जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रोफेसर का उपन्यास "द पैराडाइज ऑफ फूड" जेसीबी पुरस्कार लिस्ट में हुआ शामिल

'नेमत खाना' के अंग्रेजी अनुवाद को भारतीय भाषाओं में से चुने गए पांच उपन्यासों में शामिल किया गया है।
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जामिया मिल्लिया इस्लामियाIANS
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जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) में उर्दू विभाग के अध्यक्ष व समकालीन कथा लेखक प्रोफेसर खालिद जावेद के उपन्यास 'नेमत खाना (Naimat Khana)' का अंग्रेजी अनुवाद प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार 'जेसीबी अवार्ड फॉर लिटरेचर (The JCB Prize for Literature) 2022' में शामिल किया गया है। 'नेमत खाना' के अंग्रेजी अनुवाद को भारतीय भाषाओं में से चुने गए पांच उपन्यासों में शामिल किया गया है। पुरस्कार राशि 25 लाख रुपये है और अनुवादक को 10 लाख रुपये की पुरस्कार राशि भी अलग से मिलती है। जिन पांच लेखकों के उपन्यासों को सूची में शामिल किया गया है, उनमें से प्रत्येक को एक लाख रुपये मिलेंगे।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया
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यह उपन्यास एक विशिष्ट मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार की रसोई की कहानी बयां करता है, जो भूख, हिंसा, प्रेम, अपराधबोध और स्वीकारोक्ति के इर्द-गिर्द घूमता है। प्रोफेसर बारा फारूकी द्वारा उपन्यास का अंग्रेजी में 'द पैराडाइज ऑफ फूड (The Paradise of Food)' के रूप में अनुवाद किया गया है।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर ने इसे विश्वविद्यालय के लिए गर्व का क्षण कहा है। उन्होंने अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की और आशा व्यक्त की कि उपन्यास को अंतत पुरस्कार के लिए चुना जाएगा।

सांकेतिक चित्र
सांकेतिक चित्रWikimedia

प्रोफेसर खालिद जावेद के तीन उपन्यास 'मौत की किताब', नेमत खाना और 'एक खंजर पानी में' बहुत लोकप्रिय हुए हैं और उनका चौथा उपन्यास 'अरसलान और बेहजाद' बहुत जल्द रिलीज होने वाला है। उनके उपन्यास 'मौत की किताब' का अनुवाद डॉ. ए नसीब खान ने 'बुक ऑफ डेथ' के रूप में किया है। उन्हें देशभर के प्रमुख साहित्यिक संस्थानों द्वारा कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

गौरतलब है कि हाल ही में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बारह 12 शोधार्थियों को प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) भी दी गई है। जामिया के इन रिसर्च छात्रों को फेलोशिप के अलावा 10 लाख रुपए की राशि दी जाएगी। 10 लाख रुपए की यह राशि रिसर्च को प्रोत्साहित करने के लिए है। गौरतलब है कि बीते वर्षों के मुकाबले प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप कार्यक्रम में जामिया के चयनित छात्रों की संख्या दोगुनी हुई है।

आईएएनएस/PT

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