Sea Slugs - क्या आप कभी सोच सकते है पृथ्वी पर ऐसा भी जानवर हो सकता है जो सूर्य की रोशनी से अपना खाना बना सके? आप सोच रहे होंगे ऐसा तो पेड़ - पौधे में होता है परंतु कोई जीव या जानवर ऐसा कैसे कर सकता है तो आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने पाया है कि समुद्री स्लग या घोंघा वैसे तो जानवर ही है, लेकिन यह अपने अंदर बहुत ही रोचक तरीके से ऐसी क्षमता विकसित कर लेता है जिससे वह पौधों की तरह खाना बनाने लगता है। जी हां! इसके पीछे क्या कारण है आइए जानते है।
समुद्री घोंगा या स्लग के शरीर के अंदर ही क्लोरोफिल होता है। इसका उपयोग वे सूर्य की रोशनी के जरिए अपना खाना बनाने के लिए करते हैं। ये बिलकुल पौधों के जैसे ही फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। परंतु इसमें जन्म से ही क्लोरोफिल नहीं होता है, वे क्लोरोफिल अपने जीवन में बहुत सागरी वनस्पति खा खा कर हासिल करते हैं। इसी कारण से उन्हें सैकोग्लासन या सैप चूसने वाले समुद्री स्लग कहा जाता है वे काई के तंतुओं का उपयोग स्ट्रॉ की तरह करते हैं लेकिन वे खाने को जानवरों की तरह पचाते हैं वे काई में से क्लोरोप्लास्ट को अलग करते हैं और उन्हें अपनी ही कोशिकाओं में समा लेते हैं। इसके बाद उन्हें केवल सूर्य की रोशनी की जरूरत होती है इस पूरी प्रक्रिया को क्लेप्टोप्लास्टी कहते हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि इलिसिया क्लोरोटिका ना केवल काई से क्लोरोप्लास्ट चुराते हैं, बल्कि उनसे उनकी जीन्स को भी लेते हैं और अपने डीएनए में मिला लिया करते हैं। यह जीन ट्रांसफर की बहुत ही अनोखी और शानदार मिसाल है। ये सबसे ज्यादा अमेरिका और कनाडा के पूर्वी तटों के नमकीन दलदल, तलाबों आदि में पाए जाते हैं। ये 2 से 3 APP सेमी के जीव 6 सेमी तक लंबे हो सकते हैं।
युवा इलिसिया क्लोरोटिका लाल या फिर स्लेटी रंग के होते हैं और एक बार जब इनमे क्लोरोप्लास्ट आने लगता है, तो इनका रंग चमकीला हरा होने लगता है।हरे रंग से ये शिकारी जानवरों को भी App धोखा में रखने में सफल रहते हैं।ये प्रकाश संश्लेषण के जरिए एक साल तक बिना खाए पिए रह सकते हैं।