सफलता की दौड़ या साइलेंट स्ट्रगल? कोरिया में डिप्रेशन की असली वजह

एक रिसर्च के मुताबिक 2050 तक कोरिया में केवल बूढ़े लोग ही नजर आएंगे लेकिन ऐसा क्यों? इस कारण को जानने और समझने के लिए कोरिया के उस काले सच को जानना होगा जो दुनिया से छिपा हुआ है।
एक ऐसा देश जो बाहर से देखने में काफी चमक दमक और खुशियों से भरा है लेकिन अंदर से बिल्कुल खोखला है। [Pixabay]
एक ऐसा देश जो बाहर से देखने में काफी चमक दमक और खुशियों से भरा है लेकिन अंदर से बिल्कुल खोखला है। [Pixabay]
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जैसे ही कोरिया का नाम आता है सबसे पहले तो कोरिया के ड्रामा, पॉप कल्चर, सुंदर चेहरे कांच जैसे चमकते शहर और क्विड गेम्स जैसी चीजों की झलक सामने आती है, इन सभी परफेक्शन के पीछे एक काला सच छुपा हुआ है। एक ऐसा देश जो बाहर से देखने में काफी चमक दमक और खुशियों से भरा है लेकिन अंदर से बिल्कुल खोखला है। जी हां! कोरिया एक ऐसा देश है जो अब एक डिप्रेस्ड कंट्री बनता जा रहा है। एक रिसर्च के मुताबिक 2050 तक कोरिया में केवल बूढ़े लोग ही नजर आएंगे लेकिन ऐसा क्यों? इस कारण को जानने और समझने के लिए कोरिया के उस काले सच को जानना होगा जो दुनिया से छिपा हुआ है।

साउथ कोरिया के लोग हो गए है डिप्रेशन का शिकार

OECD (Organisation for Economic Co-operation and Development) के रिपोर्ट्स के अनुसार साउथ कोरिया में डिप्रेशन बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। इस डिप्रेशन की वजह से साउथ कोरिया में आत्महत्या यानी की सुसाइड के मामले भी काफी अधिक है। या यूं कह लीजिए की पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सुसाइड कहीं होता है तो साउथ कोरिया में होता है, और सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है की कोरिया के युवा पीढ़ी जिनकी उम्र 10 से 29 वर्ष है वे ही सबसे ज्यादा डिप्रेशन और सुसाइड जैसे मामलों में योगदान देते हैं। सवाल ये उठता है कि देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चे आखिर डिप्रेशन के शिकार और सुसाइड जैसे कदम क्यों उठा रहे हैं? आइए जानतें है।

OECD की रिपोर्ट के अनुसार कोरिया में बच्चों पर ट्यूशंस और शिक्षा का बहुत अधिक दबाव है। [Pixabay]
OECD की रिपोर्ट के अनुसार कोरिया में बच्चों पर ट्यूशंस और शिक्षा का बहुत अधिक दबाव है। [Pixabay]

शिक्षा का दबाव


OECD की रिपोर्ट के अनुसार कोरिया में बच्चों पर ट्यूशंस और शिक्षा का बहुत अधिक दबाव है। कोरिया में 2 साल से लेकर हायर स्टडीज तक के बच्चे ट्यूशंस करते हैं। स्कूल के बाद ट्यूशन का यह दबाव बच्चों के मानसिक स्थिति पर असर डालता है। छात्रों पर भारी पढ़ाई और अच्छे ग्रेड्स का दबाव होता है। 12-12 घंटे की कोचिंग आम बात है। नौकरी की तलाश में युवा मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं। बेरोजगारी और अस्थिरता उन्हें तोड़ देती है। आपको बता दे की माता-पिता बच्चों पर पढ़ाई का दबाव देकर उनके करियर के बारे में सोचते हैं लेकिन बच्चे इस दबाव को झेल नहीं पा रहे हैं और जिसका एक नतीजा है कि 10 साल की उम्र से लेकर 29 साल की उम्र तक के बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं और कई उनमें से सुसाइड कर लेते हैं।


सुंदरता का दबाव


कोरिया को "World's Plastic Surgery Capital" कहा जाता है। साउथ कोरिया के लोग हर एक चीज में कंपटीशन यानी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं चाहे पढ़ाई हो या फिर सुंदर दिखना। सुंदरता का दबाव साउथ कोरिया में बहुत अधिक मात्रा में देखा गया है एक आंकड़ों के अनुसार हर तीन में से एक महिला प्लास्टिक सर्जरी करवा चुकी है। यहां तक की बड़े-बड़े कंपनी में यदि कोई महिला या पुरुष अच्छा नहीं दिखता है तो उसे नौकरी तक नहीं दी जाती है। अच्छे नहीं दिखने वाले लोगों को ना पार्टनर मिलता है, ना नौकरी मिलती है और ना ही समाज में सम्मान। यहां तक कि सोशल मीडिया पर दिखने वाली परफेक्ट लाइफ और चेहरे, आम कोरियनों के लिए आत्म-संदेह और हीनभावना का कारण बनते हैं। ऐसे में युवा पीढ़ी डिप्रेशन का शिकार होते जा रही है।

हर तीन में से एक महिला प्लास्टिक सर्जरी करवा चुकी है। [Pixabay]
हर तीन में से एक महिला प्लास्टिक सर्जरी करवा चुकी है। [Pixabay]



असामान्य वर्क कल्चर


सबसे पहले तो बच्चों के पैदा होते ही उन पर पढ़ाई का दबाव बनाया जाता है और उसके बाद नौकरी और सुंदर दिखना यह भी कोरिया के युवाओं के लिए एक बड़ा चैलेंज है। उस पर कोरिया के टॉप मोस्ट कंपनी में नौकरी पाना वहां के लोगों का सपना और सम्मान का कारण होता है। आपको बता दे कि भारत में जब इंफोसिस के संस्थापक ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने की बात कही थी तो इस पर खूब सवाल उठे थे लेकिन साउथ कोरिया में लोग 1192 घंटे काम करते हैं, और इस काम के चक्कर में वह अपने रिलेशनशिप परिवार इन सब से दूर हो चुके हैं। इसके अलावा साउथ कोरिया का वर्क कल्चर काफी खतरनाक है सीनियर अपने जूनियर्स पर मनमानी ढंग से दबाव बनाते हैं। इन सभी के कारण लोगों में अब जीने की इच्छा ही खत्म होती जा रही है।


2050 तक बदल जाएगा कोरिया


आत्महत्या की दर में बढ़ोतरी, डिप्रेशन से शिकार बच्चे और कोरिया की लाइफस्टाइल को देखते हुए ऐसा कहा जा रहा है कि 2050 तक कोरिया पूरी तरह से बदल जाएगा, और यह बदलाव एक नकारात्मक बदलाव होगा क्योंकि 2050 तक कोरिया में केवल बुजुर्ग ही नजर आएंगे। कोरिया के समाज में जिस तरह के दबाव देखे जा रहे हैं उनके कारण कोरिया का बर्थ रेट काफी तेजी के साथ घटता जा रहा है। महिलाएं बच्चे पैदा करना ही नहीं चाहती जिसके कारण जब बच्चे होंगे ही नहीं तो आने वाले समय में केवल और केवल बुजुर्ग ही नजर आएंगे।

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ऐसे ऐसे में कोरिया से एक चीज सीखनी चाहिए कि चाहे कितने भी डेवलप्ड देश हो लेकिन हर देश का एक काला सच होता है और यदि कोरिया से हम अभी ही सबक लेते और अपने आप को इन सभी नकारात्मक चीजों से दूर रखें तो शायद आने वाले समय में हमें इन चीजों का शिकार नहीं होना पड़ेगा। Rh/SP

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