Graphene Material: ग्राफीन को दुनिया का सबसे मजबूत मैटेरियल माना जाता है, जिसके आगे हीरा भी कुछ भी नहीं है यह स्टील से 200 गुना स्ट्रॉन्ग, लेकिन 6 गुना हल्का होता है। इतना हल्का कि ग्राफीन एयरजेल का एक टुकड़ा, जिसका वजन केवल 0.16 मिलीग्राम प्रति घन सेंटीमीटर होता है, उसे एक फूल पर भी रखा जा सकता है। यह हीरे से 40 गुना अधिक स्ट्रॉन्ग होता है। बेहद मजबूत होने के अलावा ग्राफीन में और भी कई चमत्कारिक खूबियां होती हैं। ग्राफीन चीन, मोज़ाम्बिक, ब्राज़ील और भारत में पाया जाता है।
2004 में रूस में जन्मे दो वैज्ञानिकों आंद्रे गीम और कॉन्स्टेंटिन नोवोसेलोव ने अन्य लोगों के साथ मिलकर पहला इलेक्ट्रॉनिक मेजरमेंट पब्लिश किया, जिससे साबित हुआ कि उन्होंने ग्राफीन को अलग कर लिया है। उन्होंने इसे ग्रेफाइट से अलग करके बनाया था, जिसके कारण अंततः उन्हें 2010 में फिजिक्स के लिए नोबेल अवॉर्ड मिला।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, ग्राफीन एक वंडर मैटेरियल है, जिसे पेंसिल में इस्तेमाल होने वाले मैटेरियल ग्रेफाइट से निकाला गया। यह कार्बन का एक अपरूप है जिसमें दो-आयामी हनीकोम्ब जालीनुमा नैनोस्ट्रक्चर में व्यवस्थित परमाणुओं की एकल परत होती है। ग्राफीन को सुपरमटेरियल मैटेरियल भी माना जाता है। यह मधुमक्खी के छत्ते की तरह एक हेक्सागोनल जाली की तरह दिखता है, हालांकि बहुत ही पतला होता है।
ग्राफीन इलेक्ट्रिसिटी का बहुत अच्छा सुचालक है यह तांबे की तुलना में बहुत जबरदस्त तरीके से करंट का फ्लो करता है, इसलिए इलेक्ट्रिक उपकरणों में इसका इस्तेमाल करना अच्छा बताया जाता है। यह लगभग पूरी तरह से पारदर्शी होता है, क्योंकि अपने ऊपर पड़ने वाली लाइट का 2 फीसदी ही अवशोषित करता है, बाकी लगभग 98% लाइट को अपने अंदर से गुजरने देता है। यही वजह है कि इसे नग्न आंखों से देख पाना आसान नहीं होता है।
पारदर्शी होने के साथ-साथ एक अच्छा कंडक्टर होने के कारण ग्राफीन मोबाइल फोन और अन्य टचस्क्रीनों में उपयोग किए जाने वाले इंडियम में इलेक्ट्रोड की जगह ले सकता है। ग्राफीन का यूज बैटरियों, ट्रांजिस्टर, कंप्यूटर चिप्स, सुपरकैपेसिटर, पानी फिल्टर, एंटेना और टचस्क्रीन बनाने में किया जा सकता है।