Rituals : सनातन धर्म में कई ऐसी परंपरा हैं जिन्हें लोग सदियों से मानते चले आ रहे हैं, लेकिन कई लोगों को उसके पीछे का कारण नहीं पता होता है। इसी प्रकार सनातन धर्म में एक परंपरा है कि कोई भी शुभ कार्य करने या कहीं जाने से पहले दही-शक्कर खाकर ही निकलते हैं। यह परंपरा पहले से चली आ रही है, कहीं बाहर जाने से पहले घर की महिलाएं दही शक्कर जरूर खिलाती हैं। इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से हम जिस काम के लिए निकल रहे हैं वो जरूर सफल होता है। लेकिन आपको बता दें कि दही शक्कर खाने के वैज्ञानिक आधार भी हैं, तो आइए पूरे विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
दही को सनातन धर्म में पंचामृत माना जाता है और हर शुभ कार्य में इसका विशेष महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि चंद्रमा के साथ दही का संबंध होता है। दही सफेद होने की वजह से चंद्रमा का काफी प्रिय है और जब इसे ग्रहण कर घर से बाहर निकलते हैं तो आपके अंदर का आत्मविश्वास और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
यात्रा के समय दही खाकर निकलना मिथिलांचल की खास परंपरा में शुमार है। सनातन धर्म में भी दही खाकर यात्रा करना शुभ बताया गया है। दही खाने से नाभिक ठंडा रहता है और पेट को तृप्त रखता है। इसी कारण बड़ो से लेकर छोटे बच्चों को भी स्कूल या एग्जाम देने जाने से पहले घर से माता दही शक्कर जरूर खिलाती है।
चिकित्सा के क्षेत्र में भी दही का महत्व काफी है। यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद भी होता है इसके साथ ही दही पाचन क्रिया को मजबूत करता है। यदि पोषक तत्व की बात करें तो इसमें कैल्शियम के साथ विटामिन B2 और विटामिन B12 पाया जाता है। इसके अलावा पोटेशियम और मैग्नीशियम भी दही में पाया जाता है। दही अपच और एसिडिटी जैसी समस्या को भी दूर करता है, तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी दही शक्कर बेहद फायदेमंद है।