रूसी इंजीनियर की मदद से बना भारत का पहला सुपर कंप्यूटर, टॉप टेन में से मिला चौथा स्थान

सुपर कंप्यूटर दुनिया का सबसे तेज कंप्यूटर है जो डेटा को बहुत तेजी से प्रोसेस करता है। इसका आकार भी काफी बड़ा होता है। यह कंप्यूटर एक सेकंड में अरबों निर्देशों को प्रोसेस कर सकता है।
India's Supercomputer :  सुपर कंप्यूटर का खास इस्तेमाल वैज्ञानिको और इंजीनियरो के द्वारा बहुत सारें कार्यो के लिए किया जाता है। (Wikimedia Commons)
India's Supercomputer : सुपर कंप्यूटर का खास इस्तेमाल वैज्ञानिको और इंजीनियरो के द्वारा बहुत सारें कार्यो के लिए किया जाता है। (Wikimedia Commons)
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India's Supercomputer : साल 1997 में जब आईबीएम द्वारा विकसित सुपर कंप्यूटर ‘ब्लू’ ने विश्व शतरंज चैंपियन गैरी कास्रोव को हराया तो पूरे विश्व में हंगामा मच गया। दरहसल, सुपर कंप्यूटर दुनिया का सबसे तेज कंप्यूटर है जो डेटा को बहुत तेजी से प्रोसेस करता है। इसका आकार भी काफी बड़ा होता है। यह कंप्यूटर एक सेकंड में अरबों निर्देशों को प्रोसेस कर सकता है। सुपर कंप्यूटर का खास इस्तेमाल वैज्ञानिको और इंजीनियरो के द्वारा बहुत सारें कार्यो के लिए किया जाता है। सुपर कंप्यूटर के खासियत को देखते हुए 2000 का दशक शुरू होते-होते अमेरिका, यूरोप, चीन और जापान जैसे देशों ने सुपर कंप्यूटर में भारी भरकम निवेश शुरू कर दिया, लेकिन साल 2007 तक भारत के पास ऐसा कोई शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर नहीं था।

कैसे हुई शुरुआत ?

साल 2000 की शुरुआत में टीसीएस ने ऐसे वैज्ञानिकों की नियुक्ति शुरू की जो सुपर कंप्यूटर को लेकर जुनूनी थे। इन्हीं में से एक थे मशहूर रिसर्च स्कॉलर डॉ. सुनील शेर्लेकर और उनके एक मित्र डॉ. नरेंद्र कर्माकर थे जो मशहूर गणितज्ञ थे। एक दिन सुनील शेर्लेकर टीसीएस के एमडी रामादुरई से कहा कि हम सुपर कंप्यूटर बनाना चाहते हैं। ये बात जब रतन टाटा तक पहुंची उन्होंने फौरन इस परियोजना को मंजूरी दे दी। इसके बाद टाटा ग्रुप की मुख्य कंपनी टाटा संस के बोर्ड ने मार्च 2006 में परियोजना को अप्रूवल दे दिया। पुणे में एक नई कंपनी कंप्यूटेशनल रिसर्च लैबोरेट्रीज की स्थापना की गई। इसके बाद सभी जुनूनी इंजीनियर दिन रात भारत के सुपर कंप्यूटर के सपने को पूरा करने में जुट गए।

आईबीएम द्वारा विकसित सुपर कंप्यूटर ‘ब्लू’ ने विश्व शतरंज चैंपियन गैरी कास्रोव को हराया तो पूरे विश्व में हंगामा मच गया।(Wikimedia Commons)
आईबीएम द्वारा विकसित सुपर कंप्यूटर ‘ब्लू’ ने विश्व शतरंज चैंपियन गैरी कास्रोव को हराया तो पूरे विश्व में हंगामा मच गया।(Wikimedia Commons)

रूसी इंजीनियर ने किया मदद

टीसीएस ने तय किया कि 1 अक्टूबर 2007 को हर हाल में सुपर कंप्यूटर तैयार कर लिया जाएगा। परंतु डेडलाइन से ठीक पहले एक बड़ी चुनौती आ गई। उन्होंने कंप्यूटर तो बना लिया लेकिन भारत के इस सुपर कंप्यूटर, जिसे ‘एका’ नाम दिया गया इसको दुनिया के टॉप सुपर कंप्यूटर में शामिल होने के लिए 100 टेराफ्लॉप की रफ्तार पार करना जरूरी था, लेकिन तमाम टेस्ट के बावजूद भी ‘एका’ 97 टेराफ्लॉप से आगे नहीं बढ़ पा रहा था। ऐसे में ‘एका’ की टीम में काम कर रहे एक युवा इंजीनियर का परिचय एक रूसी इंजीनियर से था जो इंटेल कंपनी में काम किया करते थे। उनके ही मदद से काम को आगे बढ़ाया गया।

टॉप टेन में से मिला चौथा स्थान

रूसी इंजीनियर के मदद से ‘एका’ की समस्या दूर हो गई और 118 टेराफ्लॉप की रिकॉर्ड स्पीड दर्ज की गई। 6 नवंबर 2007 को जब वर्ल्ड सुपर कंप्यूटर रैंकिंग की घोषणा हुई, तो भारत के इस सुपर कंप्यूटर को टॉप टेन में चौथा स्थान मिला। ये खबर आते ही पूरा भारत खुशी से झूम उठा।

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