आईआईटी जोधपुर (IIT Jodhpur) के शोधकर्ता डॉ. जयंत कुमार मोहंता ने अन्य सह-शोधकर्ताओं के साथ रोबोट ट्रेनर (Robot Trainer) डिजाइन किया है। इस रोबोट ट्रेनर का उपयोग निचले अंगों की अपंगता के उपचार के लिए फिजियोथेरेपी (Physiotherapy) किया जा सकता है। इस तरह की अपंगता भारतीयों की गंभीर स्वास्थ्य समस्या है और यह बढ़ती उम्र की बीमारियों, शारीरिक विकृतियों, दुर्घटनाओं, स्ट्रोक, पोलियो आदि कई कारणों से होती है। जनगणना-2011 के अनुसार भारत में 50 लाख लोगों को लोकोमोटर डिसे बिलिटी (अंग संचालन अपंगता) है। निचले अंगों के पुनर्वास (रिहैबिलिटेशन) में बहुत समय लगता है और कभी-कभी कई फिजियोथेरेपिस्ट की मदद लेनी पड़ती है। ऐसा खास कर शरीर का स्वरूप दोबारा वापस पाने में देखा जाता है। हाल में निचले अंगों के पुनर्वास के लिए रोबोटिक डिवाइस डिजाइन करने में दिलचस्पी बढ़ी है। रोबोटिक रिहैबिलिटेशन में चिकित्सक को केवल डिवाइस सेट करना और नजर रखना होता है। इस शोध कार्य से मिली जानकारी इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांस्ड रोबोटिक सिस्टम्स (International General of Advanced Robotic System) में बतौर शोध पत्र प्रकाशित की गई है।
आज उपलब्ध अधिकतर रोबोटिक सिस्टम मरीजों का उपचार केवल सैजिटल प्लेन में मोशन के साथ करते हैं। अर्थात् एक काल्पनिक प्लेन जो शरीर को बाएं और दाएं भागों में विभाजित करता है। लेकिन संपूर्ण अंग संचालन के लिए सैजिटल मूवमेंट काफी नहीं है। ट्रांसवर्स (ऊपरी और निचले शरीर) और कोरोनल (आगे और पीछे ) प्लेन में भी संचालन आवश्यक है। आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ता ने रोबोट मैन्युपुलेट करने की व्यवस्था सामने रखी है जो सैजिटल ट्रांसवर्स और कोरोनल तीनों प्लेन में रखने के संचालन की क्षमता देती है।
डॉ मोहंता, सहायक प्रोफेसर, आईआईटी जोधपुर ने बताया, संपूर्ण पुनर्वास (रिहैबिलिटेशन) के लिए सही क्रम में उपचार करना जरूरी है। रोबोट बिना थके यह कर पाएंगे। रोबोटिक ट्रेनर एक ब्रेस या वियरेबल डिवाइस था जैसे कि एक्सोस्केलेटन जो पैर को मजबूती प्रदान करता है। डिजाइन किए गए स्टेशनरी ट्रेनर की उपयोगिता की पुष्टि कंप्यूटर आधारित सिमुलेशन से की गई। साथ ही, मोशन कंट्रोल स्कीम के तहत क्लिनिकली सुझाई गई थिरैप्युटिक पैसिव रेंज के विभिन्न संचालन किए गए। यह डिजाइन अत्यावश्यक पुनर्वास चिकित्सीय संचालन की क्षमता प्रदान करता है जैसे 'एब्डक्शन' (किसी अंग या उपांग को शरीर की मध्य रेखा से दूर ले जाना), एडक्शन' (किसी अंग या उपांग को शरीर की मध्य रेखा की ओर लाना, फ्लेक्सन (झुकना) और कूल्हे और घुटने के जोड़ों को फैलाना।
शोध प्रमुख ने बताया, हमारा रोबोटिक ट्रेनर लकवा के मरीजों की फिजियोथेरेपी में मदद करेगा और उनकी भी मदद करेगा जिनकी रीढ़ की हड्डी के जख्मी होने के चलते निचले अंग कार्य करने में अक्षम हो गए हैं। आईआईटी जोधपुर टीम के रोबोटिक ट्रेनर का कांसेप्ट आसान है और इसमें मॉड्यूलर मैकेनिकल कॉन्फिगरेशन है जिसे लगाना और उपयोग करना भी आसान है। इसके अतिरिक्त कूल्हे और घुटने के संचालन में केवल लीनियर एक्ट्यूएटर का उपयोग किया जाता है इसलिए रोबोट अपने-आप स्थिर, सुरक्षित और उपयोग के दौरान मजबूत रहता है।
रोबोटिक्स परस्पर जुड़े विषयों का विज्ञान है जो सॉफ्टवेयर, कंट्रोल मैकेनिक्स, सेंसिंग और इलैक्ट्रॉनिक्स सभी डोमेन में पैठ रखता है। आज रोबोटिक और मोबिलिटी सिस्टम में विभिन्न पृष्ठभूमि के इंजीनियरों की काफी मांग है जिसे पूरा करने और संबंधित अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी जोधपुर ने रोबोटिक्स और मोबिलिटी सिस्टम में एम.टेक. प्रोग्राम डिजाइन किया है। यह प्रोग्राम आईडीआरपी रोबोटिक्स एण्ड मोबिलिटी सिस्टम्स ने प्रस्तुत किया है।
यह एम.टेक. (M.Tech) प्रोग्राम परस्पर जुड़े विषयों को सीखने का अवसर देकर सबसे चुनौतीपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में से एक में भाग लेने का मार्ग प्रशस्त करेगा। प्रोग्राम रोबोटिक्स और मोबिलिटी सिस्टम के डिजाइन, विकास और परीक्षण में इनोवेटिव आइडियाज के परीक्षण का महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म होगा। इसमें मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल एवं कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग, इंट्रूमेंटेशन एंड कंट्रोल, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग फिजिक्स या समतुल्य पृष्ठभूमि के विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं।
-आईएएनएस/PT