Salma Dam : अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। अफगानिस्तान में अब तालिबान का राज है और इनके द्वारा ही पहली बार भारतीय इंजीनियरों की टीम काबुल पहुंची है। यह टीम आठ साल पहले भारत के बनाए सलमा बांध की जांच करेगी। सलमा बांध को आधिकारिक तौर पर भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध के नाम से जाना जाता है। इस बांध को बनाने में भारत ने 265 मिलियन डॉलर खर्च किए थे। इसके बाद भारत के पास सलमा बांध को तालिबान के हाथों में छोड़ने या इसे बनाए रखने में मदद करने का विकल्प था। ऐसे में भारत ने सलमा बांध की देखरेख के लिए इंजीनियरों की एक टीम को भेजने का फैसला किया है।
भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी वैपकोस की चार सदस्यीय टीम वर्तमान में उत्तर-पश्चिमी अफगानिस्तान के हरिरुद नदी पर बनी उनकी जलविद्युत परियोजना सलमा बांध का दौरा कर रही है। इस टीम ने बुधवार को साप्ताहिक निर्धारित उड़ान के माध्यम से काबुल की यात्रा की और इसके अगले दिन हेरात शहर के लिए रवाना हुई। बांध तक पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया। इस दौरान एक्सपर्ट की यह टीम तीन दिनों तक वहां रुकी रही। उनकी पूरी यात्रा के दौरान स्थानीय सुरक्षा अधिकारी और अफगान ऊर्जा और जल मंत्रालय के प्रतिनिधि उनके साथ ही रहे।
इस सलमा बांध की जगह पर आज भी पुराना बोर्ड लगा हुआ है, जिस पर बांध का नाम और उससे जुड़ी कई डिटेल्स लिखित रूप में लिखी हुई है। इसी पर "अफगान भारत मैत्री बांध" प्रमुखता से लिखा है। इस बोर्ड पर भारत और अफगान ध्वज को भी बनाया गया है। भारतीय तिरंगे का रंग आज भी वैसी ही है, जबकि अफगान झंडे को जानबूझ वहां से मिटाने की कोशिश की गई है। दरहसल, तालिबान अफगान झंडे को मान्यता नहीं देता है।
तालिबान सरकार ने सलमा बांध में आ रही समस्याओं के समाधान के लिए भारतीय अधिकारियों से एक तकनीकी टीम भेजने का बार-बार अनुरोध किया था। यह 2021 के बाद से बुनियादी ढांचा परियोजना से संबंधित किसी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का संभवत पहला अफगानिस्तान दौरा है। आपको बता दें कि भारत ने अभी तक आधिकारिक तौर पर अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है।