क्या है नागरिकता के नियम, जानिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं इन देशों में नागरिकता पाने के लिए

मुस्लिम देशों में भी केवल मुस्लिम होने से नागरिकता नहीं मिलती। यहां ऐसा नहीं है कि सताए हुए मुस्लिमों को शरण मिल जाए। जैसे गाजा के लिए सारे मुस्लिम देशों ने आवाज तो उठाई, लेकिन वहां के लोगों को शरण नहीं दी।
Rule of Citizenship: इस कानून पर अभी भी बहस चल रही है सभी अपना राय दे रहे हैं (Wikimedia Commons)
Rule of Citizenship: इस कानून पर अभी भी बहस चल रही है सभी अपना राय दे रहे हैं (Wikimedia Commons)
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Rule of Citizenship : भारत देश में लाखों की संख्या में कई देशों के शरणार्थी हैं। अब हाल ही में सीएए आने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और ईसाई धर्म के ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी, जो 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले भारत आ चुके। इस कानून पर अभी भी बहस चल रही है सभी अपना राय दे रहे हैं लेकिन नागरिकता की बात करे, तो विरोध कर रहे मुस्लिम देशों में भी नागरिकता के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि दूसरे देशों में किस आधार पर नागरिकता दी जाती है।

नागरिता के नियम

पहला नियम है राइट ऑफ सॉइल। इस नियम में यह है कि बच्चे का जहां जन्म हुआ हो, वो अपने आप वहां का नागरिक बन जाता है। दूसरा नियम है राइट ऑफ ब्लड अर्थात् आपके पेरेंट्स जहां से हैं, आप भी वहीं के कहलाएंगे। तीसरा नियम है कि इसमें किसी भी देश का नागरिक दूसरे देश का सिटिजन हो सकता है, लेकिन इसके लिए उसे नेचुरलाइजेशन का पीरियड बिताना होगा। नेचुरलाइजेशन वो समय होता है, जो आप किसी देश में बिताते हैं। ये 5 सालों से लेकर काफी लंबा भी हो सकता है।

पहला नियम है राइट ऑफ सॉइल। इस नियम में यह है कि बच्चे का जहां जन्म हुआ हो, वो अपने आप वहां का नागरिक बन जाता है।(Wikimedia Commons)
पहला नियम है राइट ऑफ सॉइल। इस नियम में यह है कि बच्चे का जहां जन्म हुआ हो, वो अपने आप वहां का नागरिक बन जाता है।(Wikimedia Commons)

जन्म के आधार पर नागरिकता

इस नियम के अनुसार 30 से ज्यादा देश बर्थ राइट सिटिजनशिप को मानते हैं। सबसे पहले अमेरिका ने ही 19वीं सदी में राइट ऑफ सॉइल के नियम को अपना लिया। इसके अलावा कनाडा अर्जेंटिना, बोलिविया, इक्वाडोर, फिजी, ग्वाटेमाला, क्यूबा और वेनेजुएला जैसे कई देश ये अधिकार देते है।

मुस्लिम देशों में कैसे मिलेगा नागरिकता

भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान की बात करें तो वहां माइनोरिटी लगातार कम हो रही है। यहां से जबरन धर्म परिवर्तन की भी खबरें सामने आ रहीं है। भारत के हर नियम-कानून पर चिंता जताने वाले पाकिस्तान में मुस्लिम धर्म का होने से नागरिकता नहीं मिल जाती। ईरान और इराक में जन्म के आधार पर मिलता है। मुस्लिम देशों में भी केवल मुस्लिम होने से नागरिकता नहीं मिलती। यहां ऐसा नहीं है कि सताए हुए मुस्लिमों को शरण मिल जाए। जैसे गाजा के लिए सारे मुस्लिम देशों ने आवाज तो उठाई, लेकिन वहां के लोगों को शरण नहीं दी।

अमीर मुस्लिम देश कतर की नागरिकता पाना बहुत मुश्किल है। (Wikimedia Commons)
अमीर मुस्लिम देश कतर की नागरिकता पाना बहुत मुश्किल है। (Wikimedia Commons)

बांग्लादेश में है ब्लड राइट का नियम

यदि किसी के पेरेंट्स का जन्म वहां हुआ हो, तो नागरिकता मिल जाएगी। फिलहाल सीरियाई कैंप में रह रही शमीमा बेगम को बांग्लादेश ने अपनाने से मना कर दिया था क्योंकि उसके लिंक इस्लामिक स्टेट से पाए गए। बांग्लादेश भी मुस्लिम बहुल देश है, लेकिन यहां भी मुसलमान होने से ही किसी को सिटिजनशिप नहीं मिलती है।

सबसे मुश्किल है कतर का नागरिकता पाना

अमीर मुस्लिम देश कतर की नागरिकता पाना बहुत मुश्किल है। कतरी नागरिकता के लिए वो अप्लाई कर सकता है, जिसके पेरेंट्स में से कोई एक कतर में जन्मा हो और इसके अलावा अगर आप विदेशी हों तो कतरी सिटिजन कहलाने के लिए 25 साल का इंतजार करना पड़ सकता है। यहां नेचुरलाइजेशन की प्रक्रिया 25 साल है।

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