सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम 2005 में लाया गया था। इसके अंतर्गत कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी कार्यालय, संगठन तथा मंत्रालय से जानकारी मांग सकता है। इस अधिनियम के लागू होने की शुरुआत से ही यह सबसे सफल और कारगर साबित हुआ है। यह अधिनियम आम आदमी को सशक्त बनाता है और साथ ही सरकार की प्रणाली को पारदर्शी और उसकी जवाबदेही सुनिश्यित करता है।
सन् 2013 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने तब देश की सभी 6 राष्ट्रीय पार्टियों (जिसमे BJP, INC, NCP, BSP, CPI(M), CPI शामिल थी) को निर्देशित किया था की वह Right to Information (RTI) Act के अंतर्गत आती है तथा इसका पालन करे लेकिन तब सभी दलों ने अपने स्वभाव के विपरीत एकमत होकर इस निर्णय को नकारा था। अभी इस मुद्दे से जुड़ा मामला देश के उच्चतम न्यायलय (Supreme Court) में है। यह बात गौर करने वाली है की राजनितिक दलों ने निरंतर खुद को RTI Act में सम्मिलित किये जाने का यह तर्क देकर विरोध किया है कि वह सार्वजानिक प्राधिकरण (Public Authorities) नहीं है, लेकिन यह तर्क आधा सच और आधा झूठ है।
क्यों राजनीतिक दलों को सार्वजानिक प्राधिकरण माना जाना चाहिए
राजनीतिक दलों (Political Parties) को सुचना के अधिकार अधिनियम (RTI Act) में शामिल करने के तीन प्रमुख कारण है।
1. राजनीतिक दलों को अपना कार्यालय बनाने के लिए सरकार की तरफ से दिल्ली और राज्यों की राजधानियों में बिलकुल मुफ्त में ज़मीन मिलती है।
2. दलों को कर ना भरने की छूट है।
3. लोकसभा चुनाव के दौरान इन दलों को दूरदर्शन (Doordarshan) और आकशवाणी (All India Radio) पर free airtime मिलता है।
इन बिन्दुओ से यह साफ़ हो चूका है की राजनीतिक दलों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलता है और RTI Act के 2(h) खंड में यह स्पष्ट कर रखा है की "सार्वजनिक प्राधिकरण(Public Authority)" का अर्थ किसी भी प्राधिकरण या निकाय या स्व-सरकार की स्थापना या गठित संस्था से है और इसमें वो शामिल है जो -
2(h)(d)(i) - body owned, controlled or substantially financed;
2(h)(d)(ii) - non-Government organisation substantially financed, directly or indirectly by funds provided by the appropriate Government;
इस से यह स्पष्ट हो जाता है कि RTI Act के 2(h) खंड के अनुसार राजनीतिक दलों को इस अधिनियम के अंतर्गत लाया जा सकता है।
Dr. Munish Raizada, संयोजक, लोक उम्मीदवार अभियान ने कहा की राजनीतिक दल लोकतंत्र के पहिये होते है और लोकतंत्र में पारदर्शिता का महत्व सबसे अधिक होता है। अगर राजनितिक दल खुद पारदर्शिता नहीं रखेंगे तो आखिर कौन रखेगा? उन्होंने आगे कहा की पारदर्शिता और लोकतंत्र परस्पर है और एक लोकतंत्र को जिवंत और स्वस्थ्य रखने के लिए इनका होना बहुत ज़रूरी है इसलिए राजनीतिक दलों को RTI Act के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।
लोक उम्मीदवार अभियान (Public Candidate Campaign) देश में लोकतांत्रिक, चुनावी और न्यायिक सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है तथा हमारे मुख्य एजेंडा में NOTA को सशक्त बनाना, Electoral Bonds को ख़त्म करना, राजनीतिक दलों को RTI Act के अंतर्गत लाना, बड़े currency notes पर प्रतिबन्ध लगाना आदि मुद्दे शामिल है. अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट www.luindia.org पर जाये।