धनबाद आईआईटी ने किया अनूठा सिस्टम विकसित, हाईवे की स्पेशल लेन पर चलते हुए खुद चार्ज हो जायेंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियां

इस सिस्टम के इस्तेमाल से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स रिवॉल्यूशन को एक नई गति और दिशा मिलेगी।
धनबाद आईआईटी ने किया अनूठा सिस्टम विकसित, हाईवे की स्पेशल लेन पर चलते हुए खुद चार्ज हो जायेंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियां
धनबाद आईआईटी ने किया अनूठा सिस्टम विकसित, हाईवे की स्पेशल लेन पर चलते हुए खुद चार्ज हो जायेंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियांIANS
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आने वाला वक्त इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का है, लेकिन इनके लिए देश भर में चार्जिंग स्टेशन का व्यापक नेटवर्क तैयार करना आसान नहीं है। ऐसे में धनबाद स्थित आईआईटी-आईएसएम में हुए एक रिसर्च के बाद सड़कों पर दौड़ने वाली इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicles) के लिए एक ऐसा हाइब्रिड वायरलेस चार्जिंग सिस्टम (Charging System) डेवलप किया गया है, जिससे ये गाड़ियां चलते-चलते स्वत: चार्ज हो जायेंगी। उन्हें किसी चार्जिंग स्टेशन पर रुकने की जरूरत नहीं होगी और वे लगातार लंबी दूरी तय कर सकेंगी। आईआईटी धनबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. प्रदीप कुमार साधु की अगुवाई में लगातार ढाई साल तक हुए रिसर्च के रिजल्ट के आधार पर दावा किया जा रहा है कि इस सिस्टम के इस्तेमाल से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स रिवॉल्यूशन को एक नई गति और दिशा मिलेगी। आईआईटी-आईएसएम ने इसके पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है। इसके पहले संस्थान को इस क्षेत्र में छह ग्रांटेड पेटेंट मिल चुके हैं।

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सात सदस्यीय रिसर्च टीम के हेड प्रो. साधु के अनुसार, इस हाइब्रिड रिन्यूएबल ड्रिवेन बाईडायरेक्शनल वायरलेस चार्जिंग सिस्टम के तहत हाईवे में एक अलग लेन तैयार करना होगा। इस लेन में इलेक्ट्रिक क्वायल लगा होगा, जो गाड़ी के इलेक्ट्रिक क्वायल के संपर्क में आकर उसे चार्ज करता रहेगा। इस लेन से गुजरने वाली गाड़ियां स्वत: चार्ज हो जायेंगी। खास बात यह है कि यह चार्जिंग सिस्टम दिन में सोलर और विंड एनर्जी और रात में इलेक्ट्रिक ग्रिड के जरिए काम करेगा। इतना ही नहीं, इस सिस्टम से अतिरिक्त सोलर एनर्जी जेनरेट होने पर उसे ग्रिड में ट्रांसफर किया जा सकेगा। किसी व्हीकल ने अतिरिक्त चार्ज प्राप्त कर लिया है तो उसे ग्रिड में वापस ट्रांसफर करके पावर क्रेडिट प्राप्त किया जा सकता है। इस क्रेडिट का उपयोग बाद में वाहन को चार्ज करने के लिए किया जा सकता है। इस सिस्टम के उपयोग से गाड़ियों की बैटरी का आकार भी कम किया जा सकेगा और इससे अंतत: बैटरी की लागत में कमी आयेगी। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के दौरान गाड़ियों से इसकी फीस भी ऑटोमेशन सिस्टम के जरिए वसूल ली जायेगी। इस सिस्टम का प्रयोगशाला परीक्षण पूरा कर लिया गया है। भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक परंपरागत वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदलने का लक्ष्य तय किया है। इसके मद्देनजर इस रिसर्च को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। रिसर्च टीम में प्रो. प्रदीप कुमार साधु के अलावा प्रो. निताई पाल, प्रो. कार्तिक चंद्र जाना, अर्जित बाराल, प्रो. अनिर्बान घोषाल, अनिक गोस्वामी, सोनल मिश्रा शामिल हैं।

(आईएएनएस/HS)

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