक काल्पनिक 180 डिग्री की लाइन पर आते हैं। 24 अप्रैल 2024 की सुबह करीब सवा पांच बजे ये चांद बेहद विशालकाय और अपनी पूरी सुंदरता से चमक रहा था। आइए जानें इस पिंक मून से जुड़ी कुछ और भी रोचक बातें।

कब दिखता है पिंक फुल मून

पिंक फुल मून तब दिखाई देता है जब 2 घटनाएं एकसाथ होती हैं। जब चांद धरती के करीब हो और उसी समय पूर्णिमा हो तो पिंक फुल मून होता है। इस पूर्णिमा के दिन आकाश में यही नजारा दिखने वाला है। नासा की साइंस कम्यूनिकेटर आंद्रिया जोन्स कहती हैं कि चांद की ऑर्बिट धरती की ऑर्बिट से पांच डिग्री अलग है।

 यहूदी इसे पीसैक या पासओवर मून भी कहते हैं।(Wikimedia Commons)
यहूदी इसे पीसैक या पासओवर मून भी कहते हैं।(Wikimedia Commons)

पिंक मून के और भी कई नाम

अप्रैल फुल मून या पिंक मून के और भी कई नाम हैं। जैसे- स्प्राउटिंग ग्रास मून, एग मून, फिश मून आदि। यहूदी इसे पीसैक या पासओवर मून भी कहते हैं। ईसाईयों में इसे पाश्चल मून कहते हैं। इस चांद के निकलने पर ही ईस्टर की तारीख तय की जाती है।

ग्रहण के समय चांद बदल जाता है ब्लड मून में

पूर्ण चंद्र के समय कभी-कभी धरती की परछाई आंशिक या पूरी तरह से चांद पर पड़ जाती है, जिससे चंद्र ग्रहण लग दता है। ग्रहण के समय चांद का रंग जंग लगे हुए लोहे की तरह लाल हो जाता है। जिसे लोग ब्लड मून कहते हैं। आमतौर पर चांद लाल तब दिखता है, जब सूरज की रोशनी धरती के चारों तरफ से होती हुई चांद पर पड़ती है।

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